झुंझुनू. राजस्थान विधानसभा चुनाव में लाल डायरी प्रकरण को लेकर सियासत गरमाई हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी सभा में कई बार इसका जिक्र कर चुके हैं. इस लाल डायरी प्रकरण के सूत्रधार राजेंद्र सिंह गुढ़ा उदयपुरवाटी विधानसभा से शिवसेना (शिंदे गुट) पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा-कांग्रेस के साथ त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे हुए हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया कि लाल डायरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पुत्र वैभव गहलोत के भ्रष्टाचार की सारी बातें रिकॉर्ड हैं. अब वैभव गहलोत खुद कह रहे हैं कि किसी हालत में 'पापा' की सरकार रिपीट नहीं होगी.
नहीं होगी सरकार रिपीट : राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने दावा किया है कि इस बार कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं होगी. उन्होंने कहा कि राजस्थान में जब लगातार यह रिकॉर्ड रहा है कि सरकार हर 5 साल में बदल जाती है तो अशोक गहलोत कैसे सरकार को रिपीट करवा लेंगे? उन्होंने कहा कि वो लाल डायरी को टेबल करना चाहते थे. सरकार ने जो भ्रष्टाचार किया उसका रिकॉर्ड डायरी में था. उसमें मुख्यमंत्री के बारे में भी कमेंट थे, वैभव गहलोत के साथ ही स्पीकर सीपी जोशी का भी नाम था. इसके बारे में जांच की कोई बात तक नहीं कही गई. राजेंद्र गुढ़ा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है.
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माइंस को लेकर लागाया ये आरोप : उन्होंने आरोप लगाया कि पीआर मीणा की एक माइंस थी, जिसको मुख्यमंत्री ने बंद करवा दिया था, क्योंकि वो कानूनी रूप से अवैध थी. राज्यसभा चुनाव के समय वही पीआर मीणा मुख्यमंत्री के खेमे में आ जाते हैं. इसके बाद इस मामले की दोबारा जांच होती है. आईएएस अधिकारियों से रिपोर्ट तैयार करवाई जाती है और उस रिपोर्ट को पॉजिटिव करवाकर दोबारा बनाया जाता है. इस तरह माइंस वापस चालू करवा दी जाती है.
हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बना दिया : उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी शुभकरण चौधरी पर आरोप लगाया कि वे सांप्रदायिक पॉलिटिक्स करते हैं. पिछले राज में उन्होंने क्षेत्र में हिंदू-मुसलमान का माहौल खड़ा कर दिया. युवाओं पर देशद्रोह के मुकदमे लगवा दिए. यहां पर सांप्रदायिक दंगे कराए गए. शिवसेना (शिंदे गुट) ज्वाइन करने के बारे में उन्होंने कहा कि लोग अपने-अपने हिसाब से सोचते रहते हैं. शिंदे भले आदमी हैं और उनमें अपार संगठन निर्माण की क्षमता है.
अब नहीं है जातीय संघर्ष : गौरतलब है कि उदयपुरवाटी विधानसभा में जातीय संघर्ष और विशेष रूप से किसानों और सामंतों के बीच आमने-सामने की लड़ाई का एक लंबा इतिहास रहा है. इसको लेकर राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि अब यह पुराने समय की बात हो गई. पूरी तरह से जाट समाज के बूथ होने के बावजूद भी उन्हें वहां से वोट मिल रहे हैं. जातीय संघर्ष समय के साथ ही समाप्त हो गए हैं. शिवनाथ सिंह गिल विधायक बन गए थे और इंद्र सिंह प्रधान बन गए थे और उन्होंने अपने सारे विवाद खत्म कर लिए थे.