झुंझुनू. यदि आप कोरोना पॉजिटिव है और ऑक्सीजन लेवल गिर रहा है तो चिंतित होने की बजाय प्रोन पोजिशन उपयोग में लेनी चाहिए. चिकित्सा शिक्षा विभाग के शासन सचिव वैभव गालरिया ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर इस प्रोनिंग गतिविधि का प्रचार-प्रचार करने के लिए निर्देशित किया है.
जिसमें उल्लेख किया गया है कि जब ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे आ जाए, तो होम आईसोलेशन में रहते हुए कोविड मरीज को प्रोनिंग करनी चाहिए. प्रोनिंग की यह स्थिति वेंटीलेशन में सुधार करके मरीज की जान तक बचा सकती है. प्रोनिंग की प्रोजीशन सांस लेने में आराम और ऑक्सीजन में सुधार करने के लिए मेडिकली प्रूव्ड है. इसमें मरीज को पेट के बल लिटाया जाता है. यह प्रक्रिया 30 मिनट से दो घंटे की होती है. इसे करने से फेफड़ो में रक्त का संचार बेहतर होता है, जिससे ऑक्सीजन फेफड़ों में आसानी से पहुंचती है और फेंफड़े अच्छे से काम करने लगते हैं. मरीज के ऑक्सीजन लेवल के लिए इस प्रक्रिया को 80 प्रतिशत तक सफल माना जा रहा है.
प्रोनिंग के लिए चार से पांच तकियों की होती है आवश्यकता
प्रोनिंग के लिए लगभग चार से पांच तकियों की आवश्यकता होती है. सबसे पहले रोगी को बिस्तर पर पेट के बल लिटाया जाता है, इसके बाद एक तकिया गर्दन के नीचे सामने से रखा जाता है. फिर एक या दो तकिए गर्दन, छाती और पेट के नीचे बराबर में रखा जाता है. बाकी के दो तकियों को पैर के पंजों के नीचे दबाकर रख सकते हैं. इस दौरान कोविड रोगी को गहरी और लंबी सांस लेनी आवश्यक है. 30 मिनट से लेकर करीब दो घंटे तक इस स्थिति में रहने से मरीज को बहुत आराम मिलता है, लेकिन 30 मिनट से दो घंटे के बीच मरीज की पोजीशन बदलना जरूरी होता है. इस दौरान मरीज को दाईं और बाई करवट पर लिटा सकते हैं.
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इनको बचना चाहिए प्रोनिंग एक्सरसाइज से
विशेषज्ञों की मानें तो खाने के तुरंत बाद प्रोनिंग करने से बचना चाहिए. इसे 16 घंटे तक रोजाना कई चक्रों में किया जा सकता है. इस प्रक्रिया को करते समय शरीर के घावों और चोट का विशेष ध्यान रखें. दबाव क्षेत्रों को बदलने और आराम देने के लिए तकियों को एडजस्ट करना होता है. गर्भावस्था में महिला को, गंभीर कॉर्डियक स्थिति में मरीज को, स्पाईन से जुड़ी परेशानी वाले मरीज को प्रोनिंग नहीं करनी चाहिए.