झुंझुनू . जिले के उदयपुरवाटी कस्बे के निकटवर्ती किरोड़ी गांव में चिराणा ग्राम पंचायत की ओर से बड़े नाले के ऊपर पुलिया बनावाई जा रही है. जिसमें घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग किए जाने की बात सामने आई है. जिसके चलते ग्रामीणों ने काम बंद करवा दिया है और विरोध प्रदर्शन करते हुए निर्माण कार्य में ली जा रही घटिया निर्माण सामग्री की जांच करने की मांग की है. बड़ी बात ये कि ठेकेदार की मिलीभगत से वन विभाग की पहाड़ी से पत्थर निकालकर काम में लिए जा रहे थे जो नियम के विरुद्ध है. बता दें कि वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ही ये पूरा खेल चल रहा है.
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वन विभाग के अधिकारी, गरीब लोगों के साथ अन्याय करने पर तुले रहते हैं. किरोड़ी गांव में बनाई जा रही पुलिया निर्माण के दौरान पुलिया में 2 फीट गहराई से ज्यादा नीव नहीं भरी गई है. जिसके चलते लोगों में ज्यादा रोश देखने को मिला है. ममामले में स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्राम पंचायत चिराणा की ओर से 6 महीने पहले डाली गई सीसी सड़क भी पानी के अभाव से टूट कर पूरी तरह नदी में बह गई है. र्निमाण के दौरान गुणवत्ता में कमी होने से सड़क पूरी तरह टूट गई है. सीसी सड़क कितने रुपए की लागत से बनाई गई इसके लिए कोई स्वीकृत अनुमान राशि लागत बोर्ड भी नहीं लगाया गया है.
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जइससे ये बैात तो साफ है कि पंचायत की ओर से कागजों में खानापूर्ति की जा रही है. स्थानीय लोगों की ओर से हो रहे पहाड़ी में अवैध खनन की कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन वन विभाग के अधिकारी मौके पर आने की बात कहकर कई दिनों से लोगों को गुमराह कर रहे हैं. ग्राम विकास अधिकारी से बात करने पर कलेक्टर को शिकायत करने की बात कह रहे हैं.
किरोड़ी में 6 महीने पहले बनी सीसी सड़क टूटकर भी क्षतिग्रस्त
6 महीने पहले ग्राम पंचायत चिराणा की ओर से बनाई गई सीसी सड़क बारिश के पानी में टूट कर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई जिसके चलते हैं गांव के लोगों को आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं पंचायत की ओर से ना ही तो किसी प्रकार की सीसी सड़क का विवरण है न ही किसी प्रकार की स्वीकृत राशि बोर्ड लगाया गया है जिसके चलते लोगों में भारी आक्रोश है.
प्रशासन की अनदेखी ठेकेदार वन विभाग की भूमि को उजाड़ कर निकाल रहे हैं पत्थर
प्रशासन की अनदेखी के चलते या यूं कहें कि वन विभाग के अधिकारियों के मिलीभगत से ठेकेदार वन विभाग की पहाड़ी को उजाड़ कर अवैध खनन कर लाखों रुपए के पत्थर निकाल चुके हैं. लेकिन यहां प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के चलते किसी को कोई खैर खबर नहीं है.
आपको बता दें कि किरोड़ी गांव के एक व्यक्ति ने पत्थरों की अवैध खनन की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को फोन कर दी थी. जिसके बाद वन विभाग के अधिकारी मौके पर आने का आश्वासन देकर, शिकायत करने वाले व्यक्ति की बात टालते रहे. जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति ने हार कर मीडिया के सामने आकर आप बीती बता डाली. जिसमें उसने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत होने के चलते ही अधिकारी भी यहां मौके पर खनन देखने के लिए नहीं आते हैं. अब देखने वाली बात ये है कि इस विरोध प्रदर्शन का असर अधिकारियों पर होता है या नहीं ?