झुंझुनू. लोकसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा से ही संतोष अहलावत सांसद है. लेकिन बड़ी संख्या में वर्तमान सांसदों की टिकट कटने की खबरों के चलते खीचड़ भी बड़े दावेदार है. हालांकि सांसद संतोष अहलावत के कार्यकाल में जो काम हुए हैं ,उसकी प्रशंसा खुद नरेंद्र खीचड़ भी करते हैं.
खीचड़ का राजनीतिक सफर
नरेंद्र खीचड़ ने सबसे पहले मंडावा विधानसभा में स्थित अलसीसर पंचायत समिति के प्रधान का पद कांग्रेस से छीना और वे प्रधान बने गए. अब इस विधानसभा में दो नगरपालिकाएं हैं, दोनों जगह भाजपा के चेयरमैन है. नरेंद्र के अलसीसर पंचायत समिति प्रधान बनने के बाद वे विधायक बन गए. लेकिन वहां पर लगातार भाजपा का ही प्रधान रहा है.
इसके अलावा इस विधानसभा में स्थित झुंझुनू पंचायत समिति प्रधान का पद कांग्रेस के पास था. लेकिन नरेंद्र खीचड़ की विधानसभा चुनाव मे सहायता करने कारण प्रधान को कांग्रेस पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. साथ ही जिला परिषद सदस्य प्यारेलाल ढुकिया को भी कांग्रेस पार्टी ने भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र खीचड़ की विधानसभा चुनाव में सहायता करने के आरोप में निष्कासित कर दिया था. इसके चलते यहां से कांग्रेस के कद्दावर जाट नेता व पूर्व प्रदेशाअध्यक्ष रामनारायण चौधरी की पुत्री रीटा चौधरी दूसरी बार लगातार नरेंद्र खीचड़ से चुनाव हार गई. खीचड़ ने पहले निर्दलीय के रूप में भी रीटा चौधरी को शिकस्त दी थी.
बागी होकर निर्दलीय लड़ था चुनाव
हालांकि यह भी सच है कि नरेंद्र खीचड़ को जब भाजपा ने टिकट नहीं दी तो वे विधायक का चुनाव बागी होकर भी लड़ने से नहीं चूके. उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव भी जीता. और उसके बाद पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में हो गए. जिसके बाद राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा का ही साथ दिया था. इसके चलते इस बार वसुंधरा राजे ने अपनी रैली के दौरान ही खीचड़ को पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था.
लोकसभा चुनाव के लिए हुए पार्टी के सर्वे में नरेंद्र की खीचड़ के नाम से लोग ज्यादा सहमत नजर आए. यह हम नहीं कह रहे है बल्कि नरेंद्र खीचड़ का ही कहना है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पार्टी टिकट देगी तो निश्चित ही चुनाव लडेंगे. लोकसभा का चुनाव लड़ने की उनकी मंशा उनके बयान से साफ तौर पर झलक रही है. झुंझुनूं लोकसभा सीट से वर्तमान में ही भाजपा का ही सांसद है. अब देखने यह है कि पार्टी इस सीट से किसको अपनी उम्मीद्वार बनाती है.