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भाजपा के इस विधायक ने झुंझुनू सीट से लोकसभा चुनाव की दावेदारी पर दिया ये बयान - jhunjhunu

मंडावा विधानसभा में इस चुनाव से पहले भाजपा  जनसंघ से लेकर अब तक नहीं जीत पाई थी. भाजपा विधायक नरेंद्र खीचड़ ने यहां चुनाव जीत कर इतिहास रच दिया. अब खीचड़ की नजरें लोकसभा चुनाव पर है.

नरेंद्र खीचड़ ने लोकसभा चुनाव लड़ने की जताई मंशा
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Published : Feb 14, 2019, 4:08 PM IST

झुंझुनू. लोकसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा से ही संतोष अहलावत सांसद है. लेकिन बड़ी संख्या में वर्तमान सांसदों की टिकट कटने की खबरों के चलते खीचड़ भी बड़े दावेदार है. हालांकि सांसद संतोष अहलावत के कार्यकाल में जो काम हुए हैं ,उसकी प्रशंसा खुद नरेंद्र खीचड़ भी करते हैं.


खीचड़ का राजनीतिक सफर


नरेंद्र खीचड़ ने सबसे पहले मंडावा विधानसभा में स्थित अलसीसर पंचायत समिति के प्रधान का पद कांग्रेस से छीना और वे प्रधान बने गए. अब इस विधानसभा में दो नगरपालिकाएं हैं, दोनों जगह भाजपा के चेयरमैन है. नरेंद्र के अलसीसर पंचायत समिति प्रधान बनने के बाद वे विधायक बन गए. लेकिन वहां पर लगातार भाजपा का ही प्रधान रहा है.

नरेंद्र खीचड़ ने लोकसभा चुनाव लड़ने की जताई मंशा
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इसके अलावा इस विधानसभा में स्थित झुंझुनू पंचायत समिति प्रधान का पद कांग्रेस के पास था. लेकिन नरेंद्र खीचड़ की विधानसभा चुनाव मे सहायता करने कारण प्रधान को कांग्रेस पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. साथ ही जिला परिषद सदस्य प्यारेलाल ढुकिया को भी कांग्रेस पार्टी ने भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र खीचड़ की विधानसभा चुनाव में सहायता करने के आरोप में निष्कासित कर दिया था. इसके चलते यहां से कांग्रेस के कद्दावर जाट नेता व पूर्व प्रदेशाअध्यक्ष रामनारायण चौधरी की पुत्री रीटा चौधरी दूसरी बार लगातार नरेंद्र खीचड़ से चुनाव हार गई. खीचड़ ने पहले निर्दलीय के रूप में भी रीटा चौधरी को शिकस्त दी थी.


बागी होकर निर्दलीय लड़ था चुनाव


हालांकि यह भी सच है कि नरेंद्र खीचड़ को जब भाजपा ने टिकट नहीं दी तो वे विधायक का चुनाव बागी होकर भी लड़ने से नहीं चूके. उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव भी जीता. और उसके बाद पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में हो गए. जिसके बाद राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा का ही साथ दिया था. इसके चलते इस बार वसुंधरा राजे ने अपनी रैली के दौरान ही खीचड़ को पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था.

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लोकसभा चुनाव के लिए हुए पार्टी के सर्वे में नरेंद्र की खीचड़ के नाम से लोग ज्यादा सहमत नजर आए. यह हम नहीं कह रहे है बल्कि नरेंद्र खीचड़ का ही कहना है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पार्टी टिकट देगी तो निश्चित ही चुनाव लडेंगे. लोकसभा का चुनाव लड़ने की उनकी मंशा उनके बयान से साफ तौर पर झलक रही है. झुंझुनूं लोकसभा सीट से वर्तमान में ही भाजपा का ही सांसद है. अब देखने यह है कि पार्टी इस सीट से किसको अपनी उम्मीद्वार बनाती है.

झुंझुनू. लोकसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा से ही संतोष अहलावत सांसद है. लेकिन बड़ी संख्या में वर्तमान सांसदों की टिकट कटने की खबरों के चलते खीचड़ भी बड़े दावेदार है. हालांकि सांसद संतोष अहलावत के कार्यकाल में जो काम हुए हैं ,उसकी प्रशंसा खुद नरेंद्र खीचड़ भी करते हैं.


खीचड़ का राजनीतिक सफर


नरेंद्र खीचड़ ने सबसे पहले मंडावा विधानसभा में स्थित अलसीसर पंचायत समिति के प्रधान का पद कांग्रेस से छीना और वे प्रधान बने गए. अब इस विधानसभा में दो नगरपालिकाएं हैं, दोनों जगह भाजपा के चेयरमैन है. नरेंद्र के अलसीसर पंचायत समिति प्रधान बनने के बाद वे विधायक बन गए. लेकिन वहां पर लगातार भाजपा का ही प्रधान रहा है.

नरेंद्र खीचड़ ने लोकसभा चुनाव लड़ने की जताई मंशा
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इसके अलावा इस विधानसभा में स्थित झुंझुनू पंचायत समिति प्रधान का पद कांग्रेस के पास था. लेकिन नरेंद्र खीचड़ की विधानसभा चुनाव मे सहायता करने कारण प्रधान को कांग्रेस पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. साथ ही जिला परिषद सदस्य प्यारेलाल ढुकिया को भी कांग्रेस पार्टी ने भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र खीचड़ की विधानसभा चुनाव में सहायता करने के आरोप में निष्कासित कर दिया था. इसके चलते यहां से कांग्रेस के कद्दावर जाट नेता व पूर्व प्रदेशाअध्यक्ष रामनारायण चौधरी की पुत्री रीटा चौधरी दूसरी बार लगातार नरेंद्र खीचड़ से चुनाव हार गई. खीचड़ ने पहले निर्दलीय के रूप में भी रीटा चौधरी को शिकस्त दी थी.


बागी होकर निर्दलीय लड़ था चुनाव


हालांकि यह भी सच है कि नरेंद्र खीचड़ को जब भाजपा ने टिकट नहीं दी तो वे विधायक का चुनाव बागी होकर भी लड़ने से नहीं चूके. उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव भी जीता. और उसके बाद पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में हो गए. जिसके बाद राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा का ही साथ दिया था. इसके चलते इस बार वसुंधरा राजे ने अपनी रैली के दौरान ही खीचड़ को पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था.

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लोकसभा चुनाव के लिए हुए पार्टी के सर्वे में नरेंद्र की खीचड़ के नाम से लोग ज्यादा सहमत नजर आए. यह हम नहीं कह रहे है बल्कि नरेंद्र खीचड़ का ही कहना है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पार्टी टिकट देगी तो निश्चित ही चुनाव लडेंगे. लोकसभा का चुनाव लड़ने की उनकी मंशा उनके बयान से साफ तौर पर झलक रही है. झुंझुनूं लोकसभा सीट से वर्तमान में ही भाजपा का ही सांसद है. अब देखने यह है कि पार्टी इस सीट से किसको अपनी उम्मीद्वार बनाती है.

Intro:झुंझुनू। मंडावा विधानसभा में इस चुनाव से पहले भाजपा अपने जनसंघ से लेकर अब तक के इतिहास में कभी नहीं जीत पाई थी, उस मिथक को तोड़ने वाले मंडावा के भाजपा विधायक नरेंद्र खीचड़ ने अब लोकसभा के लिए दावेदारी ठोकी है। नरेंद्र खिचड़ ना केवल जीतेस बल्कि पूरी मंडावा विधानसभा में अब कोई जन प्रतिनिधि कांग्रेस का नहीं रहा है और एक तरह से विधानसभा कांग्रेस मुक्त हो गई है। झुंझुनू लोकसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा से ही संतोष अहलावत सांसद है लेकिन बड़ी संख्या में वर्तमान सांसदों की टिकट कटने की खबरों के चलते खिचड़ भी बड़े दावेदार है । हालांकिक् सांसद संतोष अहलावत के कार्यकाल में जो काम हुए हैं ,उसकी प्रशंसा खुद नरेंद्र खीचड़ भी करते हैं।


Body:इस तरह से चला था इतिहास
नरेंद्र खिचड़ ने सबसे पहले मंडावा विधानसभा में स्थित अलसीसर पंचायत समिति के प्रधान का पद कांग्रेस से छीना और वे खुद प्रधान बने । अब इस विधानसभा में दो नगरपालिकाएं हैं दोनों जगह भाजपा के चेयरमैन है। नरेंद्र के अलसीसर पंचायत समिति प्रधान बनने के बाद वे विधायक बन गए लेकिन वहां पर लगातार भाजपा का ही प्रधान रहा है ।इसके अलावा इस विधानसभा में स्थित झुंझुनू पंचायत समिति प्रधान का पद कांग्रेस के पास था लेकिन नरेंद्र खिचड़ की विधानसभा चुनाव मे सहायता करने कारण प्रधान को कांग्रेस पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके अलावा जिला परिषद सदस्य प्यारेलाल ढुकिया को भी कांग्रेस पार्टी ने भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र खिचड़ की विधानसभा चुनाव में सहायता करने के आरोप में निष्कासित कर दिया था। इसके चलते यहां से कांग्रेस के कद्दावर जाट नेता व पूर्व प्रदेशाअध्यक्ष रामनारायण चौधरी की पुत्री रीटा चौधरी दूसरी बार लगातार नरेंद्र खिचड़ से चुनाव हार गई। खिचड़ ने पहले निर्दलीय के रूप में भी रीटा चौधरी को शिकस्त दी थी।


Conclusion:हालांकि पार्टी के भी रहे हैं बागी
हालांकि यह भी सच है कि नरेंद्र खिचड़ को जब भाजपा ने टिकट नहीं दी तो वे विधायक का चुनाव बागी होकर भी लड़ने से नहीं चूके। उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव भी जीता हालांकि बाद में पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में हो गए और राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा का ही साथ दिया था। इसके चलते इस बार वसुंधरा राजे ने अपनी रैली के दौरान ही खिचड़ को पार्टी का उम्मीदवार बता दिया था।
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