झुंझुनू. नाम पुकारा जाता है कि साल 1995 में जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए सुरेश की पत्नी का. वह जब मंच पर आती हैं तो आंसू रोक नहीं पातीं. उसके बाद कारगिल युद्ध में शहीद शीशराम की पत्नी संतरा देवी सहित यूनिट के पूर्व सदस्य बड़ी मुश्किल से अपने आंसूओं को संभाल पाते हैं.
अब नीलम देवी साल 2018 में शहीद राज कुमार की पत्नी सदमे में हैं. आप खुद अंदाजा लगा लें अब तक पति की शहादत के दर्द से उबर नहीं पाई हैं. पिता की शहादत का सम्मान लेने 15 साल की नीतू भी आती है. आठ जाट रेजीमेंट के पूर्व सैनिकों का सम्मेलन हो रहा था, जो साथी शहीद हुए उनके परिवार वालों को कैसे भूला जा सकता था. ऐसा भावुक क्षण था कि वह बात भी नहीं कर पा रही थी. ऐसे में लंबे समय तक आठ जाट का प्रतिनिधित्व करने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल राजीव भल्ला ने उनकी ओर से बात रखी.
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देश समझता है आपका मोल
लेकिन उस समय उन वीरांगनाओं की आंखों में जो आंसू आए उनके मोल को कौन समझ सकता है. भावुक हो गई कि कभी उनके पति इन्हीं जवानों के साथ काम करते थे, जो उनके बीच नहीं है. नाम पुकारते ही किसी की उठने की हिम्मत ही नहीं तो कोई बिलख उठी, सांत्वना इसी बात की है कि यूनिट उनके दर्द को समझती है, देश उनके आंसूओं का मोल समझता है.