झुंझुनू. कोरोना महामारी की आड़ में अधिकारी भ्रष्टाचार का किस तरह लंबा खेल खेल रहे हैं, इसकी बानगी झुंझुनू जिले में देखने को मिली. जहां 10 दिन पहले झुंझुनू में फूड सेफ्टी व कोरोना प्रशिक्षण के नाम पर रसीद काटते दो युवकों को पकड़ा गया था. उनके खिलाफ कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई गई. लोगों ने बताया कि उक्त युवक लंबे समय से वसूली कर रहे हैं और उनके पास चिकित्सा विभाग के फूड इंस्पेक्टर की ओर से जारी किया गया प्रमाण पत्र भी है.
इस तरह से पहुंचे तह तक
पड़ताल में सामने आया कि चिकित्सा विभाग के फूड इंस्पेक्टर महेश कुमार ने एमआई इन्फोटेक को इसके लिए अधिकृत किया है. पत्र प्राप्त करने के बाद इस कंपनी के पदाधिकारियों के साथ फूड इंस्पेक्टर के शराब सेवन व होटल में खाना खाते हुए के फोटो भी प्राप्त किए गए. इसमें साफ दिख रहा है कि किस तरह से फूड इंस्पेक्टर महेश कुमार उक्त कंपनी के लोगों के साथ मिलकर झुंझुनू में फर्जी रूप से वसूली के प्रयास में जुटे थे.
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सीएमएचओ ने की थी कार्रवाई
सीएमएचओ डॉ. छोटे लाल गुर्जर को 27 मार्च को सूचना मिली थी कि जेबी शाह गर्ल्स कॉलेज के पास कुछ लोग फूड सेफ्टी व कोरोना वायरस प्रशिक्षण के नाम पर वसूली कर रहे हैं. इस पर सीएमएचओ डॉ. गुर्जर फूड इंस्पेक्टर महेश कुमार के साथ वहां पर पहुंचे तो दोनों युवक पकड़े गए. इस पर सीएमएचओ की ओर से कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवा दिया गया. लेकिन, अब इस सारे मामले में फूड इंस्पेक्टर महेश कुमार की मिलीभगत सामने आ रही है.
इसके बाद सीएमएचओ डॉ. छोटे लाल गुर्जर की ओर से फूड इंस्पेक्टर महेश कुमार के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है. बड़ी बात यह है कि 27 मार्च को तो कार्रवाई हुई है, लेकिन फूड इंस्पेक्टर की ओर से जो पत्र जारी किया गया है, उसने किसी भी दिनांक का उल्लेख नहीं है और ऐसे में पता नहीं कितने दिनों से यह वसूली का कार्यक्रम फूड इंस्पेक्टर निजी कंपनी के साथ मिलकर कर रहा था.
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
मामले में सामने आया है कि फूड इंस्पेक्टर पर पहले भी अनियमितताएं आरोप लग चुके हैं और उन पर चार-पांच साल पहले भी कार्रवाई हुई थी. विभागीय सूत्रों के अनुसार फूड इंस्पेक्टर महेश कुमार लंबे समय से झुंझुनू में ही जमे हुए हैं और अपनी नौकरी का एक बड़ा हिस्सा यहीं पर निकाला है.