जयपुर: राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से शनिवार को आयोजित जूनियर इंजीनियर सिविल और जूनियर इंजीनियर एग्रीकल्चर भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों ने खास रूचि नहीं दिखाई. अजमेर, जयपुर, कोटा में बनाए गए परीक्षा केंद्रों पर पहली पारी में जेईएन सिविल में अटेंडेंस 56.73 फीसदी और जेईएन एग्रीकल्चर की हाजिरी 23.08 प्रतिशत रही. इस पर कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने आपत्ति जताते हुए अभ्यर्थियों से अनुरोध किया है कि वे फॉर्म तभी भरे जब बिल्कुल क्लियर हो कि उस परीक्षा में बैठेंगे ही.
जूनियर इंजीनियर के 1111 पदों पर होने वाली भर्ती परीक्षा का शनिवार को आखिरी दिन रहा. 6 फरवरी से विभिन्न तारीखों पर सार्वजनिक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, स्वायत्त शासन विभाग, कृषि विवरण बोर्ड, पंचायती राज और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जैसे विभागों में अलग-अलग पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित कराई गई, लेकिन शनिवार को हुई जूनियर इंजीनियर सिविल की परीक्षा में 56.73 फीसदी और जूनियर इंजीनियर एग्रीकल्चर परीक्षा में 23.08 फीसदी उपस्थिति रही. इस पर कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने आपत्ति जताई.
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सीसीटीवी से मॉनिटरिंग: उन्होंने बताया कि इन भर्ती परीक्षाओं की सीसीटीवी कैमरे से मॉनिटरिंग की जा रही थी. किसी-किसी परीक्षा कक्ष में तो दो वीक्षक और दो ही कैंडिडेट्स मौजूद थे. इस नजारे को सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि कैंडिडेट्स को फॉर्म भरते समय पता होता है कि उस भर्ती में कितने पदों पर फाइट है. तो फॉर्म तभी भरें जब खुद बिल्कुल क्लियर हो कि उस परीक्षा में बैठेंगे ही. उन्होंने परीक्षा के दौरान खाली पड़े परीक्षा कक्ष के वीडियो को सभी को शेयर करने की अपील की.
अनुपस्थितों पर लेगेगी पेनल्टी: उन्होंने कहा कि अनुपस्थित अभ्यर्थियों पर पेनल्टी का प्रावधान लागू होगा. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि एग्जाम सेंटर्स में परीक्षा कक्ष में कैंडिडेट्स और वीक्षक क्या कर रहे हैं, इसकी लाइव रिपोर्टिंग और रिकॉर्डिंग भी हो रही है, ताकि अभी या भविष्य में जरूरत पड़ने पर गहन जांच हो सके.
आवेदन वापस लेने का एक और मौका: उधर, मेजर जनरल राज ने बताया कि जेल प्रहरी भर्ती में बोर्ड की ओर से कैंडिडेट्स को फॉर्म विथड्रॉल करने का एक और अवसर दिया गया है. अभ्यर्थी यदि किसी भी कारण से एग्जाम नहीं देना चाहते तो वे 27 फरवरी तक अपना आवेदन वापस ले सकते हैं. अब तक 5 हजार से ज्यादा कैंडिडेट्स फॉर्म विथड्रॉल कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि कैंडिडेट्स के इस फैसले से 20 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई का हर्जाना होने से बच्चे का और करीब 25 लाख से ज्यादा सरकारी खर्च की भी बचत होगी. यही नहीं कम परीक्षा केंद्र होंगे तो पेपर लीक संभावना भी कम हो जाएगी.