सूरजगढ़ (झुंझुनू). कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन की पालना आर्थिक और मजदूर वर्ग के लोगों पर भारी पड़ने लगी है. रोजाना कमाने वाले मजदूर वर्ग के सामने अब रोटी का संकट खड़ा होने लगा है. कुछ इस प्रकार के संकट का अधिक सामना राजस्थान में दूसरे प्रदेशों से आये मजदूर वर्ग को उठाना पड़ रहा है. कुछ इस प्रकार के संकट से यूपी के कासगंज के मजदूर वर्ग के परिवारों को उठाना पड़ रहा है. शुक्रवार को सूरजगढ़ में घूम रहे मजदूर वर्ग के लोगों ने अपनी पीड़ा ईटीवी टीम को बताई.
बता दें कि यूपी के काशगंज से सत्यप्रकाश, अवधेश, अंकित सहित अन्य मजदूर वर्ग के लोग महिलाओं और बच्चों के साथ 20 मार्च को राजस्थान के तारानगर मजदूरी के लिए आये थे. लेकिन उनके यहां आते ही देश में कोरोना का संकट खड़ा हो गया. जिससे उनके सामने खाने के लाले पड़ गए हैं.
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कुछ दिन वहां रहने के बाद मजदूरी का जुगाड़ नहीं बन पाया, तो वे लोग साइकिल और पैदल ही तारानगर से कासगंज पैदल ही निकल पड़े. सूरजगढ़ पहुंचे तो स्थानीय मीडिया की नजर उन पर पड़ी, तो उन्होंने मीडिया के सामने आपबीती बताई. आपबीती के दौरान इन्होंने बताया की उनके पास खाने पीने से लेकर उनके घर लौटने तक के पैसे नहीं है. उन्होंने गुहार लगाते हुए कहा कि उन्हें घर तक पहुंचाया जाए.
मामले की जानकारी प्रशासन को देने के बाद स्थानीय लोगों के सहयोग से निराश्रित मजदूर परिवार को खाने पीने का सामान उपलब्ध करवाया गया. प्रशासन को सूचना के बाद उनकी बेरुखी देखकर मजदूर परिवार वापस ही पैदल और साइकिलों पर कासगंज के लिए रवाना हो गए. वहीं जब प्रशाशन से बेरुखी का कारण जानना चाहा तो वो लोग कैमरों के सामने आने से बचते दिखाई दिए.