ETV Bharat / state

स्पेशलः स्वर्णिम इतिहास की गवाही देता झुंझुनू का जोरावरगढ़

झुंझुनू के जोरावर सिंह गढ़ का अपना एक अलग इतिहास है. इसका निर्माण झुंझुनू के शासक शार्दुल सिंह शेखावत के ज्येष्ठ पुत्र जोरावर सिंह ने इसका निर्माण करवाया था. कहा जाता है कि झुंझुनू के शासकों में तब उत्तराधिकारी की जगह (भाई बंट) की परंपरा थी और यानि जितने भी पुत्र होते थे, उनमें राज्य बांट दिया जाता था.

jhunjhunu news, jhunjhunu hindi news
झुंझुनू के जोरावरगढ़ का अलग इतिहास
author img

By

Published : Oct 19, 2020, 6:15 PM IST

झुंझुनू. समय का चक्र जब घूमता है तो पता नहीं कब आबाद जगह बर्बाद हो जाए और जहां कभी कुछ नहीं रहा हुआ हो वह जगह किसी घटना का केंद्र बन जाए. लेकिन सैनिकों की धरती झुंझुनू शेखावाटी के स्वर्णीम अध्याय रहे जोरावर सिंह गढ़ से परिचय करवाया जाए तो झुंझुनू के शासक शार्दुल सिंह शेखावत के ज्येष्ठ पुत्र जोरावर सिंह ने इसका निर्माण करवाया था.

झुंझुनू के जोरावरगढ़ का अलग इतिहास

कहा जाता है कि झुंझुनू के शासकों में तब उत्तराधिकारी की जगह (भाई बंट) की परंपरा थी और यानि जितने भी पुत्र होते थे, उनमें राज्य बांट दिया जाता था. ऐसे में ज्येष्ठ पुत्र होने की वजह से जोरवार सिंह ने झुंझुनू शहर में इसका निर्माण करवाया और इसका काल 1740 के आसपास का है. बताया जा रहा है यहां आजादी के यहां शासन का प्रमुख स्थान बना था. बाद में आजादी के बाद सभी कार्यालयों के लिए शहर के बीच में एक ऐसी जगह चाहिए थी, जहां सारे कार्यालय चल सकें और ऐसे में जोरवार सिंह गढ़ इसके लिए सबसे उपयुक्त था.

ऐसे मेंं यहां जिला कलक्टरी से लेकर तहसील, रोजगार कार्यालय से लेकर पानी के विभाग, अपराधियों को दण्ड देने के लिए जेल आदि सभी यहीं से संचालित की जाने लगी. इतिहासकार बताते हैं कि पास में ही सब्जी मंडी थी. सारे कार्यालय थे और ऐसे में यहां सारे दिन चहल पहल रहती थी. समय का चक्र वापस घुमा, सरकारी कार्यालयों के लिए खुली जगह की जरुरत महसूस होने लगी, गाड़ियों के पार्किंग की जरुरत चलते धीरे धीरे सरकारी कार्यालय यहां से जाने लगे.

पढ़ेंः स्पेशल: बिना सामाजिक समरसता बिगाड़े सभी जातियों का श्मशान स्थल लोगों से हो रहा गुलजार

सबसे पहले सन 1980 के आसपास जिला कलेक्टरी यहां से अभी वर्तमान के भवन में आ गई. इस दौरान कैदियों की संख्या बढ़ने लगी. स्थान छोटा पड़ने लगा तो जिला जेल भी मंडावा मोड़ के पास आ गई और 1993 में अंतिम कार्यालय तहसील भी यहां से स्थानान्तिरत हो गया. शेखावाटी की उन्नत परंपरा का भी हस्ताक्षर है. यह गढ़ भारत को सबसे ज्यादा सैनिक और शहीद देने वाला झुंझुनू जिला सैन्य इतिहास की गौरवशाली परंपरा लिए हुए है और यह आज से नहीं है.

jhunjhunu news, jhunjhunu hindi news
झुंझुनू का जोरावरगढ़ अदभुत

गौरतलब है कि 28 जुलाई 1914 को यूरोप में जर्मनी और ऑस्ट्रिया के बीच वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी थी. यह युद्ध विश्वयुद्ध में बदल गया. यह युद्ध करीब चार साल चला और इसकी समाप्ति 11 नंवबर 1918 को हुई. युद्ध में 70 से ज्यादा देशों के करीब एक करोड़ लोग मारे गए. 2 करोड़ से ज्यादा घायल हुए थे. यूरोप के कई शहर तबाह हो गए. तब भारत में ब्रिटिश हुकूमत थी. शेखावाटी जयपुर स्टेट में था. ब्रिटेन की अपील पर हजारों भारतीय सैनिक लड़े थे.

पढ़ेंः Special: पुरखों की सोच को सलाम, कमरुद्दीन शाह की दरगाह में दिखती है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की बेजोड़ कारीगरी

इनमें जयपुर स्टेट से 14 हजार सैनिक शामिल थे. 2 हजार सैनिक लौटकर नहीं आए. इनके सम्मान में जयपुर स्टेट ने अपने सरकारी कार्यालयों के बाहर स्मरण पट्टिकाएं लगवाई. झुंझुनू के जोरावरगढ़ के द्वार पर आज भी वह पट्टिका गवाह है. तब जोरावरगढ़ में जयपुर स्टेट का तहसील कार्यालय था. आज भी मौजूद है निशां शहर के मध्य में उन्नत शिखर लिए हुए इस किले की कहानियां जानने का इच्छुक शहर का हर निवासी रहता है। इसके पास में ही सब्जी मंडी भी बनी हुई है और ऐसे में वैसे ही यह इलाका घनी आबादी का क्षेत्र है।

झुंझुनू. समय का चक्र जब घूमता है तो पता नहीं कब आबाद जगह बर्बाद हो जाए और जहां कभी कुछ नहीं रहा हुआ हो वह जगह किसी घटना का केंद्र बन जाए. लेकिन सैनिकों की धरती झुंझुनू शेखावाटी के स्वर्णीम अध्याय रहे जोरावर सिंह गढ़ से परिचय करवाया जाए तो झुंझुनू के शासक शार्दुल सिंह शेखावत के ज्येष्ठ पुत्र जोरावर सिंह ने इसका निर्माण करवाया था.

झुंझुनू के जोरावरगढ़ का अलग इतिहास

कहा जाता है कि झुंझुनू के शासकों में तब उत्तराधिकारी की जगह (भाई बंट) की परंपरा थी और यानि जितने भी पुत्र होते थे, उनमें राज्य बांट दिया जाता था. ऐसे में ज्येष्ठ पुत्र होने की वजह से जोरवार सिंह ने झुंझुनू शहर में इसका निर्माण करवाया और इसका काल 1740 के आसपास का है. बताया जा रहा है यहां आजादी के यहां शासन का प्रमुख स्थान बना था. बाद में आजादी के बाद सभी कार्यालयों के लिए शहर के बीच में एक ऐसी जगह चाहिए थी, जहां सारे कार्यालय चल सकें और ऐसे में जोरवार सिंह गढ़ इसके लिए सबसे उपयुक्त था.

ऐसे मेंं यहां जिला कलक्टरी से लेकर तहसील, रोजगार कार्यालय से लेकर पानी के विभाग, अपराधियों को दण्ड देने के लिए जेल आदि सभी यहीं से संचालित की जाने लगी. इतिहासकार बताते हैं कि पास में ही सब्जी मंडी थी. सारे कार्यालय थे और ऐसे में यहां सारे दिन चहल पहल रहती थी. समय का चक्र वापस घुमा, सरकारी कार्यालयों के लिए खुली जगह की जरुरत महसूस होने लगी, गाड़ियों के पार्किंग की जरुरत चलते धीरे धीरे सरकारी कार्यालय यहां से जाने लगे.

पढ़ेंः स्पेशल: बिना सामाजिक समरसता बिगाड़े सभी जातियों का श्मशान स्थल लोगों से हो रहा गुलजार

सबसे पहले सन 1980 के आसपास जिला कलेक्टरी यहां से अभी वर्तमान के भवन में आ गई. इस दौरान कैदियों की संख्या बढ़ने लगी. स्थान छोटा पड़ने लगा तो जिला जेल भी मंडावा मोड़ के पास आ गई और 1993 में अंतिम कार्यालय तहसील भी यहां से स्थानान्तिरत हो गया. शेखावाटी की उन्नत परंपरा का भी हस्ताक्षर है. यह गढ़ भारत को सबसे ज्यादा सैनिक और शहीद देने वाला झुंझुनू जिला सैन्य इतिहास की गौरवशाली परंपरा लिए हुए है और यह आज से नहीं है.

jhunjhunu news, jhunjhunu hindi news
झुंझुनू का जोरावरगढ़ अदभुत

गौरतलब है कि 28 जुलाई 1914 को यूरोप में जर्मनी और ऑस्ट्रिया के बीच वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी थी. यह युद्ध विश्वयुद्ध में बदल गया. यह युद्ध करीब चार साल चला और इसकी समाप्ति 11 नंवबर 1918 को हुई. युद्ध में 70 से ज्यादा देशों के करीब एक करोड़ लोग मारे गए. 2 करोड़ से ज्यादा घायल हुए थे. यूरोप के कई शहर तबाह हो गए. तब भारत में ब्रिटिश हुकूमत थी. शेखावाटी जयपुर स्टेट में था. ब्रिटेन की अपील पर हजारों भारतीय सैनिक लड़े थे.

पढ़ेंः Special: पुरखों की सोच को सलाम, कमरुद्दीन शाह की दरगाह में दिखती है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की बेजोड़ कारीगरी

इनमें जयपुर स्टेट से 14 हजार सैनिक शामिल थे. 2 हजार सैनिक लौटकर नहीं आए. इनके सम्मान में जयपुर स्टेट ने अपने सरकारी कार्यालयों के बाहर स्मरण पट्टिकाएं लगवाई. झुंझुनू के जोरावरगढ़ के द्वार पर आज भी वह पट्टिका गवाह है. तब जोरावरगढ़ में जयपुर स्टेट का तहसील कार्यालय था. आज भी मौजूद है निशां शहर के मध्य में उन्नत शिखर लिए हुए इस किले की कहानियां जानने का इच्छुक शहर का हर निवासी रहता है। इसके पास में ही सब्जी मंडी भी बनी हुई है और ऐसे में वैसे ही यह इलाका घनी आबादी का क्षेत्र है।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.