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स्पेशल स्टोरी: 102 साल की वीरांगना के अजर-अमर प्रेम की कहानी, शहीद पति की याद में बिता दिए 80 बरस

झुंझुनूं के धनूरी गांव की रहने वाली 102 वर्ष की सायरा बानो ऐसी वीरांगना हैं. जो युद्ध में तो नहीं गईं, लेकिन उनकी लड़ाई किसी सैनिक से कम नहीं है. शोहर की शहादत जिंदा रहे इसलिए उन्होंने अपने जिंदगी के 80 साल उनकी यादों के सहारे बीता लिए. शादी के समय सायरा बानो बमुश्किल 22 वर्ष की थी.

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Published : Nov 10, 2019, 7:40 PM IST

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झुंझुनूं. द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीद ताज मोहम्मद की शहादत पर फक्र हो सकता है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा उनकी वीरांगना की कहानी सुनकर आप निश्चित ही गर्व मिश्रित दुख से भर उठेंगे. उस महान वीरांगना का 8 नवंबर, शुक्रवार को इंतकाल हो गया. लेकिन उसकी कहानी भारतीय सेना के इतिहास में अमर रहेगी. भारत देश के आजाद होने के बाद उनके पति की बटालियन टू जाट ने हमेशा उनका ध्यान रखा और कई बार समान समारोह में आमंत्रित कर उनकी शहादत को सलाम किया.

स्पेशल रिपोर्ट: 102 साल की वीरांगना सायरा बानो ने दुनिया को कहा 'अलविदा'

सैनिक गांव धनुरी की 102 साल की वीरांगना सायरा बानो की रूह अपने उस शहीद पति से मिल गई. जिनका निकाह के बाद चेहरा तक देखना नसीब नहीं हुआ, लेकिन उनकी याद में जिंदगी के सारे बसंत गुजार दिए. बता दें कि द्वितीय विश्वयुद्ध में जाट रेजीमेंट की दूसरी बटालियन की सेना में ताज मोहम्मद खान कायमखानी तैनात थे. शादी के लिए छुट्टी आए. निकाह के बाद बारात घर लेकर पहुंचे तो युद्ध शुरू होने का टेलीग्राम आ गया. तो ताज मोहम्मद ने बीवी को देखे बिना ही युद्ध के लिए रवानगी ली और युद्ध में जाट सेना की तरफ से शहीद हो गए. उनकी पत्नी सायरा बानो के लिए गम का पहाड़ टूट गया.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: 'अपना घर' में 2 साल बाद बेटियों को मिली लापता मां...फफक-फफक कर रो पड़ी

कुछ समय बाद सायरा बानो के पीहर और ससुराल वालों ने दूसरी शादी का सुझाव दिया, लेकिन इस वीरांगना ने दूसरी शादी से इनकार कर दिया और पूरी जिंदगी उस महान शहीद के नाम पर काटने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि जब खुदा ने उन्हें इसी प्रेम के लिए बनाया तो वे इसी के साथ अपनी जिंदगी गुजारने में खुश हैं.

पढ़ें- जम्मू कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए धौलपुर के भागीरथ की पत्नी ने बेटी को दिया जन्म, शहर के लोग दे रहे बधाई

चेहरा नहीं देखा तो बताएं क्या
शादी के समय सायरा बानो बमुश्किल 22 वर्ष की थी. अपनी जिंदगी के करीब 80 वर्ष अपने पति की याद में काटने वाले महान महिला वीरांगना से जब पूछा जाता था कि शहीद ताज मोहम्मद खान के बारे में बताओ तो उनका एक ही जवाब होता था कि मैंने तो उन से निकाह किया था. उनका चेहरा तो देखा ही नहीं था तो फिर उनके बारे में बात क्या करें. लेकिन जब खुदा ने उन्हें इसी प्रेम के लिए बनाया तो वे इसी के साथ अपनी जिंदगी गुजारने में खुश हैं.

झुंझुनूं. द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीद ताज मोहम्मद की शहादत पर फक्र हो सकता है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा उनकी वीरांगना की कहानी सुनकर आप निश्चित ही गर्व मिश्रित दुख से भर उठेंगे. उस महान वीरांगना का 8 नवंबर, शुक्रवार को इंतकाल हो गया. लेकिन उसकी कहानी भारतीय सेना के इतिहास में अमर रहेगी. भारत देश के आजाद होने के बाद उनके पति की बटालियन टू जाट ने हमेशा उनका ध्यान रखा और कई बार समान समारोह में आमंत्रित कर उनकी शहादत को सलाम किया.

स्पेशल रिपोर्ट: 102 साल की वीरांगना सायरा बानो ने दुनिया को कहा 'अलविदा'

सैनिक गांव धनुरी की 102 साल की वीरांगना सायरा बानो की रूह अपने उस शहीद पति से मिल गई. जिनका निकाह के बाद चेहरा तक देखना नसीब नहीं हुआ, लेकिन उनकी याद में जिंदगी के सारे बसंत गुजार दिए. बता दें कि द्वितीय विश्वयुद्ध में जाट रेजीमेंट की दूसरी बटालियन की सेना में ताज मोहम्मद खान कायमखानी तैनात थे. शादी के लिए छुट्टी आए. निकाह के बाद बारात घर लेकर पहुंचे तो युद्ध शुरू होने का टेलीग्राम आ गया. तो ताज मोहम्मद ने बीवी को देखे बिना ही युद्ध के लिए रवानगी ली और युद्ध में जाट सेना की तरफ से शहीद हो गए. उनकी पत्नी सायरा बानो के लिए गम का पहाड़ टूट गया.

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कुछ समय बाद सायरा बानो के पीहर और ससुराल वालों ने दूसरी शादी का सुझाव दिया, लेकिन इस वीरांगना ने दूसरी शादी से इनकार कर दिया और पूरी जिंदगी उस महान शहीद के नाम पर काटने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि जब खुदा ने उन्हें इसी प्रेम के लिए बनाया तो वे इसी के साथ अपनी जिंदगी गुजारने में खुश हैं.

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चेहरा नहीं देखा तो बताएं क्या
शादी के समय सायरा बानो बमुश्किल 22 वर्ष की थी. अपनी जिंदगी के करीब 80 वर्ष अपने पति की याद में काटने वाले महान महिला वीरांगना से जब पूछा जाता था कि शहीद ताज मोहम्मद खान के बारे में बताओ तो उनका एक ही जवाब होता था कि मैंने तो उन से निकाह किया था. उनका चेहरा तो देखा ही नहीं था तो फिर उनके बारे में बात क्या करें. लेकिन जब खुदा ने उन्हें इसी प्रेम के लिए बनाया तो वे इसी के साथ अपनी जिंदगी गुजारने में खुश हैं.

Intro:द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीद ताज मोहम्मद की शहादत पर फ़क्र हो सकता है लेकिन उससे कहीं ज्यादा उनकी वीरांगना की कहानी सुनकर आप निश्चित ही गर्व मिश्रित दुख से भर उठेंगे। उस महान वीरांगना का शुक्रवार को इंतकाल हो गया लेकिन उसकी कहानी भारतीय सेना के इतिहास में अजर अमर रहेगी। भारत देश के आजाद होने के बाद उनके पति की बटालियन टू जाट ने हमेशा उनका ध्यान रखा और कई बार समान समारोह में आमंत्रित कर उनकी शहादत को सलाम किया।


Body:झुंझुनू। सैनिक गांव धनुरी की वीरांगना सायरा बानो पत्नी शहीद ताज मोहम्मद ,गांव जाबासर, उम्र 102 साल की आत्मा आज अपने उस शहीद पति से मिल गई। जिनका निकाह के बाद चेहरा तक देखना नसीब नहीं हुआ लेकिन उनकी याद में जिंदगी के सारे बसंत गुजार दिए। जी हां, सहादत की अजर अमर प्रेम कहानी की नायिका वीरांगना सायरा बानो का शुक्रवार को इंतकाल हो गया। द्वितीय विश्वयुद्ध में जाट रेजीमेंट की दूसरी बटालियन की सेना में ताज मोहम्मद खान कायमखानी तैनात थे। शादी के लिए छुट्टी आए। निकाह के बाद बारात घर लेकर पहुंचे तो युद्ध शुरू होने का टेलीग्राम आ गया तो ताज मोहम्मद ने बीवी को देखे बिना ही युद्ध के लिए रवानगी ली और युद्ध में जाट सेना की तरफ से शहीद हो गए। उनकी पत्नी सायरा बानो के लिए गम का पहाड़ टूट गया। कुछ समय बाद सायरा बानो के पीहर और ससुराल वालों ने दूसरी शादी का सुझाव दिया परंतु इस वीरांगना ने दूसरी शादी से इंकार कर दिया और पूरी जिंदगी उस महान शहीद के नाम पर काटने का फैसला किया।

चेहरा नहीं देखा तो बताएं क्या
शादी के समय सायरा बानो बमुश्किल 22 वर्ष की थी। अपनी जिंदगी के करीब 80 वर्ष अपने पति की याद में काटने वाले महान महिला वीरांगना से जब पूछा जाता था कि शहीद ताज मोहम्मद खान के बारे में बताओ तो उनका एक ही जवाब होता था कि मैंने तो उन से निकाह किया था उनका चेहरा तो देखा ही नहीं था तो फिर उनके बारे में बात क्या करें। लेकिन जब खुदा ने उन्हें इसी प्रेम के लिए बनाया तो वे इसी के साथ अपनी जिंदगी गुजारने में खुश हैं।



इस बारे में ऑलरेडी कैप्टन टीपू सुल्तान की बाइट राजस्थान डेस्क पर मेल से भेजी गई है।


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