झुंझुनू. मलसीसर के सेठ भगवानदास बिहारीलाल बंका ने तो बड़ा दिल कर गायों के चरने व पानी पीने के लिए अपनी जमीन दान दे दी थी लेकिन आने वाली पीढ़ियां उस विरासत की सार संभाल नहीं कर सकी. बंका सेठ के घराने के लोग तो यह भी आरोप लगाते हैं की जोहड़ी तो आधी रह गई है और लोगों ने खुर्दबुर्द कर ली है. बंका सेठ ने झुंझुनू रोड पर जो जमीन दी थी उसका जोहड़ा भी पक्का बना कर दिया था और यही कारण है कि वह आज भी वैसा का वैसा है और जल सरंक्षण की प्राचीन परंपरा को जीवंत बनाए हुए है. गौरतलब है कि मलसीसर के पास स्थित बंका की जोड़ी में मिटटी भरी हुई है और वहां लगभग 30 साल से पानी नहीं आ रहा है.
हमने नरेगा में भी करवाई थी खुदाई
वहीं गांव की सरपंच के प्रतिनिधि नदीम चौहान कहते हैं कि लोगों ने वहां जानवर डालने शुरू कर दिए और जब जरूरत नहीं रही तो वहां मिट्टी भरती चली गई. बाद में मनरेगा मे इस जोहड़ी की खुदाई करवाई गई थी लेकिन उसी समय मलसीसर का डैम टूट गया और उसकी वजह से यहां वापस मिट्टी भर गई. सरपंच प्रतिनिधि यह भी मानते हैं कि अब इस जोहड़ी की खुदाई की वापस जरूरत है ताकि यहां पर वापस पानी भर सके.
ईटीवी भारत कर रहा है प्रयास
बिन पानी सब सून अभियान के तहत ईटीवी भारत यह प्रयास कर रहा है कि जिस जोहड़ी में 30 साल से पानी नहीं आ रहा है और जो जल सरंक्षण की विरासत का एक जीता जागता मॉडल था. एक बार वापस वह वही बन सके. यह तभी संभव होगा जब गांव के लोग खुद इस प्रयास के लिए उतरे. ग्रामीण जल संरक्षण की भावना को समझें और प्रशासन भी उनका सहयोग करे. ईटीवी भारत जन जागरूकता और प्रशासन के सहयोग का पूरा प्रयास कर रहा है और संभवतया जल्दी ही यह फलदाई होगा.