ETV Bharat / state

Special: ये हुनरमंद है साहब! आपदा में भी अवसर निकाल ही लेते हैं - हैंडीक्राफ्ट की वस्तुएं

कोरोना काल में देश का लगभग हर व्यवसाय और हर धंधा मंदा पड़ा है. ऐसे में कई व्यवसायी और कारोबारी काम करवाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं. लेकिन ऐसे में झुंझुनू के कुछ हुनरमंद हैं, जिन्हें हुनर पर हद से ज्यादा भरोसा है. इसके लिए लोहे के हैंडीक्राफ्ट के कार्य की हथौड़ी की ठुकठुक अब भी जारी है. इनका मानना है कि जब स्थितियां सामान्य होगी तब इनका माल के ऑर्डर खुद ही आएंगे.

jhunjhnu news, झुंझुनू समाचार
आपदा में भी अवसर
author img

By

Published : Sep 24, 2020, 8:41 PM IST

झुंझुनू. इस कोरोना काल में हर धंधा मंदा है. इसका अब तक कोई छोर नहीं निकला है. लेकिन जब पहले माल की आपूर्ति नहीं होती थी तो खाली समय में अगर माल का स्टॉक कर लिया जाता तो आज खाली नहीं बैठना पड़ता. क्योंकि यह आपदा में एक प्रकार का अवसर भी है और एक प्रकार का अपने हुनर पर विश्वास भी है. जी हां, जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर कस्बा सुल्ताना में लोहे का काम मंदा चल रहा है. लेकिन लोहे के हैंडीक्राफ्ट के कार्य की हथौड़ी की ठुकठुक अब भी जारी है. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का अपने हुनर पर इतना विश्वास है कि जब स्थितियां सामान्य होगी. तब इनके माल के ऑर्डर खुद आने लग जाएंगे. ऐसे में क्यों ना पहले ही माल तैयार कर रख लिया जाए.

आपदा में भी अवसर

सोशल मीडिया का भी ले रहे सहारा

अपने हुनर को तराशने के लिए ये सभी हुनरमंद अब तकनीकी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं और इसलिए यूरोप में इसके कद्रदानों से सोशल मीडिया से फोटो का आदान-प्रदान कर काम तैयार कर रहे हैं. इसमें लोहे के झूमर से लेकर पूर्ण आकार स्टेनलेस स्टील कॉफी टेबल, लेटेस्ट डिजाइन की लोहे की चारपाइयां, बैठने के लिए लोहे के मुंडे आदि सभी तैयार हो रहे हैं. यहां बनी हैंडीक्राफ्ट की वस्तुएं बेहद कलात्मक और खूबसूरत होती हैं और इसलिए विदेशों में लोकप्रिय हैं. अमेरीका, जर्मनी, यूरोप, फ्रांस, आस्टेलिया, कनाडा, स्पेन आदि जगहों पर इनके अपने ग्राहक हैं, जो इनसे ही ये कलात्मक वस्तुएं खरीदते हैं.

jhunjhnu news, झुंझुनू समाचार
लोहे के हैंडीक्राफ्ट के कार्य की हथौड़ी की ठुकठुक

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: ऑनलाइन पढ़ाई ने दिया दर्द, बच्चों की आंखों पर पड़ रहा असर

करीब तीस साल में बनी इस प्रकार की विशेष पहचान

दरअसल, यह कस्बा परंपरागत रूप से लोहे के कारोबार से जुड़ा रहा है और लोहे का काम इनके दिल के करीब है. लेकिन पहले यह सामान्य रूप से कड़ाहियों, दरवाजे, चारपाइयां आदि बनाने का ही काम होता था. लेकिन साल 1991 से यहां के कुछ लोगों ने हैंडीक्राफ्ट के काम में हाथ आजमाना शुरू किया. शुरुआत में जोधपुर के व्यापारियों से जुड़े और बाद में खुद से ही विदेशों से ऑर्डर लेने लगे. ऐसे में इन व्यापारियों और कारीगरों के बच्चों की एक पीढ़ी भी जवान हो चुकी है, जो बचपन से ही इस काम को देखते और करते आए हैं.

jhunjhnu news, झुंझुनू समाचार
हैंडीक्राफ्ट का कार्य

कच्चे माल की है मारामारी

ऐसा नहीं है कि आपदा में अवसर खोज रहे इन हुनरमंदों को कोई परेशानी है. इनको भी कच्चे माल के लिए कमी हो जाती है. क्योंकि, ये लोग ज्यादातार कच्चा माल हरियाणा से मंगवाते हैं. वहां से कई बार बॉर्डर सील और आगे से माल की कमी होने पर परेशानी हो जाती है. इसके अलावा पहले का कमाया हुआ पैसा तो स्टाक तैयार करने में लगा दिया है. ऐसे में कच्चे माल के लिए पैसे का भी इंतजाम करना पड़ता है. इसके बाद भी ये लोग इसे बनाने में लगे हुए हैं.

झुंझुनू. इस कोरोना काल में हर धंधा मंदा है. इसका अब तक कोई छोर नहीं निकला है. लेकिन जब पहले माल की आपूर्ति नहीं होती थी तो खाली समय में अगर माल का स्टॉक कर लिया जाता तो आज खाली नहीं बैठना पड़ता. क्योंकि यह आपदा में एक प्रकार का अवसर भी है और एक प्रकार का अपने हुनर पर विश्वास भी है. जी हां, जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर कस्बा सुल्ताना में लोहे का काम मंदा चल रहा है. लेकिन लोहे के हैंडीक्राफ्ट के कार्य की हथौड़ी की ठुकठुक अब भी जारी है. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का अपने हुनर पर इतना विश्वास है कि जब स्थितियां सामान्य होगी. तब इनके माल के ऑर्डर खुद आने लग जाएंगे. ऐसे में क्यों ना पहले ही माल तैयार कर रख लिया जाए.

आपदा में भी अवसर

सोशल मीडिया का भी ले रहे सहारा

अपने हुनर को तराशने के लिए ये सभी हुनरमंद अब तकनीकी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं और इसलिए यूरोप में इसके कद्रदानों से सोशल मीडिया से फोटो का आदान-प्रदान कर काम तैयार कर रहे हैं. इसमें लोहे के झूमर से लेकर पूर्ण आकार स्टेनलेस स्टील कॉफी टेबल, लेटेस्ट डिजाइन की लोहे की चारपाइयां, बैठने के लिए लोहे के मुंडे आदि सभी तैयार हो रहे हैं. यहां बनी हैंडीक्राफ्ट की वस्तुएं बेहद कलात्मक और खूबसूरत होती हैं और इसलिए विदेशों में लोकप्रिय हैं. अमेरीका, जर्मनी, यूरोप, फ्रांस, आस्टेलिया, कनाडा, स्पेन आदि जगहों पर इनके अपने ग्राहक हैं, जो इनसे ही ये कलात्मक वस्तुएं खरीदते हैं.

jhunjhnu news, झुंझुनू समाचार
लोहे के हैंडीक्राफ्ट के कार्य की हथौड़ी की ठुकठुक

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: ऑनलाइन पढ़ाई ने दिया दर्द, बच्चों की आंखों पर पड़ रहा असर

करीब तीस साल में बनी इस प्रकार की विशेष पहचान

दरअसल, यह कस्बा परंपरागत रूप से लोहे के कारोबार से जुड़ा रहा है और लोहे का काम इनके दिल के करीब है. लेकिन पहले यह सामान्य रूप से कड़ाहियों, दरवाजे, चारपाइयां आदि बनाने का ही काम होता था. लेकिन साल 1991 से यहां के कुछ लोगों ने हैंडीक्राफ्ट के काम में हाथ आजमाना शुरू किया. शुरुआत में जोधपुर के व्यापारियों से जुड़े और बाद में खुद से ही विदेशों से ऑर्डर लेने लगे. ऐसे में इन व्यापारियों और कारीगरों के बच्चों की एक पीढ़ी भी जवान हो चुकी है, जो बचपन से ही इस काम को देखते और करते आए हैं.

jhunjhnu news, झुंझुनू समाचार
हैंडीक्राफ्ट का कार्य

कच्चे माल की है मारामारी

ऐसा नहीं है कि आपदा में अवसर खोज रहे इन हुनरमंदों को कोई परेशानी है. इनको भी कच्चे माल के लिए कमी हो जाती है. क्योंकि, ये लोग ज्यादातार कच्चा माल हरियाणा से मंगवाते हैं. वहां से कई बार बॉर्डर सील और आगे से माल की कमी होने पर परेशानी हो जाती है. इसके अलावा पहले का कमाया हुआ पैसा तो स्टाक तैयार करने में लगा दिया है. ऐसे में कच्चे माल के लिए पैसे का भी इंतजाम करना पड़ता है. इसके बाद भी ये लोग इसे बनाने में लगे हुए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.