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स्पेशल: डिप्टी CM पायलट के क्षेत्र में ही बालिका लिंगानुपात में भारी गिरावट...एक रिपोर्ट - female sex ratio in area of ​​deputy cm pilot

PCPNDT एक्ट में कई उल्लेखनीय कार्रवाईयों में सहयोगी रहे तथा बेटी बचाओ के क्षेत्र में काम करने वाले वरिष्ठ सामाजिक विश्लेषक राजन चौधरी ने बालिका लिंगानुपात के मामले में एक नया खुलासा किया है. चौधरी का दावा है कि राजस्थान में लिंगानुपात गिर गया है. लेकिन ऐसे हालात में शर्म से बचने के लिए सरकार ने आंकड़े जारी नहीं किए हैं. लेकिन उन्होंने जो आंकड़े दिए हैं, सरकारी ही हैं और उन्होंने अपने स्तर पर उनको हासिल किया है. उन्होंने कहा कि यह आंकड़े सरकार किसी भी स्तर पर झुठला नहीं सकती है.

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उप मुख्यमंत्री पायलट के क्षेत्र में बालिका लिंगानुपात में भारी गिरावट...
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Published : Feb 11, 2020, 11:17 PM IST

झुंझुनू. बालिका लिंगानुपात में सबसे अधिक गिरावट टोंक जिले में. टोंक के बाद दूसरे नंबर पर चूरू जिले में दर्ज की गई है, बालिका लिंगानुपात में गिरावट. राज्य में पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन से बालिका लिंगानुपात में गत 7 साल से लगातार सुधार हो रहा था. लेकिन साल 2019 में 1 अंक की गिरावट दर्ज की गई है. कैलेंडर वर्ष के अनुसार साल 2018 में जीवित शिशु जन्म दर के अनुसार बालिका लिंगानुपात 948 था, जो साल 2019 में 1 अंक घटकर 947 हो गया.

उप मुख्यमंत्री पायलट के क्षेत्र में बालिका लिंगानुपात में भारी गिरावट...

साल 2018 में 13 लाख 55 हजार 486 बच्चे पैदा हुए थे, जिनमें छह लाख 95 हजार 944 लड़के और 6 लाख 59 हजार 542 लड़कियां पैदा हुईं थीं. अर्थात 36 हजार 402 बेटियां लड़कों से कम पैदा हुईं थीं. इसी तरह साल 2019 में कुल 1 लाख 37 हजार 693 बच्चे पैदा हुए, जिनमें 7 लाख 4 हजार 15 लड़के और 6 लाख 66 हजार 678 बेटियां पैदा हुईं. अर्थात 37 हजार 337 बेटियां कम पैदा हुईं.

यह भी पढ़ेंः विधानसभा में गूंजा सांभर झील में पक्षियों की मौत का मामला, भाजपा ने लगाया यह आरोप तो वन मंत्री ने इस तरह दी सफाई

साल 2018 में प्रतिदिन 100 बेटियां कम पैदा हुईं थीं. वहीं साल 2019 में प्रतिदिन 102 बेटियां कम पैदा हुई हैं. सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी ने प्रदेश के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया तो सामने आया कि साल 2018 की बजाय साल 2019 में टोंक जिले में सबसे अधिक 65 अंकों की गिरावट आई है. अर्थात टोंक जिले में बेटियों की संख्या में गत साल की तुलना में भारी कमी आई है.

यह भी पढ़ेंः GST को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर SC की रोक

साल 2018 में जीवित शिशु जन्म दर के अनुसार बालिका लिंगानुपात 956 था, जबकि साल 2019 में बालिका लिंगानुपात 891 है. साल 2018 में टोंक जिले में 13 हजार 252 लड़के और 12 हजार 675 लड़कियां पैदा हुई थी, जबकि साल 2019 में 13 हजार 232 लड़कों की तुलना में 11 हजार 793 लड़कियां पैदा हुई हैं. राज्य में सबसे अधिक गिरावट टोंक जिले में ही दर्ज की गई है. इससे पहले साल 2014 में 963, साल 2015 में 915, साल 2016 में 992, साल 2017 में 935 बालिका लिंगानुपात का लगातार ट्रेड रहा है.

PCPNDT एक्ट में कई उल्लेखनीय कार्रवाईयों में सहयोगी रहे

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वहीं टोंक जिले का साल 2016 का बालिका लिंगानुपात 992 था, जिसके अनुसार साल 2019 के गिरावट 101 अंक तक हुई है. टोंक से वर्तमान में राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट विधायक हैं. उनके जिले के बालिका लिंगानुपात में सबसे अधिक गिरावट आई है. टोंक जिले में लिंग जांच और चयन करने के आरोप में कई आरोपी पकड़े भी गए, लेकिन लगता है कि दोबारा लिंक जांच का कार्य जारी रहने के कारण शायद अत्यधिक गिरावट टोंक जिले में देखी गई है.

यह भी पढ़ेंः सीएम गहलोत ने दी 'राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना' में 10 करोड़ के अतिरिक्त बजट को मंजूरी

टोंक के बाद चूरू जिले में गत साल की तुलना में 30 अंकों की गिरावट आई है. साल 2018 में जीवित शिशु जन्म दर के अनुसार बालिका लिंगानुपात 992 था, जो साल 2019 में घटकर 962 रह गया है. चूरू जिले का घटते लिंगानुपात में दूसरा स्थान रहा है. इसी तरह करौली जिले में 16 अंकों की कमी आई है, जो तीसरे स्थान पर गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा जिन जिलों में बालिका लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है, उनमें हनुमानगढ़ में 12 अंक, दौसा में 14 अंक, बारां में 11 अंक, धौलपुर में 10 अंक, सिरोही में 14 अंक और सीकर में 10 अंक सहित 18 जिलों में कमी आई है.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल: सत्ता बदलने वाली सड़कों में सियासत के 'हिचकोले'

वहीं श्रीगंगानगर जिले में साल 2018 और 2019 में 937 अंक ही रहा है. सबसे अधिक वृद्धि करने वाले जिले में जैसलमेर और सवाई माधोपुर जिले हैंं. जहां दोनों ही जिलों में 23 अंकों की वृद्धि हुई है. जैसलमेर में साल 2018 में 936 अंक था, जो बढ़कर 959 हो गया. वहीं सवाई माधोपुर में 23 अंक बड़े हैं, जहां 905 से बढ़कर 928 अंक हुए हैं. दूसरे स्थान पर बीकानेर में 21 अंकों की वृद्धि हुई है. साल 2018 में 953 था, जो साल 2019 में बढ़कर 974 हो गया है. इसी तरह तीसरे स्थान पर प्रतापगढ़ में 19 अंकों की वृद्धि हुई है.

झुंझुनू. बालिका लिंगानुपात में सबसे अधिक गिरावट टोंक जिले में. टोंक के बाद दूसरे नंबर पर चूरू जिले में दर्ज की गई है, बालिका लिंगानुपात में गिरावट. राज्य में पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन से बालिका लिंगानुपात में गत 7 साल से लगातार सुधार हो रहा था. लेकिन साल 2019 में 1 अंक की गिरावट दर्ज की गई है. कैलेंडर वर्ष के अनुसार साल 2018 में जीवित शिशु जन्म दर के अनुसार बालिका लिंगानुपात 948 था, जो साल 2019 में 1 अंक घटकर 947 हो गया.

उप मुख्यमंत्री पायलट के क्षेत्र में बालिका लिंगानुपात में भारी गिरावट...

साल 2018 में 13 लाख 55 हजार 486 बच्चे पैदा हुए थे, जिनमें छह लाख 95 हजार 944 लड़के और 6 लाख 59 हजार 542 लड़कियां पैदा हुईं थीं. अर्थात 36 हजार 402 बेटियां लड़कों से कम पैदा हुईं थीं. इसी तरह साल 2019 में कुल 1 लाख 37 हजार 693 बच्चे पैदा हुए, जिनमें 7 लाख 4 हजार 15 लड़के और 6 लाख 66 हजार 678 बेटियां पैदा हुईं. अर्थात 37 हजार 337 बेटियां कम पैदा हुईं.

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साल 2018 में प्रतिदिन 100 बेटियां कम पैदा हुईं थीं. वहीं साल 2019 में प्रतिदिन 102 बेटियां कम पैदा हुई हैं. सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी ने प्रदेश के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया तो सामने आया कि साल 2018 की बजाय साल 2019 में टोंक जिले में सबसे अधिक 65 अंकों की गिरावट आई है. अर्थात टोंक जिले में बेटियों की संख्या में गत साल की तुलना में भारी कमी आई है.

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साल 2018 में जीवित शिशु जन्म दर के अनुसार बालिका लिंगानुपात 956 था, जबकि साल 2019 में बालिका लिंगानुपात 891 है. साल 2018 में टोंक जिले में 13 हजार 252 लड़के और 12 हजार 675 लड़कियां पैदा हुई थी, जबकि साल 2019 में 13 हजार 232 लड़कों की तुलना में 11 हजार 793 लड़कियां पैदा हुई हैं. राज्य में सबसे अधिक गिरावट टोंक जिले में ही दर्ज की गई है. इससे पहले साल 2014 में 963, साल 2015 में 915, साल 2016 में 992, साल 2017 में 935 बालिका लिंगानुपात का लगातार ट्रेड रहा है.

PCPNDT एक्ट में कई उल्लेखनीय कार्रवाईयों में सहयोगी रहे

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वहीं टोंक जिले का साल 2016 का बालिका लिंगानुपात 992 था, जिसके अनुसार साल 2019 के गिरावट 101 अंक तक हुई है. टोंक से वर्तमान में राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट विधायक हैं. उनके जिले के बालिका लिंगानुपात में सबसे अधिक गिरावट आई है. टोंक जिले में लिंग जांच और चयन करने के आरोप में कई आरोपी पकड़े भी गए, लेकिन लगता है कि दोबारा लिंक जांच का कार्य जारी रहने के कारण शायद अत्यधिक गिरावट टोंक जिले में देखी गई है.

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टोंक के बाद चूरू जिले में गत साल की तुलना में 30 अंकों की गिरावट आई है. साल 2018 में जीवित शिशु जन्म दर के अनुसार बालिका लिंगानुपात 992 था, जो साल 2019 में घटकर 962 रह गया है. चूरू जिले का घटते लिंगानुपात में दूसरा स्थान रहा है. इसी तरह करौली जिले में 16 अंकों की कमी आई है, जो तीसरे स्थान पर गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा जिन जिलों में बालिका लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है, उनमें हनुमानगढ़ में 12 अंक, दौसा में 14 अंक, बारां में 11 अंक, धौलपुर में 10 अंक, सिरोही में 14 अंक और सीकर में 10 अंक सहित 18 जिलों में कमी आई है.

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वहीं श्रीगंगानगर जिले में साल 2018 और 2019 में 937 अंक ही रहा है. सबसे अधिक वृद्धि करने वाले जिले में जैसलमेर और सवाई माधोपुर जिले हैंं. जहां दोनों ही जिलों में 23 अंकों की वृद्धि हुई है. जैसलमेर में साल 2018 में 936 अंक था, जो बढ़कर 959 हो गया. वहीं सवाई माधोपुर में 23 अंक बड़े हैं, जहां 905 से बढ़कर 928 अंक हुए हैं. दूसरे स्थान पर बीकानेर में 21 अंकों की वृद्धि हुई है. साल 2018 में 953 था, जो साल 2019 में बढ़कर 974 हो गया है. इसी तरह तीसरे स्थान पर प्रतापगढ़ में 19 अंकों की वृद्धि हुई है.

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