चिड़ावा (झुंझुनूं). करीब 475 वर्ष पुराने प्राचीन कल्याणप्रभु मंदिर में मंदिर लगातार पिछले 19 साल से हिण्डौला महोत्सव मनाया जा रहा है. रविवार को मंदिर में धूमधाम से हिण्डौला महोत्सव का आयोजन किया गया. नगरदेव के रूप में पूजे जाने वाले कल्याणप्रभू मंदिर में हिण्डौला महोत्सव को लेकर विशेष धार्मिक आयोजन किये जाते है. मंदिर में जगमगाती लाइटे और आकर्षक फूलों से सजावट मुख्य आकर्षण का केंद्र रहती है. हिण्डौला महोत्सव पर आयोजित होने वाले धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए चिड़ावा समेत आस-पास के गांवों के श्रद्धालु काफी संख्या में पहुंचते है.
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इस प्राचीन मंदिर में हिण्डौला महोत्सव की शुरुआत करने वाले मंदिर के पुजारी प्रदीप पुजारी ने बताया कि हिण्डौला महोत्सव की शुरुआत उनके द्वारा की गई. इसके बाद से लगातार 19 साल से ये आयोजन लगातार चला आ रहा है. हिण्डौला महोत्सव में बाल गोपाल को झूले में विराजमान किया जाता है और फिर श्रद्धालु उन्हें झूला झुलाते है. बाल गोपाल के झूले की आकर्षक सजावट की जाती है तथा छप्पन भोग की झांकी भी सजाई जाती है.क्या है दंतकथा
नगरदेव कल्याण प्रभू मंदिर की स्थापना की कहानी भी काफी रोचक है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि खेतड़ी ठिकाने के अनुसार इस मंदिर की स्थापना 475 साल पहले हुई. औरंगजेब ने जब आक्रामण कर दिया, तब एक राहगीर एक मूर्ति को लेकर यहां पर आए और रात्रि को इस स्थान पर विश्राम किया. सुबह जब राहगीर उठा और मूर्ति को लेकर जाने लगा तो मूर्ति उससे उठी नहीं. इसके बाद उस मूर्ति की स्थापना चिड़ावा शहर के मैन मार्केट में कर दी गई. इस मंदिर को चिड़ावा के नगरदेव भी माना जाता है. यहां पर हर साल बड़े महोत्सव आयोजित होते है. जैसे कि श्री कृष्ण जन्मोत्सव, शरद पूर्णिमा महोत्सव एवं अन्नकूट महोत्सव और हिण्डौला महोत्सव आदि.