झुंझुनू. आंखें नम थी, दिल गर्वित था. घर शोकाकुल था, गांव गौरवान्वित था. हर कोई अपने लाल की एक झलक पाने को बेताब था. ह्रदय में करुण क्रंदन और हर जुबां पर बस एक ही स्वर था... विक्रम सिंह तुम अमर रहोगे, हमेशा हमारे दिल में. लद्दाख में शहीद हुए झुंझुनू के भोड़की गांव के विक्रम सिंह की पार्थिव देह बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गई. 10 साल के बेटे हर्ष सिंह ने अपने शहीद पिता को मुखाग्नि दी. यह मंजर देख हर किसी की आंखें भर आई. इससे पहले शहीद विक्रम सिंह नरूका का पार्थिव शरीर सुबह पैतृक गांव भोड़की पहुंचा. जैसे ही उनकी पार्थिव देह घर पहुंची, परिवार में कोहराम मच गया. परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था. गांव में भारत माता की जय और शहीद विक्रम सिंह अमर रहेंगे जैसे जयघोष से आसमां गूंज रहा था.
10 साल के बेटे ने दी मुखाग्नि...
शहीद विक्रम सिंह का बुधवार को पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ. उनके 10 वर्षीय बेटे हर्ष सिंह ने उन्हे मुखाग्नि दी. वहीं, पूरे गांव में मां भारती के लाल की जयघोष से गूंजता रहा. जिले के प्रभारी मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि झुंझुनू जिला मां भारती की रक्षा में सदैव ही अग्रिम रहा है. यहां के कण-कण में वीरता समाई हुई है. देश की रक्षा के लिए वीर सपूतों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए. चाहे फर्स्ट वर्ल्ड वॉर हो या कारगिल युद्ध, झुंझुनू का नाम शहीदों की धरा के नाम से पूरे देश में जाना पहचाना जाता है. इसी का नतीजा है कि अब तक अकेले जिले से करीब 470 शहीद हो चुके हैं. सेना की ओर से शहीद को श्रद्धांजलि दी और सलामी देकर अंतिम विदाई दी. इस दौरान जिला कलेक्टर उमरदीन खान, स्थानीय विधायक समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे.
पढ़ें: लद्दाख में शहीद हुआ शेखावाटी का लाल विक्रम सिंह, गांव में शोक की लहर
हादसे में शहीद हुआ लाल...
बता दें कि जिले के भोड़की गांव के लाडले विक्रम सिंह नरूका मां भारती की रक्षा करते हुए लद्दाख में शहीद हो गए. विक्रम सिंह 2002 में सेना में भर्ती हुए थे और अपनी उत्कृष्ट सेवाएं देते रहे. जिनके बदौलत वे लांस नायक बनाए गए. वह वर्तमान में लद्दाख में अपनी सेवाएं दे रहे थे. वहां पर गश्त के दौरान वह टैंक चला रहे थे कि अचानक टैंक पलट गया और वह उसके नीचे दब गए.