ETV Bharat / state

Special: लुट रहा है किसान का कारवां.... 'राम' और 'राज' दोनों रूठे - टिड्डी दल का हमला

पिछले कुछ दिन से झुंझुनू में टिड्डी दल का आतंक बढ़ता जा रहा है. जिले में कई जगह टिड्डी दलों ने फसलों को काफी नुकसान भी पहुंचाया है. जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें छा गई हैं. देखें ये रिपोर्ट....

झुंझुनू में किसान परेशान,  झुंझुनू में टिड्डी दल,  Jhunjhnu news,  rajasthan news,  etvbharat news,  rajasthan hindi news,  झुंझुनू की खबर,  झुंझुनू में कोरोना,  टिड्डी दल का हमला
टिड्डी दल का आतंक
author img

By

Published : Jul 5, 2020, 10:30 PM IST

झुंझुनू. 2 जून की रोटी के लिए शेखावाटी के ज्यादातर किसान और उनके बच्चे महानगरों की ओर कुछ कमाने की आस लिए जाते हैं और अपना खून-पसीना गलाते हैं. ऐसे में जब कोरोना महामारी का दौर चला तो वे लोग अपने गांव लौट आए. उन्होंने सोचा कि छोटा ही सही लेकिन मेहनत करेंगे, तो खेत में इतना अनाज तो हो ही जाएगा, जिससे साल भर के लिए पेट की भूख शांत हो जाए.

किसानों के किस्मत पर टिड्डियों का काला साया

लेकिन खेती के दौरान आवारा पशुओं ने किसानों की छाती पर मूँग दलने का काम किया. आवारा पशु बार-बार किसानों के फसल को चौपट करने लगे, ऐसे में कुछ जमा पूंजी से किसान कंटीले तार लेकर आए. कंटीले तारों को किसानों ने खेतों के चारों ओर लगा दिए. दूसरी ओर मौसम की मार ने किसानों के दिन-रात की मेहनत पर पानी फेर दिया. वहीं अब टिड्डी दल भी किसानों के किस्मत पर बट्टा लगाने के लिए आ गया है.

झुंझुनू में किसान परेशान,  झुंझुनू में टिड्डी दल,  Jhunjhnu news,  rajasthan news,  etvbharat news,  rajasthan hindi news,  झुंझुनू की खबर,  झुंझुनू में कोरोना,  टिड्डी दल का हमला
टिड्डी दल ने डाला डेरा

पढ़ेंः Special : मौत के बाद भी नहीं मिल रहा 'मोक्ष'...विभागों के चक्कर काटने को मजबूर परिजन

अब तक आ चुके हैं 25 दल-

जिले में 27 साल पहले 1993 में टिड्डियों का दल आया था. जबकि 2020 में अकेले मई और जून में पांच बार 25 दल टिड्डियों के आने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. इन दलों ने खेतों में बाजरे और कपास की फसल को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ पेड़-पौधों को भी चट कर दिया है.

झुंझुनू में किसान परेशान,  झुंझुनू में टिड्डी दल,  Jhunjhnu news,  rajasthan news,  etvbharat news,  rajasthan hindi news,  झुंझुनू की खबर,  झुंझुनू में कोरोना,  टिड्डी दल का हमला
टिड्डी भगाने का प्रयास करता किसान

1993 में टिड्डी दल नवलगढ़ में प्रवेश कर भाटीवाड़ होते हुए आगे निकला था. उस समय टिड्डियों ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया था. वहीं अब तो झुंझुनू का ऐसा कोई गांव नहीं बचा है, जहां पर टिड्डियां नहीं आई हो. वहीं टिड्डियों के दल का आकार पांच किलोमीटर लंबा और दो किलोमीटर तक चौड़ा है.

पढ़ेंः Special: राजस्थान का पहला 'सब्जी उत्कृष्टता केंद्र' बनकर तैयार, किसानों को मिलेगा ऐसे फायदा

जिले में इससे पहले टिड्डी दल ने 19 मई को चूरू से खेतड़ी में प्रवेश कर पहला पड़ाव डाला था. दूसरे दल ने 28 मई को सूरजगढ़ में प्रवेश किया था, वहीं तीसरे दल ने सीकर से 21 मई को झाझड़, खिरोड़, नवलगढ़ तहसील में और चौथे दल ने फिर से चूरू से प्रवेश कर मलसीसर और नवलगढ़ तहसील से होते हुए सीकर में प्रवेश कर गया था. वहीं पांचवें दल ने फिर चूरू से प्रवेश कर रात में वहीं पड़ाव डालकर अगले दिन हरियाणा को निकल गया.

खून के आंसू रुला रहा टिड्डी दल-

अब तो आए दिन कोई न कोई टिड्डी दल कहीं से भी प्रवेश कर रहा है और किसानों को खून के आंसू रुला रहा है. कृषि विभाग पूरा प्रयास तो कर रहा है. लेकिन संसाधन नहीं होने की वजह से टिड्डियों का खात्मा करना उनके बस की बात नहीं है.

पढ़ेंः Special: चाइनिज फर्निचर पर 25 फीसदी डंपिंग ड्यूटी लगाने से जोधपुर हैंडीक्राफ्ट को मिलेगा सहारा

इस बार जिले में और भी टिड्डी दलों के आने की संभावना है, क्योंकि बहुत सारे दल पाकिस्तान की सीमा से राजस्थान में प्रवेश कर रहे हैं. यह टिड्डियों के प्रजनन का उपयुक्त समय है. ऐसे में उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए दल के आने तक किसान अपने खेतों में विभिन्न प्रकार के यंत्रों, बरतन, पीपे या अन्य आवाज करने वाले साधनों से आवाज कर उनको भगाने का असफल प्रयास करने के अलावा अपनी किस्मत पर रोना ही कर सकता है.

झुंझुनू. 2 जून की रोटी के लिए शेखावाटी के ज्यादातर किसान और उनके बच्चे महानगरों की ओर कुछ कमाने की आस लिए जाते हैं और अपना खून-पसीना गलाते हैं. ऐसे में जब कोरोना महामारी का दौर चला तो वे लोग अपने गांव लौट आए. उन्होंने सोचा कि छोटा ही सही लेकिन मेहनत करेंगे, तो खेत में इतना अनाज तो हो ही जाएगा, जिससे साल भर के लिए पेट की भूख शांत हो जाए.

किसानों के किस्मत पर टिड्डियों का काला साया

लेकिन खेती के दौरान आवारा पशुओं ने किसानों की छाती पर मूँग दलने का काम किया. आवारा पशु बार-बार किसानों के फसल को चौपट करने लगे, ऐसे में कुछ जमा पूंजी से किसान कंटीले तार लेकर आए. कंटीले तारों को किसानों ने खेतों के चारों ओर लगा दिए. दूसरी ओर मौसम की मार ने किसानों के दिन-रात की मेहनत पर पानी फेर दिया. वहीं अब टिड्डी दल भी किसानों के किस्मत पर बट्टा लगाने के लिए आ गया है.

झुंझुनू में किसान परेशान,  झुंझुनू में टिड्डी दल,  Jhunjhnu news,  rajasthan news,  etvbharat news,  rajasthan hindi news,  झुंझुनू की खबर,  झुंझुनू में कोरोना,  टिड्डी दल का हमला
टिड्डी दल ने डाला डेरा

पढ़ेंः Special : मौत के बाद भी नहीं मिल रहा 'मोक्ष'...विभागों के चक्कर काटने को मजबूर परिजन

अब तक आ चुके हैं 25 दल-

जिले में 27 साल पहले 1993 में टिड्डियों का दल आया था. जबकि 2020 में अकेले मई और जून में पांच बार 25 दल टिड्डियों के आने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. इन दलों ने खेतों में बाजरे और कपास की फसल को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ पेड़-पौधों को भी चट कर दिया है.

झुंझुनू में किसान परेशान,  झुंझुनू में टिड्डी दल,  Jhunjhnu news,  rajasthan news,  etvbharat news,  rajasthan hindi news,  झुंझुनू की खबर,  झुंझुनू में कोरोना,  टिड्डी दल का हमला
टिड्डी भगाने का प्रयास करता किसान

1993 में टिड्डी दल नवलगढ़ में प्रवेश कर भाटीवाड़ होते हुए आगे निकला था. उस समय टिड्डियों ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया था. वहीं अब तो झुंझुनू का ऐसा कोई गांव नहीं बचा है, जहां पर टिड्डियां नहीं आई हो. वहीं टिड्डियों के दल का आकार पांच किलोमीटर लंबा और दो किलोमीटर तक चौड़ा है.

पढ़ेंः Special: राजस्थान का पहला 'सब्जी उत्कृष्टता केंद्र' बनकर तैयार, किसानों को मिलेगा ऐसे फायदा

जिले में इससे पहले टिड्डी दल ने 19 मई को चूरू से खेतड़ी में प्रवेश कर पहला पड़ाव डाला था. दूसरे दल ने 28 मई को सूरजगढ़ में प्रवेश किया था, वहीं तीसरे दल ने सीकर से 21 मई को झाझड़, खिरोड़, नवलगढ़ तहसील में और चौथे दल ने फिर से चूरू से प्रवेश कर मलसीसर और नवलगढ़ तहसील से होते हुए सीकर में प्रवेश कर गया था. वहीं पांचवें दल ने फिर चूरू से प्रवेश कर रात में वहीं पड़ाव डालकर अगले दिन हरियाणा को निकल गया.

खून के आंसू रुला रहा टिड्डी दल-

अब तो आए दिन कोई न कोई टिड्डी दल कहीं से भी प्रवेश कर रहा है और किसानों को खून के आंसू रुला रहा है. कृषि विभाग पूरा प्रयास तो कर रहा है. लेकिन संसाधन नहीं होने की वजह से टिड्डियों का खात्मा करना उनके बस की बात नहीं है.

पढ़ेंः Special: चाइनिज फर्निचर पर 25 फीसदी डंपिंग ड्यूटी लगाने से जोधपुर हैंडीक्राफ्ट को मिलेगा सहारा

इस बार जिले में और भी टिड्डी दलों के आने की संभावना है, क्योंकि बहुत सारे दल पाकिस्तान की सीमा से राजस्थान में प्रवेश कर रहे हैं. यह टिड्डियों के प्रजनन का उपयुक्त समय है. ऐसे में उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए दल के आने तक किसान अपने खेतों में विभिन्न प्रकार के यंत्रों, बरतन, पीपे या अन्य आवाज करने वाले साधनों से आवाज कर उनको भगाने का असफल प्रयास करने के अलावा अपनी किस्मत पर रोना ही कर सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.