झुंझुनू. बिजली चोरी के मामले में कुख्यात रहे झुंझुनू जिले में लोगों को अपनी जिंदगी की भी परवाह नहीं है. इस चोरी के खेल में उच्चाधिकारियों के साथ कर्मचारी और किसान भी शामिल है. जिन किसानों के खेत से 11 हजार केवी की बिजली की तार होकर गुजरती है, वह भी इस लाइन से तार जोड़कर बिजली की चोरी करते है. जबकि इससे करंट लगने का भी खतरा लगा रहता है. बिजली विभाग ने गत दिनों में यहां 6,165 जगहों पर छापेमार की कार्रवाई की थी. इनमें से 4,500 जगह वीसीआर भरी गई है, बाकी जगह अनियमितताएं मिली.
वहीं, अब तक विभाग 2 करोड़ की वसूली भी कर चुका है, बाकी के 7 करोड़ रुपए की वसूली निकाली जा चुकी है, यानी कुल नौ करोड़ रुपए की भी वीसीआर भरी गई है. इसके अलावा 48 नकली ट्रांसफार्मर भी जब्त किए गए हैं. दरअसल, जिले के मलसीसर ब्लॉक को छोड़कर सारा क्षेत्र डार्क जोन में आता है. ऐसे में लोगों ने यहां पर चोरी से कुएं बनवा लिए. लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण बिना कनेक्शन के ही अपने खेत से गुजरती लाइन से चोरी के मामले में शामिल हो गए.
इस तरह से किया जाता है खेल
बिजली चोरी को लेकर चिड़ावा, पिलानी, सूरजगढ़ क्षेत्र में कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें लोगों ने हरियाणा से सस्ते ट्रांसफार्मर खरीद कर लाए और उन्हें खेतों में दबा देते हैं. 11 हजार केवी लाइन से जोड़े तार को इन ट्रांसफार्मर से जोड़कर बिजली चोरी की जाती है. दरअसल, इन गांवों में खेतों से डिस्कॉम की 11 हजार केवी की लाइन गुजरती है, जिससे चोरी करना और सीधे बिजली उपकरण चलाना संभव ही नहीं है, लेकिन चोरी करने वालों ने इसका तरीका भी निकाल लिया. सबसे चौंकाने वाली स्थिति पिलानी के बेरी गांव में सामने आई, जहां बिजली चोरी लगभग 60 प्रतिशत तक बढ़ गई थी.
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लॉकडाउन के दौरान चला कुछ खास खेल
लॉकडाउन के दौरान क्षेत्र के कई गांवों में बिजली चोरी ने डिस्कॉम की नींद उड़ा दी. पिछले साल जहां मार्च और अप्रैल में इन गांवों में बिजली चोरी 25 से 30 प्रतिशत थी. वहीं, इस बार यह 30 से 40 प्रतिशत तक पहुंच गई. अचानक इतनी बिजली चोरी बढ़ने पर जब डिस्कॉम की एक विजिलेंस टीम इन गांवों में पहुंची तो यहा हो रहे बिजली चोरी के तरीकों को देख उनके भी होश उड़ गए.
निगम के अधिकारियों की भी मिलीभगत
निगम के अधिकारियों ने जब अवैध ट्रांसफार्मर पकड़े तो इनमें से एक ट्रांसफार्मर खुद निगम का ही निकला. यह ट्रांसफार्मर कासनी में राजपाल राव के खेत में पांच फीट गहरे गड्ढे में दबाकर रखा हुआ था. राजपाल के खिलाफ बिजली चोरी का मामला बनाने के साथ-साथ डिस्कॉम अधिकारी इस बात की जांच भी कर रहे हैं कि उसने ये ट्रांसफार्मर किससे लिया. हालांकि, इससे मिलीभगत का साफ पता चलता है. कासनी गांव में डिस्कॉम का जो ट्रांसफार्मर चोरी का मिला है, वह 10 केवी का है और इसकी कीमत लगभग 40 हजार रुपए है.
नकली ट्रांसफार्मर के जरिए हाईटेंशन लाइन से चोरी का खेल
दरअसल, बिजली चोरी का यह खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है. खास बात ये है कि यह चोरी साधारण एलटी लाइन से नहीं, बल्कि हाईटेंशन के तार (11 हजार केवी) से की जा रही है, जिससे सीधे लाइन जोड़कर बिजली उपकरण नहीं चला सकते. इसके लिए ये लोग हरियाणा से 30-35 हजार रुपए में जुगाड़ का ट्रांसफार्मर खरीद लाते हैं. इसके बाद रोजाना शाम ढलते ही गांवों में बिजली चोरी का यह खेल शुरू हो जाता है.
आधे दामों पर मिलता है नकली ट्रांसफार्मर
बिजली चोरी करने वाले लोग हरियाणा से जुगाड़ का जो ट्रांसफार्मर खरीद कर लाते हैं, वह 25 केवी का होता है. ये लोग इसे 25 से 30 हजार में खरीदते हैं, थोड़ा सा भी लोड आते ही इसके फटने का डर रहता है. इसलिए लोग इस पर केवल 20 केवी की बोरवेल चलाते हैं. जबकि हकीकत में 25 केवी का ट्रांसफार्मर 60 हजार रुपए में आता है. इसके अलावा डिस्कॉम को इससे भारी नुकसान हो रहा है. चोरी रोकने के लिए भी उसे अपने संसाधन खपाने पड़ रहे हैं. इन सबका भार भी मिलाकर आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है.
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जुर्माना भर सजा से बच रहे लोग
बिजली चोरी को प्रभावी ढंग से रोकने में डिस्कॉम की प्रक्रिया भी नाकाफी है. दरअसल, डिस्कॉम चोरी पकड़े जाने पर वीसीआर भर देता है. कई मामलों में एफआईआर भी दर्ज होती है, लेकिन बाद में इसकी प्रक्रिया काफी लंबी है, जिसमें डिस्कॉम के अधिकारी भी नहीं उलझते. वहीं, आरोपी भी जुर्माना एवं बिल की राशि जमा करवा देते हैं और इस मामले से साफतौर पर बाहर निकल आते हैं.
खुद ही आंकड़ी लगाकर दिखा रहे चोरी
इस बीच सूरजगढ़ के विधायक सुभाष पूनिया ने एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें एईएन ओपी बड़बड़ का एक कर्मचारी गुरुदयाल झाझरिया चोरी को साबित करने के लिए खुद ही बिजली चोरी के लिए आंकडी से तार डालता नजर आया. यह वीडियो जारी करने के बाद बिजली विभाग के अधिकारियों के मुंह नहीं खुल रहे हैं. क्योंकि, सुभाष पूनिया ने राजनीतिक दुर्भावना का आरोप लगाया है. इसके बाद बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना था कि यह कर्मचारी उनका नहीं है और जब सारा रिकॉर्ड दिया गया तो अधिकारियों का कहना था कि इस मामले में जांच करवाएंगे.