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स्पेशल रिपोर्ट: कहीं घी घणा, कहीं थोथा चणा, बाजरा मांग रहा अपनी अंतिम प्यास - झुंझुनू में बारिश

शेखावाटी क्षेत्र में बारिश नहीं होने से खरीफ की फसले बर्बाद होने की कगार पर हैं. मानसून की आखरी बारिश नहीं होने से फसलें धीरे-धीरे खराब हो रही हैं. वहीं बारिश नहीं होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं. दूसरी ओर राजस्थान के कई हिस्सों में इतनी बारिश हो रही है कि बाढ़ के हालात हैं. वहीं किसान आस लगाकर बैठे है कि यदि बारिश हो गई तो उनकी फसल अच्छी हो सकती है.

crop spoiling in jhunjhunu, झुंझुनू में फसल नष्ट
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Published : Sep 18, 2019, 2:12 PM IST

झुंझुनू. राजस्थान में कोटा क्षेत्र में बाढ़ के हालात हैं तो वहीं शेखावाटी क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही है. जिसके बाद क्षेत्र बारिश की बुंद-बुंद के लिए तरस रहा है. शेखावाटी क्षेत्र में लगभग 25 दिन पहले बारिश हुई थी, जिसके बाद नहीं बारिश नहीं हुई है. वहीं मानसून शुरूआत में फसल चक्र के हिसाब से लगभग बारिश पूरी हो रही थी, जिससे लग रहा था कि इस बार की फसल अच्छी होगी. लेकिन लगभग एक महीने से बारिश नहीं होने से अपनी फसलों को लेकर किसान चिंतित हैं.

बारिश नहीं होने से खरीफ की फसले बर्बाद

वहीं किसान भादवा में एक अंतिम बारिश की आस लगाए बैठे हैं. लेकिन बारिश नहीं होने से किसान के सपने दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. किसानों को अभी भी उम्मीद है कि बारिश हो जाने से उनके खेतों में लगी फसल बच जाएगी. क्षेत्र में बोई गई खरीफ की प्रमुख फसल में बाजरा, ग्वार की फली, चवला और मूंग पर सबसे अधिक असर पड़ा है.

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बाजरा की फसल नष्ट होने की कगार पर

बारिश नहीं होने से अब शेखावाटी की खरीफ की प्रमुख फसल बाजरा पूरी तरह से नष्ट होने की कगार पर है. यह समय बाजरा के पकने का होता है, लेकिन बारिश नहीं होने से सही तरीके से पकने के आसार कम ही नजर आ रहे है. वहीं बारिश नहीं होने से बाजरा के फसल की लंबाई नहीं बढ़ी है. दरअसल, बाजरा से महंगा इसका चारा होता है. लेकिन बारिश नहीं होने से चारा भी आधा ही रहने की आशंका है.

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ग्वार में भी नहीं लग रही फलियां

बारिश नहीं होने से बाजरे के साथ-साथ ग्वार के फसल पर भी इसका असर साफ नजर आ रहा है. ग्वार की फसल पूरी तरह से हरी तो हो गई है, लेकिन इनके पौधों में फलियां नहीं आ रही है. ऐसे में यदि अभी बारिश नहीं हुई तो ग्वार की फसल केवल भूसा बनकर रह जाएगी. यह एक नकदी फसल है, जो किसानों की आय का यह एक प्रमुख साधन होता है. इसलिए किसान उम्मीद कर रहे हैं कि यदि थोड़ी और बारिश हो जाती तो फसलों को फायदा हो जाएगा.

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चवला और मूंग की फसलों की कटाई हो गई

बारिश के अभाव में चंवला और मूंग तो पहले ही पक गए. मजबूरी में किसानों को कम फलियों के साथ ही उनको उखाड़ना पड़ा है. ऐसे में किसान को इन दोनों ही फसलों से अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है. अब तो किसान को एक ही आस है, कि किसी तरह से अंतिम बारिश आ जाए तो खाने के लिए बाजरा और बेचने के लिए गवार हो जाए.

झुंझुनू. राजस्थान में कोटा क्षेत्र में बाढ़ के हालात हैं तो वहीं शेखावाटी क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही है. जिसके बाद क्षेत्र बारिश की बुंद-बुंद के लिए तरस रहा है. शेखावाटी क्षेत्र में लगभग 25 दिन पहले बारिश हुई थी, जिसके बाद नहीं बारिश नहीं हुई है. वहीं मानसून शुरूआत में फसल चक्र के हिसाब से लगभग बारिश पूरी हो रही थी, जिससे लग रहा था कि इस बार की फसल अच्छी होगी. लेकिन लगभग एक महीने से बारिश नहीं होने से अपनी फसलों को लेकर किसान चिंतित हैं.

बारिश नहीं होने से खरीफ की फसले बर्बाद

वहीं किसान भादवा में एक अंतिम बारिश की आस लगाए बैठे हैं. लेकिन बारिश नहीं होने से किसान के सपने दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. किसानों को अभी भी उम्मीद है कि बारिश हो जाने से उनके खेतों में लगी फसल बच जाएगी. क्षेत्र में बोई गई खरीफ की प्रमुख फसल में बाजरा, ग्वार की फली, चवला और मूंग पर सबसे अधिक असर पड़ा है.

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बाजरा की फसल नष्ट होने की कगार पर

बारिश नहीं होने से अब शेखावाटी की खरीफ की प्रमुख फसल बाजरा पूरी तरह से नष्ट होने की कगार पर है. यह समय बाजरा के पकने का होता है, लेकिन बारिश नहीं होने से सही तरीके से पकने के आसार कम ही नजर आ रहे है. वहीं बारिश नहीं होने से बाजरा के फसल की लंबाई नहीं बढ़ी है. दरअसल, बाजरा से महंगा इसका चारा होता है. लेकिन बारिश नहीं होने से चारा भी आधा ही रहने की आशंका है.

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ग्वार में भी नहीं लग रही फलियां

बारिश नहीं होने से बाजरे के साथ-साथ ग्वार के फसल पर भी इसका असर साफ नजर आ रहा है. ग्वार की फसल पूरी तरह से हरी तो हो गई है, लेकिन इनके पौधों में फलियां नहीं आ रही है. ऐसे में यदि अभी बारिश नहीं हुई तो ग्वार की फसल केवल भूसा बनकर रह जाएगी. यह एक नकदी फसल है, जो किसानों की आय का यह एक प्रमुख साधन होता है. इसलिए किसान उम्मीद कर रहे हैं कि यदि थोड़ी और बारिश हो जाती तो फसलों को फायदा हो जाएगा.

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चवला और मूंग की फसलों की कटाई हो गई

बारिश के अभाव में चंवला और मूंग तो पहले ही पक गए. मजबूरी में किसानों को कम फलियों के साथ ही उनको उखाड़ना पड़ा है. ऐसे में किसान को इन दोनों ही फसलों से अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है. अब तो किसान को एक ही आस है, कि किसी तरह से अंतिम बारिश आ जाए तो खाने के लिए बाजरा और बेचने के लिए गवार हो जाए.

Intro:शेखावाटी में अंतिम बारिश की आस में फसलें तिल तिल कर मरने को मजबूर हैं तो दूसरी ओर राजस्थान के कई हिस्सों में अच्छी खासी बारिश हो रही है। आस है कि यदि अंतिम बारिश आ गई तो उनकी फसल अच्छी हो सकती है।


Body:झुंझुनू। राजस्थान में कोटा क्षेत्र में बाढ़ के हालात तो हो रखे हैं लेकिन शेखावाटी बारिश की बूंद बूंद के लिए तरस रहा है। शेखावाटी में लगभग 25 से ऊपर दिन बीत चुके हैं और इस बीच कहीं पानी नहीं बरसा है। इससे पहले फसल चक्र के हिसाब से लगभग बारिश पूरी आ रही थी और लग रहा था कि बंपर फसल होगी। इसके बाद भादवा में एक अंतिम बारिश की जरूरत थी लेकिन यह बारिश नहीं होने से किसान के सपने दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। उनकी आंखों में अब भी आस है कि बारिश की बूंदे आएंगी और उनके खेत खलिहान भरे नजर आएंगे।

बाजरा तिल तिल मर रहा
बारिश नहीं होने से अब शेखावाटी की खरीफ की प्रमुख फसल बाजरा पूरी तरह से तिल तिल मरने पर मजबूर है। इस समय उसके पकने का समय होता है लेकिन बारिश नहीं होने से सही तरीके से पकने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। वही दरअसल बाजरा से महंगा इसका चारा होता है लेकिन बारिश नहीं होने से इसकी लंबाई भी कम ही रह जाएगी और इसलिए चारा भी आधा ही रहने की आशंका है।

गवार के भी नहीं लग रही फलियां
इस तरह से ग्वार की फसल के साथ भी यही होने जा रहा है। अभी ग्वार की फसल पूरी तरह से हरी झक खड़ी हुई है लेकिन इसके फलियां नहीं आ रही है। ऐसे में यदि अभी बारिश नहीं आई तो ग्वार की फसल केवल भूसा बनकर रह जाएगा। यह एक नकदी फसल है और इसलिए किसान की आय का यह एक प्रमुख साधन होता है। इसलिए किसान को यह भी आशा है कि यदि अब भी 5 7 अंगुल भी यदि बारिश आ जाए तो फायदा हो जाए।

चंवला और मूंग की तो हो गई लावणी
दरअसल बारिश के अभाव में चंवला व मूंग तो पहले ही पक गए और मजबूरी में किसानों को कम फलियों के साथ ही उनको उखाड़ना पड़ा है। ऐसे में किसान को इन दोनों ही फसलों से अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है अब तो किसान को एक ही आस है कि किसी तरह से अंतिम बारिश आ जाए तो खाने के लिए बाजरा और बेचने के लिए गवार हो जाए।

बाइट

किसान
रामानंद जाट

महादेव स्वामी

प्रभुदयाल जांगिड़


Conclusion:
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