झुंझुनू. राजस्थान में कोटा क्षेत्र में बाढ़ के हालात हैं तो वहीं शेखावाटी क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही है. जिसके बाद क्षेत्र बारिश की बुंद-बुंद के लिए तरस रहा है. शेखावाटी क्षेत्र में लगभग 25 दिन पहले बारिश हुई थी, जिसके बाद नहीं बारिश नहीं हुई है. वहीं मानसून शुरूआत में फसल चक्र के हिसाब से लगभग बारिश पूरी हो रही थी, जिससे लग रहा था कि इस बार की फसल अच्छी होगी. लेकिन लगभग एक महीने से बारिश नहीं होने से अपनी फसलों को लेकर किसान चिंतित हैं.
वहीं किसान भादवा में एक अंतिम बारिश की आस लगाए बैठे हैं. लेकिन बारिश नहीं होने से किसान के सपने दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. किसानों को अभी भी उम्मीद है कि बारिश हो जाने से उनके खेतों में लगी फसल बच जाएगी. क्षेत्र में बोई गई खरीफ की प्रमुख फसल में बाजरा, ग्वार की फली, चवला और मूंग पर सबसे अधिक असर पड़ा है.
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बाजरा की फसल नष्ट होने की कगार पर
बारिश नहीं होने से अब शेखावाटी की खरीफ की प्रमुख फसल बाजरा पूरी तरह से नष्ट होने की कगार पर है. यह समय बाजरा के पकने का होता है, लेकिन बारिश नहीं होने से सही तरीके से पकने के आसार कम ही नजर आ रहे है. वहीं बारिश नहीं होने से बाजरा के फसल की लंबाई नहीं बढ़ी है. दरअसल, बाजरा से महंगा इसका चारा होता है. लेकिन बारिश नहीं होने से चारा भी आधा ही रहने की आशंका है.
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ग्वार में भी नहीं लग रही फलियां
बारिश नहीं होने से बाजरे के साथ-साथ ग्वार के फसल पर भी इसका असर साफ नजर आ रहा है. ग्वार की फसल पूरी तरह से हरी तो हो गई है, लेकिन इनके पौधों में फलियां नहीं आ रही है. ऐसे में यदि अभी बारिश नहीं हुई तो ग्वार की फसल केवल भूसा बनकर रह जाएगी. यह एक नकदी फसल है, जो किसानों की आय का यह एक प्रमुख साधन होता है. इसलिए किसान उम्मीद कर रहे हैं कि यदि थोड़ी और बारिश हो जाती तो फसलों को फायदा हो जाएगा.
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चवला और मूंग की फसलों की कटाई हो गई
बारिश के अभाव में चंवला और मूंग तो पहले ही पक गए. मजबूरी में किसानों को कम फलियों के साथ ही उनको उखाड़ना पड़ा है. ऐसे में किसान को इन दोनों ही फसलों से अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है. अब तो किसान को एक ही आस है, कि किसी तरह से अंतिम बारिश आ जाए तो खाने के लिए बाजरा और बेचने के लिए गवार हो जाए.