झुंझुनू. केंद्र सरकार की ओर से लाए गए श्रमिक कानून के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ की ओर से कलेक्ट्रेट के बाहर धरना देकर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. धरने को संबोधित करते हुए भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री दीनानाथ रूथला ने कहा कि श्रम कानूनों के सरलीकरण की आड़ में केंद्र सरकार ने श्रमिक विरोधी कानून बनाए हैं, इससे श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा. औद्योगिक श्रम संबंध संहिता में जो प्रावधान किए गए हैं, वे एक तरफा हैं. भारतीय मजदूर संघ की ओर से दिए गए सुझाव को केंद्र सरकार ने नहीं माना.
मजदूर संघ हमेशा करेगा विरोध...
उनका कहना है कि मजदूर हितों के खिलाफ जो प्रावधान रखे गए हैं, उसका भारतीय मजदूर संघ पुरजोर विरोध करता है. बताया गया कि केंद्र सरकार श्रम संहिता के नियम बना रही है, जिसमें भारतीय मजदूर संघ की आपत्तियों की समीक्षा करनी चाहिए. देश के उत्पादन व विकास में मजदूरों की अहम भूमिका है. श्रमिकों के लिए प्रावधान सरल होने चाहिए थे, जबकि कई तरह के अव्यावहारिक प्रावधान लागू करने से मजदूरों का शोषण होगा. औद्योगिक संस्थानों की मनमर्जी बढ़ेगी. श्रमिकों व कर्मचारियों को निजीकरण व श्रम कानूनों के खिलाफ सक्रिय होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करनी होगी.
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कानून को निरस्त करने की मांग...
अध्यक्षता जिला अध्यक्ष श्याम लाल सैनी ने की धरने के बाद प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन देकर श्रमिक विरोधी कानूनों को निरस्त करने की मांग की. धरने में सेवा निर्वत विद्युत श्रमिक संघ के अध्यक्ष केवी, विशिष्ट महामंत्री ईश्वर लाल शर्मा, कॉपर ठेकेदार मजदूर संघ के अध्यक्ष राजकुमार, केसीएमएस के महामंत्री रामलाल वर्मा, कुलदीप सक्सेना, विजेंद्र सिंह, हरिलाल, दीनदयाल सोनी, उमराव सिंह, दुर्ग पाल सिंह, फूलचंद कच्छावा, ओम सिंह, वीरेंद्र कुमार सैनी, नत्थू राम सैनी, मनीराम, कैलाशपति वर्मा, रामावतार शर्मा, राजवीर, नानूराम सैनी, रिछपाल सैनी, कमलेश मीणा आदि लोग मौजूद रहे.
श्रम कानूनों में विसंगति के विरोध में ज्ञापन...
धरने के दौरान विद्युत श्रमिक संघ के आह्वान पर कर्मचारियों ने डिस्कॉम में बढ़ते निजीकरण व कोरोना काल में वेतन कटौती के विरोध में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. विद्युत श्रमिक संघ के जिला अध्यक्ष देवकरण सैनी महामंत्री वीरेंद्र सिंह तोमर व संगठन मंत्री सुरेश शर्मा की ओर से दिए ज्ञापन में बताया कि बिजली कंपनियां डिस्कॉम में अधिकांश काम ठेके पर दे रही है, इससे घाटा बढ़ेगा. इसका असर उपभोक्ता व कर्मचारियों पर पड़ेगा. इसलिए निजीकरण को रोका जाए, वेतन कटौती के आदेश को वापस लिया जाए.