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झुंझुनू में 50 लाख की लागत से बना नाला 2 महीने में टूटा

झुंझुनू शहर में 50 लाख की लागत से बने नाला टूट गया है. इस नाले का निर्माण महज 2 महीने पहले ही हुआ था.

jhunjhunu news, झुंझुनू खबर
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Published : Aug 20, 2019, 8:39 PM IST

झुंझुनू. नगर परिषद में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि जिला कलेक्टर के निवास के आगे बनाया गया नाला भी दो माह में टूट गया. ऐसे में अन्य नालो या सड़कों की तो बात करना ही बेमानी है.

50 लाख की लागत से बना नाला 2 महीने में टूटा

महज दो महीने पहले बनाया गया नाले की दीवार पहले ही मानसून में ढह गई है. बड़ी बात यह है कि नाला अभी 3 साल की गारंटी अवधि में है. अब ठेकेदार का कहना है कि जब नाले के लिए खुदाई की गई तो उसके नीचे पहले से ही पाइपलाइन डाली हुई थी जिसके चलते नाले का बेस मजबूत नहीं बन सका. अब सवाल उठता है क्या नगर परिषद नाले की स्थिति से अवगत नहीं था. दरअसल, कलेक्टर निवास व अन्य अधिकारियों के बंगले शहर के सबसे पाश व वीआईपी इलाके में बने हुए हैं. ऐसे में यदि इसी जगह पर ही इस तरह से घटिया निर्माण किया जाता है तो अन्य जगहों के हालातों का तो अंदाजा लगाया जा सकता है.

यह भी पढ़ें: स्पेशल स्टोरी: राजस्थान के इस दरगाह पर बहती है गंगा जमुनी तहजीब की धारा...हिंदू-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं जन्माष्टमी

यह नाला कलेक्टर के बंगले से शुरू होकर रेलवे स्टेशन तक बनाया गया है. नाले की लागत लगभग 50 लाख रुपए बताई जा रही है. बता दें कि इस नाले के निर्माण के लिए पहले ठेका किसी दूसरी कंपनी को दिया गया था. बाद में इसका ठेका दूसरी कंपनी को दे दिया गया.

झुंझुनू. नगर परिषद में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि जिला कलेक्टर के निवास के आगे बनाया गया नाला भी दो माह में टूट गया. ऐसे में अन्य नालो या सड़कों की तो बात करना ही बेमानी है.

50 लाख की लागत से बना नाला 2 महीने में टूटा

महज दो महीने पहले बनाया गया नाले की दीवार पहले ही मानसून में ढह गई है. बड़ी बात यह है कि नाला अभी 3 साल की गारंटी अवधि में है. अब ठेकेदार का कहना है कि जब नाले के लिए खुदाई की गई तो उसके नीचे पहले से ही पाइपलाइन डाली हुई थी जिसके चलते नाले का बेस मजबूत नहीं बन सका. अब सवाल उठता है क्या नगर परिषद नाले की स्थिति से अवगत नहीं था. दरअसल, कलेक्टर निवास व अन्य अधिकारियों के बंगले शहर के सबसे पाश व वीआईपी इलाके में बने हुए हैं. ऐसे में यदि इसी जगह पर ही इस तरह से घटिया निर्माण किया जाता है तो अन्य जगहों के हालातों का तो अंदाजा लगाया जा सकता है.

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यह नाला कलेक्टर के बंगले से शुरू होकर रेलवे स्टेशन तक बनाया गया है. नाले की लागत लगभग 50 लाख रुपए बताई जा रही है. बता दें कि इस नाले के निर्माण के लिए पहले ठेका किसी दूसरी कंपनी को दिया गया था. बाद में इसका ठेका दूसरी कंपनी को दे दिया गया.

Intro:नगर निकायों में भ्रष्टाचार की कहानियां लगातार सामने आती रही है लेकिन झुंझुनू में तो नगर परिषद ने प्रशासन के मुखिया जिला कलेक्टर तक की परवाह नहीं कि। उनके घर के सामने 5000000 रुपए की लागत से बना नाला इतना घटिया बनाया कि 2 माह में ही टूट गया।


Body:झुंझुनू। झुंझुनू नगर परिषद में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि जिला कलेक्टर के निवास के आगे बनाया गया नाला भी दो माह में टूट गया। ऐसे में अन्य नालो या सड़कों की तो बात करना ही बेमानी है। महज दो महीने पहले बनाया गया नाले की दीवार पहले ही मानसून में ढह गई इसमें बड़ी बात यह है कि नाला अभी 3 साल की गारंटी अवधि में है अब ठेकेदार का बहाना है कि जब नाले के लिए खुदाई की गई तो उसके नीचे पहले से ही पाइपलाइन डाली हुई थी। और ऐसे में नाला का बेस मजबूत नहीं बनवाया ऐसे में यह बात भी मायने रखती है कि यदि ऐसी बात थी तो पहले ही नगर परिषद को क्यों नहीं अवगत करवाया गया। जबकि पफोरी तौर पर नाला बना कर छोड़ दिया गया।

शहर का सबसे वीआईपी एरिया

दरअसल कलेक्टर निवास व अन्य अधिकारियों के बंगले शहर के सबसे पाश व वीआईपी इलाके में बने हुए हैं ऐसे में यदि इसी जगह पर ही इस तरह से घटिया निर्माण किया जाता है तो अन्य जगहों के हालातों का तो अंदाजा लगाया जा सकता है। यह नाला कलेक्टर के बंगले से शुरू होकर रेलवे स्टेशन तक बनाया गया है। नाले की लागत लगभग ₹5000000 बताई जा रही है। इसके ठेके में पहले भी विवाद हो चुका है और पहले ठेका किसी दूसरी कंपनी को दिया गया था जिसे विवाद के बाद बदला गया था।

बाइट रामनिवास कुमावत,आयुक्त,नगर परिषद


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