झालावाड़. कोरोना काल में समाज के हर एक वर्ग को परेशानी का सामना करना पड़ा है. ऐसे में वैश्विक संकट के इस दौर में भी कुछ लोग अपने कार्यों से समाज में अलग छाप छोड़ रहे हैं. झालावाड़ में युवाओं की एक टीम भी कुछ ऐसा ही कर रही है. शिक्षा का उजाला हर जगह पहुंचे इसके लिए युवाओं ने 'पाठशाला' अभियान चला रखा है. इसके माध्यम से वे ग्रामीण और गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं.
'पाठशाला' में युवाओं की ओर से जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा देने के साथ पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध करवाई जा रही है. जिले में 22 जगहों पर युवाओं की टीम गांवों में जाकर 2 घंटे तक बच्चों को पढ़ा रही है. इसमें कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक की क्लास के सभी बच्चे शामिल होते हैं.
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'पाठशाला' में पढ़ाने वाले अरविंद भील ने बताया कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण विद्यालय बन्द हो गए थे. ऐसे में संपन्न परिवारों के बच्चे तो ऑनलाइन क्लास कर अपनी पढ़ाई कर रहे थे लेकिन गांव के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से छूट गई थी. ऐसे में उन्होंने ग्रामीण और गरीब बच्चों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया. पहला अनलॉक होते ही उन्होंने गांव गांव जाकर बच्चों से संपर्क किया तथा उनके माता-पिता को समझाया.
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उन्होंने गांव के नजदीकी सरकारी विद्यालय, मंदिर या हॉस्टल में बच्चों को एकत्रित किया. शुरुआत में बड़े बच्चों को ही पढ़ने के लिए बुलाया जाता था. बाद में धीरे-धीरे सभी कक्षाओं के बच्चे उनके पास पढ़ने के लिए आने लगे. इस दौरान बच्चों को कोरोना से बचाव के लिए मास्क और सैनिटाइजर भी उपलब्ध करवाया जाता है. इसके साथ ही कोरोना को लेकर जागरूक भी किया जाता है.
पाठशाला में पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों ने बताया कि कोरोना के कारण उनकी पढ़ाई छूट गई थी. ऐसे में जो बच्चे 10वीं और 12वीं कक्षा में हैं उनको पढ़ाई को लेकर ज्यादा चिंता सता रही थी. पाठशाला में आने के बाद से नियमित रूप से उनकी पढ़ाई हो रही है. पाठशाला में कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. जहां पर उनकी कक्षा के अनुसार से पढ़ाया जाता है. उनको पढ़ने के लिए पेन, पेंसिल, कॉपी और किताब भी दी जाती है. साथ ही कोरोना से बचाव के लिए मास्क और सैनिटाइजर भी दिए जाते हैं.