झालावाड़. जिले में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना के अंतर्गत जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और महिला अधिकारिता विभाग के संयुक्त तत्वावधान में मिनी सचिवालय के ऑडिटोरियम में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए जिला पुलिस अधीक्षक राममूर्ति जोशी ने कहा कि हमने बालिकाओं की सुरक्षा के नाम पर उन्हें कैद कर लिया है, उन्हें आजाद करें और उन्मुक्त होकर जीने दें.
उन्होंने कहा कि समाज में कन्या भ्रूण हत्या जैसी अमानवीय घटनाएं जागरूकता की कमी के कारण हो रही हैं. ऐसे में शिक्षकों को समाज की कुरीतियों से बाहर निकालने में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए. कार्यशाला में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद चतुर्वेदी ने संस्था प्रधानों को संबोधित करते हुए कहा कि धैर्य, करुणा, ममता और सहनशीलता जैसे गुणों को प्राप्त करने के लिए हमारे ऋषि मुनि तपस्या करते थे, लेकिन यह सभी गुण स्त्रियों में जन्मजात विद्यमान रहते हैं.
साथ ही कहा कि बेटियों को पढ़ाने, उन्हें संस्कारित करने और सशक्त बनाने की जिम्मेदारी हम सबकी है. उन्होंने कहा कि हम गांव की चौपालों पर बैठकर बेटियों को पढ़ाने, उन्हें समाज में उचित स्थान दिलाने, उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए ग्रामीणों से चर्चा करें, क्योंकि अगर बेटी पढ़ी-लिखी और संस्कारित होगी तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य उज्जवल होगा.
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वहीं, कार्यशाला में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, पोषाहार, अन्नप्राशन, अमृता कार्नर और सेल्फी विद सुकन्या की 45 फोटो की प्रदर्शनी लगाई गई. इस दौरान कार्यशाला में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत गत सप्ताह आयोजित निबंध प्रतियोगिता में विजेता रहे विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया.