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Special: दो अनाथ बहनों को मिला सहारा, कलेक्टर बने तारणहार

झालावाड़ जिले की दो अनाथ बालिकाओं को जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा का सहारा मिला है. दोनों बालिकाओं के माता-पिता की 4 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. इसके बाद से दोनों बहनों को प्रताड़ित किया जा रहा था. पढ़ें पूरी खबर...

Orphan sisters get support,  Jhalawar District Collector Harimohan Meena
कलेक्टर बने तारणहार
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Published : Mar 15, 2021, 9:18 PM IST

झालावाड़. कलेक्टर को जिले का कर्ताधर्ता कहा जाता है. कलेक्टर का कार्य और फैसला लोगों के जीवन पर गहरा असर डालता है. ये ही फैसले अगर पूरी संवेदनशीलता से लिए जाएं तो लोगों के लिए मिसाल बन जाता है. एक ऐसी ही मिसाल कायम की है झालावाड़ के जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने. जिन्होंने खुद के ही भाई से प्रताड़ित दो अनाथ बहनों को सहारा देते हुए उनके तारणहार बने हैं. साथ ही बच्चियों का विद्यालय और हॉस्टल में दाखिला करवाकर उनके रहने, खाने और शिक्षा की समुचित व्यवस्था भी की है.

दो अनाथ बहनों को मिला सहारा

पढ़ें- SPECIAL : आधुनिक चिकित्सा पद्धति को छोड़ लोग फिर से अपना रहे प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां

दरअसल, झालावाड़ जिले की रायपुर तहसील के माथनिया गांव की दो अनाथ बालिकाएं पूजा और मीनाक्षी के माता-पिता की 4 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. जिसके बाद से उनके बड़े भाई और भाभी के द्वारा उन दोनों बहनों को प्रताड़ित किया जा रहा था. दोनों बहने अपने भाई और भाभी की प्रताड़ना से दुखी होकर अपने दूर के मामा के पास रहने चली गई, लेकिन वहां से भी उन्हें भाई के दबाव के कारण निकलना पड़ा.

टीसी मंगवाकर स्कूल में प्रवेश दिलवाया

आखिर में परेशान होकर यह बच्चियां जीवन यापन के लिए काम की तलाश में जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा के पास पहुंची और अपनी व्यथा सुनाई. इस दौरान जिला कलेक्टर ने संवेदनशीलता दिखाई और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए समाज कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों को अपने कार्यालय में बुलाया. इसके बाद बालिकाओं के पूर्व के स्कूल से टीसी मंगवाकर कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय असनावर में प्रवेश दिलाया.

Orphan sisters get support,  Jhalawar District Collector Harimohan Meena
कलेक्टर बने तारणहार

इसके अलावा बच्चियों को स्कूल की यूनिफार्म, दैनिक उपयोग के कपड़े और स्टेशनरी भी उपलब्ध करवाई. अब दोनों बच्चियों आवासीय विद्यालय में खुशी-खुशी रहकर अपनी-अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है, तो वहीं दूसरी परेशानियों से भी इन्हें निजात मिल गई है. साथ ही जिला कलेक्टर ने असनावर के एसडीएम को इन बच्चियों का संरक्षक नियुक्त किया है.

प्रकाश की नई किरण नजर आने लगी

ऐसे में दोनों बालिकाओं ने जिला कलेक्टर को पितातुल्य बताते हुए उनके शिक्षा एवं पुनर्वास की व्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया. बालिकाएं विद्यालय में आकर अपने आप को सुरक्षित और प्रसन्न चित्त महसूस कर रही है. बालिकाओं को माता-पिता की मृत्यु के बाद जो भविष्य अंधकार में लग रहा था अब उन्हें विद्यालय में आकर प्रकाश की नई किरण नजर आने लगी है. ऐसे में झालावाड़ जिला कलेक्टर की संवेदनशीलता की बदौलत पूजा का नर्स बनने का तो वहीं मीनाक्षी का पुलिस विभाग में अफसर बनने का सपना साकार होता दिख रहा है.

Orphan sisters get support,  Jhalawar District Collector Harimohan Meena
परेशान होकर जिला कलेक्टर के पास पहुंची

पढ़ें- SPECIAL : धौलपुर का मचकुंड जहां भगवान कृष्ण बने रणछोड़...श्रीकृष्ण सर्किट में नहीं जोड़ने से निराशा

उच्च स्तर के पढ़ाई की भी व्यवस्था की जाएगी

जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने बताया कि दोनों बच्चियां अगर आगे भी उच्च स्तर की पढ़ाई करना चाहेंगी तो उसकी भी व्यवस्था की जाएगी. अब दोनों बालिकाएं पूजा एवं मीनाक्षी अन्य बालिकाओं के साथ आवासीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. जिला कलेक्टर ने भी समाज के सभी वर्गों के लोगों से आव्हान किया है कि यदि सभी लोग संवेदनशील होकर समाज के परेशान बच्चों की मदद के लिए आगे आए तो ऐसे बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सकता है.

परेशान होकर जिला कलेक्टर के पास पहुंची थी

इस दौरान मीनाक्षी ने बताया कि भाई की मारपीट से परेशान होकर वह जिला कलेक्टर के पास पहुंची थी. जिसके बाद उन्होंने हमारी पूरी मदद की और आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने स्कूल और छात्रावास में एडमिशन दिलाया. साथ ही अन्य जरूरी चीजें भी दिलाई है. मीनाक्षी ने कहा कि वह बड़ी होकर पुलिस में अफसर बनना चाहती है.

Orphan sisters get support,  Jhalawar District Collector Harimohan Meena
टीसी मंगवाकर स्कूल में प्रवेश दिलवाया

वहीं, पूजा ने बताया कि उन्हें यह लगता था कि आज के जमाने में कोई किसी की मदद नहीं करता लेकिन जिला कलेक्टर ने उनकी जो मदद की है उसके लिए वह उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देती है. साथ ही उम्मीद करती है कि वह इसी तरह से जरूरतमंद लोगों की सहायता करते रहे. पूजा ने बताया कि वह बड़ी होकर नर्स बनना चाहती है.

झालावाड़. कलेक्टर को जिले का कर्ताधर्ता कहा जाता है. कलेक्टर का कार्य और फैसला लोगों के जीवन पर गहरा असर डालता है. ये ही फैसले अगर पूरी संवेदनशीलता से लिए जाएं तो लोगों के लिए मिसाल बन जाता है. एक ऐसी ही मिसाल कायम की है झालावाड़ के जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने. जिन्होंने खुद के ही भाई से प्रताड़ित दो अनाथ बहनों को सहारा देते हुए उनके तारणहार बने हैं. साथ ही बच्चियों का विद्यालय और हॉस्टल में दाखिला करवाकर उनके रहने, खाने और शिक्षा की समुचित व्यवस्था भी की है.

दो अनाथ बहनों को मिला सहारा

पढ़ें- SPECIAL : आधुनिक चिकित्सा पद्धति को छोड़ लोग फिर से अपना रहे प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां

दरअसल, झालावाड़ जिले की रायपुर तहसील के माथनिया गांव की दो अनाथ बालिकाएं पूजा और मीनाक्षी के माता-पिता की 4 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. जिसके बाद से उनके बड़े भाई और भाभी के द्वारा उन दोनों बहनों को प्रताड़ित किया जा रहा था. दोनों बहने अपने भाई और भाभी की प्रताड़ना से दुखी होकर अपने दूर के मामा के पास रहने चली गई, लेकिन वहां से भी उन्हें भाई के दबाव के कारण निकलना पड़ा.

टीसी मंगवाकर स्कूल में प्रवेश दिलवाया

आखिर में परेशान होकर यह बच्चियां जीवन यापन के लिए काम की तलाश में जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा के पास पहुंची और अपनी व्यथा सुनाई. इस दौरान जिला कलेक्टर ने संवेदनशीलता दिखाई और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए समाज कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों को अपने कार्यालय में बुलाया. इसके बाद बालिकाओं के पूर्व के स्कूल से टीसी मंगवाकर कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय असनावर में प्रवेश दिलाया.

Orphan sisters get support,  Jhalawar District Collector Harimohan Meena
कलेक्टर बने तारणहार

इसके अलावा बच्चियों को स्कूल की यूनिफार्म, दैनिक उपयोग के कपड़े और स्टेशनरी भी उपलब्ध करवाई. अब दोनों बच्चियों आवासीय विद्यालय में खुशी-खुशी रहकर अपनी-अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है, तो वहीं दूसरी परेशानियों से भी इन्हें निजात मिल गई है. साथ ही जिला कलेक्टर ने असनावर के एसडीएम को इन बच्चियों का संरक्षक नियुक्त किया है.

प्रकाश की नई किरण नजर आने लगी

ऐसे में दोनों बालिकाओं ने जिला कलेक्टर को पितातुल्य बताते हुए उनके शिक्षा एवं पुनर्वास की व्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया. बालिकाएं विद्यालय में आकर अपने आप को सुरक्षित और प्रसन्न चित्त महसूस कर रही है. बालिकाओं को माता-पिता की मृत्यु के बाद जो भविष्य अंधकार में लग रहा था अब उन्हें विद्यालय में आकर प्रकाश की नई किरण नजर आने लगी है. ऐसे में झालावाड़ जिला कलेक्टर की संवेदनशीलता की बदौलत पूजा का नर्स बनने का तो वहीं मीनाक्षी का पुलिस विभाग में अफसर बनने का सपना साकार होता दिख रहा है.

Orphan sisters get support,  Jhalawar District Collector Harimohan Meena
परेशान होकर जिला कलेक्टर के पास पहुंची

पढ़ें- SPECIAL : धौलपुर का मचकुंड जहां भगवान कृष्ण बने रणछोड़...श्रीकृष्ण सर्किट में नहीं जोड़ने से निराशा

उच्च स्तर के पढ़ाई की भी व्यवस्था की जाएगी

जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने बताया कि दोनों बच्चियां अगर आगे भी उच्च स्तर की पढ़ाई करना चाहेंगी तो उसकी भी व्यवस्था की जाएगी. अब दोनों बालिकाएं पूजा एवं मीनाक्षी अन्य बालिकाओं के साथ आवासीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. जिला कलेक्टर ने भी समाज के सभी वर्गों के लोगों से आव्हान किया है कि यदि सभी लोग संवेदनशील होकर समाज के परेशान बच्चों की मदद के लिए आगे आए तो ऐसे बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सकता है.

परेशान होकर जिला कलेक्टर के पास पहुंची थी

इस दौरान मीनाक्षी ने बताया कि भाई की मारपीट से परेशान होकर वह जिला कलेक्टर के पास पहुंची थी. जिसके बाद उन्होंने हमारी पूरी मदद की और आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने स्कूल और छात्रावास में एडमिशन दिलाया. साथ ही अन्य जरूरी चीजें भी दिलाई है. मीनाक्षी ने कहा कि वह बड़ी होकर पुलिस में अफसर बनना चाहती है.

Orphan sisters get support,  Jhalawar District Collector Harimohan Meena
टीसी मंगवाकर स्कूल में प्रवेश दिलवाया

वहीं, पूजा ने बताया कि उन्हें यह लगता था कि आज के जमाने में कोई किसी की मदद नहीं करता लेकिन जिला कलेक्टर ने उनकी जो मदद की है उसके लिए वह उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देती है. साथ ही उम्मीद करती है कि वह इसी तरह से जरूरतमंद लोगों की सहायता करते रहे. पूजा ने बताया कि वह बड़ी होकर नर्स बनना चाहती है.

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