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Special: झालावाड़ से निकल रहे चरवाहों के काफिले, क्या है इसके पीछे की कहानी...? - भेड़ बकरियों का निष्क्रमण

झालावाड़ में बड़ी संख्या में भेड़-बकरियों व ऊंटों का निष्क्रमण देखा जा रहा है. जिनमें चरवाहों के काफिले मध्यप्रदेश के मालवा से राजस्थान के मारवाड़ की तरफ लौट रहे हैं. इस दौरान चरवाहों ने अपनी इस पूरी यात्रा के बारे में बताया. जानिए इस स्पेशल रिपोर्ट में...

Exodus of Shepherds, Exodus of Sheep Goats
चरवाहों के काफिलों की पूरी कहानी
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Published : Jun 28, 2020, 10:33 PM IST

Updated : Jun 29, 2020, 9:38 AM IST

झालावाड़. राजस्थान में गर्मी की अधिकता और चारे-पानी की कमी के कारण मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में गए चरवाहों के काफिले अब वापस लौटने लगे हैं. झालावाड़ में ये चरवाहे बड़ी संख्या में भेड़-बकरियों और ऊंटों के साथ अपने गांवों की ओर लौटते हुए नजर आ रहे हैं. सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके ये चरवाहे मालवा से मारवाड़ व मेवाड़ की ओर जा रहे हैं. इस दौरान जहां महिलाएं ऊंटों की कमान संभाले चलती हैं, तो वहीं पुरुष भेड़-बकरियों को लेकर चलते हैं और उनके बच्चे ऊंटों के ऊपर बैठकर सफर तय करते हैं.

चरवाहों के काफिलों की पूरी कहानी

मध्यप्रदेश के मालवा के रतलाम, मंदसौर, झाबुआ, उज्जैन से शुरू होकर इन चरवाहों का काफिला मारवाड़ व मेवाड़ क्षेत्रों में पहुंचता है. चरवाहों के काफिलों में मुख्यतः देवासी व रेबारी समाज के लोग होते हैं. जिनका पूरा जीवन यायावरी में बीतता है. चरवाहे में शामिल विष्णु रेबारी ने बताया कि उनका 70 लोगों का काफिला है. जिसमें उनके पास करीबन 1000 भेड़ें हैं.

पढ़ें- ग्रामीणों की कोरोना से जंग: वैश्विक महामारी के बीच इस बड़ी समस्या से भी लड़ रहे हैं कुंडला ग्राम पंचायत के लोग

साथ ही बताया कि उनका काफिला राजस्थान के जालोर जिले से शुरू होकर रतलाम, मंदसौर, उज्जैन क्षेत्र में जाता है. जहां वे करीब 8 माह के लिए अपने परिवार के साथ जाते हैं. इस दौरान वो भेड़, बकरी, ऊंट और कुत्ते लेकर भी चलते हैं. सफर में वो ऊंट पर खाट, आटा-दाल और मेमने लाद दिए जाते हैं. कुत्ते रात के समय काफिले की सुरक्षा करते हैं.

शीतकाल शुरू होते ही करते हैं पलायन

विष्णु ने बताया कि भेड़ व ऊंट रेगिस्तानी पशु है. ऐसे में रेगिस्तान में जल एवं वनस्पति की कमी होने के कारण वे साल भर वहां नहीं रह पाती हैं. इसलिए शीतकाल आरंभ होते ही वे अपने कंधों पर लंबी लाठियां और पानी की सुराहियां लेकर मालवा के लिए निकल जाते हैं, ताकि उनकी भेड़ों को खुले मैदानों में चराया जा सके. जून-जुलाई माह में वर्षा आरंभ होने तक ये लोग अपने घरों और परिवारों के साथ मालवा में ही रहते हैं.

पढ़ें- आधुनिकता की गजब तस्वीरः 7 किमी दूर तालाब को 'भागीरथी' मानकर गदले पानी से सींच रहे जीवन की डोर

सर्दी और गर्मी के लगभग 8 माह वहां रहने के बाद वर्षा आरंभ होते ही अपने क्षेत्रों की ओर लौटने लगते हैं. पूरे वर्षा काल के लगभग 4 महीने का समय राजस्थान में व्यतीत करने के बाद सर्दियां शुरू होते ही ये फिर से मालवा की ओर प्रस्थान कर जाते हैं. सैकड़ों वर्षों से इनका यही क्रम चला आ रहा है.

रास्ते पर प्रशासन करता है विशेष व्यवस्था

झालावाड़ जिले में ये निष्क्रमण मुख्य रूप से डग दुधालिया मार्ग, भालता मार्ग व रायपुर-इंदौर मार्ग से करते हैं. प्रशासन किसानों और चरवाहों दोनों की समस्याओं को समझते हुए भेड़ों के आगमन एवं निष्क्रमण के समय सुरक्षा के पूरे उपाय करता है. इनके परंपरागत मार्गों को चिन्हित करके संपूर्ण मार्ग पर विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं. झालावाड़ जिले में भेड़ों के आवागमन मार्ग पर 20 चौकियां स्थापित की जाती हैं. जिन पर राजस्व विभाग के कार्मिक, होमगार्ड, पुलिसकर्मी, पशु चिकित्सक नियुक्त किए जाते हैं.

आपको बता दें कि हर साल ढाई से तीन लाख भेड़ें मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में जाती हैं और भेड़ों की यह संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. विगत सैकड़ों सालों से भेड़ें अपने चरवाहों के संकेतों का अनुगमन करती है और उनके साथ सैकड़ों मील की यात्रा करती है.

झालावाड़. राजस्थान में गर्मी की अधिकता और चारे-पानी की कमी के कारण मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में गए चरवाहों के काफिले अब वापस लौटने लगे हैं. झालावाड़ में ये चरवाहे बड़ी संख्या में भेड़-बकरियों और ऊंटों के साथ अपने गांवों की ओर लौटते हुए नजर आ रहे हैं. सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके ये चरवाहे मालवा से मारवाड़ व मेवाड़ की ओर जा रहे हैं. इस दौरान जहां महिलाएं ऊंटों की कमान संभाले चलती हैं, तो वहीं पुरुष भेड़-बकरियों को लेकर चलते हैं और उनके बच्चे ऊंटों के ऊपर बैठकर सफर तय करते हैं.

चरवाहों के काफिलों की पूरी कहानी

मध्यप्रदेश के मालवा के रतलाम, मंदसौर, झाबुआ, उज्जैन से शुरू होकर इन चरवाहों का काफिला मारवाड़ व मेवाड़ क्षेत्रों में पहुंचता है. चरवाहों के काफिलों में मुख्यतः देवासी व रेबारी समाज के लोग होते हैं. जिनका पूरा जीवन यायावरी में बीतता है. चरवाहे में शामिल विष्णु रेबारी ने बताया कि उनका 70 लोगों का काफिला है. जिसमें उनके पास करीबन 1000 भेड़ें हैं.

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साथ ही बताया कि उनका काफिला राजस्थान के जालोर जिले से शुरू होकर रतलाम, मंदसौर, उज्जैन क्षेत्र में जाता है. जहां वे करीब 8 माह के लिए अपने परिवार के साथ जाते हैं. इस दौरान वो भेड़, बकरी, ऊंट और कुत्ते लेकर भी चलते हैं. सफर में वो ऊंट पर खाट, आटा-दाल और मेमने लाद दिए जाते हैं. कुत्ते रात के समय काफिले की सुरक्षा करते हैं.

शीतकाल शुरू होते ही करते हैं पलायन

विष्णु ने बताया कि भेड़ व ऊंट रेगिस्तानी पशु है. ऐसे में रेगिस्तान में जल एवं वनस्पति की कमी होने के कारण वे साल भर वहां नहीं रह पाती हैं. इसलिए शीतकाल आरंभ होते ही वे अपने कंधों पर लंबी लाठियां और पानी की सुराहियां लेकर मालवा के लिए निकल जाते हैं, ताकि उनकी भेड़ों को खुले मैदानों में चराया जा सके. जून-जुलाई माह में वर्षा आरंभ होने तक ये लोग अपने घरों और परिवारों के साथ मालवा में ही रहते हैं.

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सर्दी और गर्मी के लगभग 8 माह वहां रहने के बाद वर्षा आरंभ होते ही अपने क्षेत्रों की ओर लौटने लगते हैं. पूरे वर्षा काल के लगभग 4 महीने का समय राजस्थान में व्यतीत करने के बाद सर्दियां शुरू होते ही ये फिर से मालवा की ओर प्रस्थान कर जाते हैं. सैकड़ों वर्षों से इनका यही क्रम चला आ रहा है.

रास्ते पर प्रशासन करता है विशेष व्यवस्था

झालावाड़ जिले में ये निष्क्रमण मुख्य रूप से डग दुधालिया मार्ग, भालता मार्ग व रायपुर-इंदौर मार्ग से करते हैं. प्रशासन किसानों और चरवाहों दोनों की समस्याओं को समझते हुए भेड़ों के आगमन एवं निष्क्रमण के समय सुरक्षा के पूरे उपाय करता है. इनके परंपरागत मार्गों को चिन्हित करके संपूर्ण मार्ग पर विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं. झालावाड़ जिले में भेड़ों के आवागमन मार्ग पर 20 चौकियां स्थापित की जाती हैं. जिन पर राजस्व विभाग के कार्मिक, होमगार्ड, पुलिसकर्मी, पशु चिकित्सक नियुक्त किए जाते हैं.

आपको बता दें कि हर साल ढाई से तीन लाख भेड़ें मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में जाती हैं और भेड़ों की यह संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. विगत सैकड़ों सालों से भेड़ें अपने चरवाहों के संकेतों का अनुगमन करती है और उनके साथ सैकड़ों मील की यात्रा करती है.

Last Updated : Jun 29, 2020, 9:38 AM IST
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