ETV Bharat / state

झालावाड़: अन्नदाता परेशान...बांध के डूब क्षेत्र में आई जमीनों के मुआवजे का साल 2008 से इंतजार

धरतीपुत्र किसानों पर हर समय मुसीबतों का साया मंडराता रहता है. झालावाड़ के डग तहसील के भीमनी बांध के डूब क्षेत्र में आई जमीन का मुआवजा किसानों को साल 2008 से अबतक नहीं मिल पाया है. ऐसे में किसानों के सामने जीवनयापन का संकट मंडरा रहा है.

jhalawar news, भीमनी बांध के जमीनों के मुआवजे , झालावाड़ में किसानों को मुआवजे इंतजार, झालावाड़ के भीमनी बांध की खबर, rajasthan news
साल 2008 से मुआवजे का इंतजार
author img

By

Published : Dec 8, 2019, 7:14 PM IST

डग (झालावाड़). सर्दी, गर्मी और बरसात में किसानों को फसलों के खराब होने का खतरा रहता है, तो कभी किसी सरकारी योजना में भूमि अवाप्त हो जाने जाने के बाद उसके मुआवजे का संकट खड़ा हो जाता है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, झालावाड़ की डग तहसील का. जहां 2008 में भीमनी बांध के निर्माण के दौरान किसानों की जमीन बांध के डूब क्षेत्र में आ गयी. लेकिन किसानों को अबतक मुआवजा नहीं दिया गया.

साल 2008 से मुआवजे का इंतजार

जमीनों के मुआवजे के इंतजार में किसानों की आंखें सूख गई हैं. किसान कार्यालयों के चक्कर लगाकर थक चुके हैं, लेकिन उनको उनकी ही जमीनों का मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है, कि जमीन डूबने के बाद से उनको मुआवजा नहीं मिला है और उनकी जमीनों में भी बांध का पानी भरा रहता है, जिसके चलते उनके पास खेती की जमीन भी नहीं बची है.

पढ़ेंः झालावाड़ में लगा है जानवरों का ब्यूटी पार्लर, यहां मिलती है जानवरों के श्रंगार की पूरी सामग्री

किसानों को जीवनयापन के लिए दूसरों के खेतों में मजदूरी करनी पड़ रही है. मुआवजे के लिए वो कई बार पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन कहीं पर भी उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है.

किसान कालू सिंह का कहना है, कि साल 2008 में भीमनी बांध के निर्माण के दौरान उनकी पूरी की पूरी 22 बीघा जमीन चली गई थी. धीरे-धीरे मुआवजा मिला, लेकिन अबतक 6 बीघा का मुआवजा नहीं मिल पाया है. इसको लेकर वो भी तहसीलदार और कलेक्टर से कई बार मिल चुके हैं.

किसान जोध सिंह का कहना है, कि साल 2008 में उनकी पूरी दो बीघा जमीन भीमनी बांध में डूब गई थी. जिसके बाद से उनको मुआवजा नहीं मिल पाया है. पूरी जमीन बांध में चली जाने के कारण उनको दूसरों के खेतों में काम करके जीवनयापन करना पड़ रहा है.

डग (झालावाड़). सर्दी, गर्मी और बरसात में किसानों को फसलों के खराब होने का खतरा रहता है, तो कभी किसी सरकारी योजना में भूमि अवाप्त हो जाने जाने के बाद उसके मुआवजे का संकट खड़ा हो जाता है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, झालावाड़ की डग तहसील का. जहां 2008 में भीमनी बांध के निर्माण के दौरान किसानों की जमीन बांध के डूब क्षेत्र में आ गयी. लेकिन किसानों को अबतक मुआवजा नहीं दिया गया.

साल 2008 से मुआवजे का इंतजार

जमीनों के मुआवजे के इंतजार में किसानों की आंखें सूख गई हैं. किसान कार्यालयों के चक्कर लगाकर थक चुके हैं, लेकिन उनको उनकी ही जमीनों का मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है, कि जमीन डूबने के बाद से उनको मुआवजा नहीं मिला है और उनकी जमीनों में भी बांध का पानी भरा रहता है, जिसके चलते उनके पास खेती की जमीन भी नहीं बची है.

पढ़ेंः झालावाड़ में लगा है जानवरों का ब्यूटी पार्लर, यहां मिलती है जानवरों के श्रंगार की पूरी सामग्री

किसानों को जीवनयापन के लिए दूसरों के खेतों में मजदूरी करनी पड़ रही है. मुआवजे के लिए वो कई बार पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन कहीं पर भी उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है.

किसान कालू सिंह का कहना है, कि साल 2008 में भीमनी बांध के निर्माण के दौरान उनकी पूरी की पूरी 22 बीघा जमीन चली गई थी. धीरे-धीरे मुआवजा मिला, लेकिन अबतक 6 बीघा का मुआवजा नहीं मिल पाया है. इसको लेकर वो भी तहसीलदार और कलेक्टर से कई बार मिल चुके हैं.

किसान जोध सिंह का कहना है, कि साल 2008 में उनकी पूरी दो बीघा जमीन भीमनी बांध में डूब गई थी. जिसके बाद से उनको मुआवजा नहीं मिल पाया है. पूरी जमीन बांध में चली जाने के कारण उनको दूसरों के खेतों में काम करके जीवनयापन करना पड़ रहा है.

Intro:स्पेशल रिपोर्ट

झालावाड़ के डग तहसील के भीमनी बांध के डूब क्षेत्र में आई जमीन का मुआवजा किसानों को 2008 से अब तक भी नहीं मिल पाया है, जिसके कारण किसानों के जीवन यापन पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है।




Body:धरतीपुत्र किसानों पर हर समय मुसीबतों का साया मंडराता रहता है। सर्दी गर्मी व बरसात में किसानो को फसलों के खराब होने का खतरा रहता है तो कभी किसी सरकारी योजना में भूमि अवाप्त हो जाने जाने के बाद उसके मुआवजे का संकट खड़ा हो जाता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है झालावाड़ की डग तहसील का... जहां 2008 में भीमनी बांध के निर्माण के दौरान किसानों की जमीन बांध के डूब क्षेत्र में आ गयी लेकिन जिन किसानों की सारी जमीन बांध के डूब क्षेत्र में आ गयी उनको अभी तक भी मुआवजा नहीं मिल पाया है। ज़मीनों के मुआवजे के इंतजार में किसानों की आंखें सूख गई है, किसान कार्यालयों के चक्कर लगा लगा कर थक चुके हैं लेकिन उनको उनकी ही जमीनों का मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।

किसानों का कहना है कि जमीन डूबने के बाद से उनको मुआवजा नहीं मिला है और उनकी जमीनों में भी बांध का पानी भरा रहता है। जिसके चलते उनके पास खेती की जमीन भी नहीं बची है। ऐसे में जीवनयापन के लिए उनको अन्य लोगों के खेतों में मजदूरी करनी पड़ रही है। मुआवजे के लिए वो कई बार पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम व कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगा चुके हैं लेकिन कहीं पर भी उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है.

किसान कालू सिंह का कहना है कि 2008 में भीमनी बांध के निर्माण के दौरान उनकी पूरी की पूरी 22 बीघा जमीन बांध में चली गई थी जिसमें धीरे-धीरे मुआवजा मिला लेकिन अभी तक 6 बीघा का मुआवजा नहीं मिल पाया है। इसको लेकर वह तहसीलदार व कलेक्टर से कई बार मिल चुके हैं लेकिन अभी तक भी उनको मुआवजा नहीं मिल पाया है.

किसान जोध सिंह का कहना है कि 2008 में उनकी पूरी दो बीघा जमीन भीमनी बांध में डूब गई थी। जिसके बाद से उनको मुआवजा नहीं मिल पाया है। पूरी जमीन बांध में चली जाने के कारण उनको लोगों के खेतों में काम करके जीवन यापन करना पड़ रहा है लेकिन सरकार के द्वारा उनको अभी तक भी मुआवजा नहीं दिया गया है।


Conclusion:बाइट 1 - कालूसिंह (किसान)
बाइट 2 - जोध सिंह (किसान)
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.