मनोहरथाना (झालावाड़). जिले के अकलेरा, मनोहरथाना ,असनावर, कामखेड़ा, चिकित्सालय चिकित्सकों की कमी के चलते भगवान भरोसे चल रहे हैं. जिले के सीएचसी में लंबे समय से शिशु रोग विशेषज्ञ भी नहीं हैं. यहां भले ही बच्चों की मौत के आंकड़े डराते नहीं हैं. लेकिन बच्चों की बीमारी में ग्रामीणों की परेशानी को तो नजर अंदाज किया ही जा रहा है. यदि शिशु रोग विशेषज्ञ हो तो ग्रामीणों को सामान्य उपचार से ही लाभ मिल सकता है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सीएचसी पर करीब 5 साल से शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं है. इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के शिशुओं को बीमारी के दौरान मजबूरी में निजी चिकित्सा संस्थानों में ले जाना पड़ता है. निजी अस्पताल में आते ही परिजनों को लूटने का सिलसिला शुरू हो जाता है. अकलेरा उपखंड क्षेत्र के अतिरिक्त मनोहरथाना से भी बच्चों की चिकित्सा के लिए परिजन अकलेरा अस्पताल पहुंचते हैं.
ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले बच्चों के परिजनों को मामूली से बुखार में भी महंगा ट्रीटमेंट देकर निजी अस्पताल आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में किसी कारण से बच्चों की हालत गंभीर हो जाए तो यह संस्थान उसको झालावाड़ रैफर कर देते हैं. लेकिन जनप्रतिनिधि और चिकित्सा प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
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स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं फिर भी प्रसव...
अकलेरा और मनोहरथाना सीएचसी में लंबे समय से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने के बावजूद भी महिलाओं का प्रसव हो रहा है. स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से महिलाओं को सामान्य रोगों में भी निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ रही है. वहीं गंभीर होने पर अकलेरा क्षेत्र की महिलाओं को 54 किलोमीटर दूर और मनोहरथाना की महिला रोगी को करीब 100 किलोमीटर दूर झालावाड़ तक का सफर तय करना पड़ता है. अकलेरा सीएससी में एक माह में करीब 250 से 300 डिलीवरी केस आते हैं. ऐसे में यहां स्टॉफ के सहयोग से प्रसव कराए जाते है.
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सुविधा बड़ी लेकिन स्टाफ पर नहीं ध्यान...
अकलेरा अस्पताल में सीएचसी स्तर पर सुविधाएं बढ़ाने में भले ही चिकित्सा विभाग का ध्यान हो लेकिन स्टाफ की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. यहां सीएससी स्तर पर हाल ही में दो बेड के आईसीयू का कार्य प्रगति पर है. वहीं डिजिटल एक्सरे की मशीन आ चुकी है. जिसे शिफ्ट करने का काम चल रहा है. वहीं बंद पड़ी सोनोग्राफी मशीन को भी शुरु करने के लिए कार्रवाई की गई. इसके चलते चिकित्सा विभाग ने एक मशीन उपलब्ध करा दी है. ऐसे में सोनोग्राफी के लिए दो चिकित्सकों को लगाए जाने की कार्रवाई भी स्थानीय चिकित्सा विभाग ने की है.
वहीं ब्लड स्टोरेज यूनिट के मामले में यह सीएचसी जिले में पहली बताई जा रही है. जहां से सीएचसी स्तर पर रक्त सुविधा मौजूद है. सीएचसी प्रभारी डॉक्टर ने बताया कि यहां लेबर रुम में दो महिला नर्सिंगस्टाफ की आवश्यकता है. जबकि अन्य सुविधाओं के मामले में सीएचसी सबसे बेहतर काम कर रही है.
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असनावर-मनोहरथाना में भी नहीं स्त्री रोग विशेषज्ञ...
सीएचसी में प्रतिमाह करीब 110-115 प्रसव प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ के माध्यम से कराया जाता है. जबकि सोनोग्राफी की सुविधाएं यहां नहीं है. ऐसे में महिलाओं को अधिक परेशानी होती है. वहीं स्त्री रोग और शिशु रोग विशेषज्ञ यहां भी नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं मनोहर थाना चिकित्सालय में भी स्त्री रोग विशेषज्ञ और शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं है ऐसे में अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.