झालावाड़. झालरापाटन में स्थित थर्मल पावर प्लांट में लगातार 10 साल से अपनी सेवाएं दे रहे 70 सुरक्षाकर्मिओं को नौकरी से निकाल दिया गया है, जिसके बाद से इन लोगों का जीवन यापन मुश्किल हो गया है. ऐसे में ये सुरक्षाकर्मी बीते 3 दिन से अपनी मांगों को लेकर मिनी सचिवालय के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं. लेकिन अभी तक इनकी सुनवाई नहीं हो पाई है.
ईटीवी भारत की टीम ने इन प्रदर्शनकारियों से जब बात की तो उनका कहना है 1 फरवरी को इनको बिना नोटिस दिए ही नौकरी से हटा दिया गया है. सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि करीब 10 साल पहले जब थर्मल पावर प्लांट का निर्माण किया जा रहा था. उस दौरान आसपास के गांवों की जमीन अवाप्त की गई थी, जिसमें इनकी खुद की भी जमीनें थी. जमीनों के बदले में उनको एक बीघा के हिसाब से मात्र 17 हजार रुपए ही दिए गए थे. लेकिन एक नौकरी का आश्वासन भी दिया था, जिसके बाद से ग्रामीण पूरी तरह से थर्मल पावर प्लांट पर ही निर्भर हो गए थे.
यह भी पढ़ेंः सांसद किरोड़ी मजदूरों और बेरोजगार युवाओं संग विधानसभा भवन घेराव की किए कोशिश, कहा- आगे लाठियां चलेंगी
ऐसे में ग्रामीण लगातार 10 साल से सुरक्षा गार्डों के रूप में अपनी सेवाएं देकर गुजर बसर कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने बहुत कम शिकायत का मौका दिया था. लेकिन 1 फरवरी को सभी 70 सुरक्षाकर्मियों को थर्मल प्रशासन ने नौकरी से निकाल दिया. इन सुरक्षाकर्मियों में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी हैं, जिनमें भारतीय सेना, सीआरपीएफ, होम गार्ड के रिटायर्ड जवान रह चुके हैं.
अचानक से निकाले जाने के कारण सुरक्षाकर्मियों का जीवन यापन मुश्किल हो गया है. सुरक्षाकर्मियों का कहना है पहले तो उनके पास की खेती की जमीनें ले ली गईं और अब नौकरी से भी निकाल दिया है, जिसके चलते खुद का और बच्चों का पालन पोषण मुश्किल हो गया है. इसको लेकर उन्होंने प्रशासन से भी बात की. लेकिन अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हो पाई है.