झालावाड़. शहर में दो जगहों से पानी की सप्लाई होती है. इनमें शहर के कुछ वार्डों को छापी बांध (Chhapi dam) पानी मिलता है तो वहीं कुछ को कालीसिंध नदी (Kalisindh river) से. छापी बांध से तो पानी की सप्लाई सुचारू रूप से जारी है लेकिन कालीसिंध नदी (Kalisindh river water) से आने वाला पानी पीने योग्य नहीं है. कोरोना काल में जहां झालावाड़ में चिकित्सा व्यवस्था की पोल खुलकर सामने आई तो वहीं अब पेयजल व्यवस्था को लेकर भी गंभीर तस्वीरें सामने आई हैं.
शहर के कई वार्डों में लोग गंदे और बदबूदार पानी (Contaminated water) पीने को मजबूर हो रहे हैं. बड़े बुजुर्ग और बच्चे और महिलाओं को इससे घाटक बिमारियां हो रही हैं. सप्लाई हो रहे गंदे और बदबूदार पानी को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की तो चौकाने वाला नजारा देखने को मिला. शहर में पानी की सप्लाई कालिसिंध नदी से हो रही है. यहां शहर के कई गंदे नाले और सीवरेज का पानी मिल रहा है इसी पानी को यहां के लोग पीने को मजबूर हैं.
पीएचईडी विभाग की तरफ से नदी में जिस जगह से पानी को लिफ्ट किया जा रहा है, वहां से कुछ ही दूरी पर नदी में सीवरेज और गंदे नालों का पानी मिल रहा है. यही पानी शहर के लोगों तक पहुंचता है और लोग बीमार पड़ रहे हैं.
सीवरेज लाइन टूटी-
जिन वार्डों में कालिसिंध नदी से यह दूषित पानी (Contaminated water) जाता है यहां के लोग परेशान हैं. झालावाड़ शहर की सीवरेज लाइन कई जगह से टूटी हुई है जिसकी वजह से भी सीवरेज का पानी शहर के नालों में मिल जाता है. यही नाले कालीसिंध नदी में जाकर मिल जाते हैं.
नदी के एनीकट से ही पानी की शहर को को सप्लाई हो रही है. ऐसे में गटर और सीवरेज का गंदा पानी मिलने से घर में बदबूदार पानी पहुंचता है. शहर के लोगों का कहना है कि जब नदी में ठीक-ठाक पानी रहता है तो ये गंदा पानी बहकर आगे निकल जाता है लेकिन पिछले साल जिले में बारिश कम हुई थी.
कम बारिश और नदी में पानी कम होने की वजह से अब आसानी से गटर और सीवरेज का पानी (Sewerage water) जाकर कालीसिंध नदी में मिल जाता है. हालांकि पानी की कमी को देखते हुए कालीसिंध बांध से पानी छोड़ा गया था लेकिन तब तक गंदा पानी एनिकट में जमा हो चुका था.
दूषित पानी पीने से फैल रहीं बीमारियां-
इसके बाद लोगों के घरों में जो पानी पहुंचा उसमें भयंकर बदबू थी. लोगों को समझ नहीं आ रहा अब कि आखिर अब क्या करें. जो लोग इस पानी का उपयोग कर रहे हैं उनका कहना है कि अशुद्ध पानी की वजह से लोगों में बीमारियां भी हो रही हैं. लोग मजबूरन पानी पीने को मजबूर है क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
हालात ये हैं कि बच्चों में उल्टी और दस्त की समस्या हो रही है. बड़े भी इससे छूटे नहीं है लोगों में स्कीन की प्रॉब्लम्स भी देखी जा रही है. लेकिन समस्या अभी भी जस का तस है. लोग परेशान हैं और विभाग इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है.
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पीएचईडी विभाग से यहां के लोगों को शिकायत है. इनका कहना है कि शिकायत करने के बाद भी अभी तक कोई उचित समाधान नहीं निकाला है विभाग ने. हर दिन यहां हालात खराब हो रहे हैं लेकिन किसी को इससे कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा.
पीएचईडी विभाग के दावे-
पूरे मामले को लेकर हमने पीएचईडी विभाग के अधिकारियों से बात की. लोगों की शिकायत और गंदे पानी पर ईटीवी भारत ने सवाल किए. पीएचईडी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनको गंदे और बदबूदार पानी की शिकायत मिली थी. शिकायत के बाद विभाग के फिल्टर प्लांट में साफ सफाई कराने के साथ ही निर्धारित मात्रा में क्लोरीन और एलम का डोज दे दिया गया.
वही सीवरेज का गंदा पानी मिलने को लेकर उन्होंने पीएचईडी एसई दीपक झा ने कहा कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के कर्मचारियों को पाबंद किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसी शिकायत आ रही है तो फिर से साफ सफाई कराई जाएगी.
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अब सवाल ये है कि आखिर विभाग कर क्या रहा है. पीएचईडी विभाग के अधिकारी सिर्फ दफ्तरों से समस्याओं का निपटारा करेंगे. क्या अधिकारियों की ये ड्यूटी नहीं बनती की वो पानी की शुद्धता पर नजर रखे और लोगों तक साफ पानी पहुंचे. यहां के लोगों के पास इस गंदे पानी को पीने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
उम्मीद है पीएचईडी विभाग यहां रह रहे लोगों की समस्याओं को निपटाएगा. विभाग के दावे ठीक हो सकते हैं लेकिन शहर के लोग जो गंदा और दूषित पानी पी रहे हैं उनके आरोप के बाद मौके की तस्वीरें हमें बिलकुल झूठी नहीं है.