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कोरोना से ग्रामीणों की जंग : झालावाड़ के इस कस्बे में लोगों ने सूझबूझ से दी महामारी को मात, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

इसे गांव वालों की सजगता कहें या महामारी का खौफ कि जिले के अंतिम छोर पर स्थित नागेश्वर उन्हैल कस्बा पूरी तरह कोरोना संक्रमण से अब तक बचा है. यहां लोगों ने खुद ही गांव की सीमाओं को पार न करने का निर्णय लिया. लोगों को मास्क बांटे और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हुए बीमारी से बचे रहे. देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट...

coronas no entry in nageshwar unhel town
नागेश्वर उन्हैल कस्बे में कोरोना की 'नो एंट्री'
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Published : Jul 15, 2020, 5:46 PM IST

झालावाड़. उन्हैल नागेश्वर कस्बे के लोगों ने बॉर्डर पर तैनात सिपाहियों की तरह कोरोना से जंग लड़ी और उस पर विजय हासिल की. एक ओर जहां देश भर के तमाम बड़े शहरों में पुलिस और प्रशासन की बेहतर व्यवस्था होने के बाद भी तेजी से कोरोना का संक्रमण फैला वहीं सुविधाओं के अभाव में भी उन्हैल नागेश्वर कस्बे के लोगों ने समझदारी से काम लेते हुए गांव को इस महामारी से बचाए रखा. यहां अब तक एक भी कोरोना पॉजिटिव केस सामने नहीं आया है. कस्बाइयों ने अपनी सजगता से यहां कोरोना की 'नो एंट्री' कर दी थी. ईटीवी ने ग्रामीणों से जाना कि कोरोना से गांव को बचाए रखने के लिए उन्होंने क्या-क्या उपाए किए.

नागेश्वर उन्हैल कस्बे में कोरोना की 'नो एंट्री'

उन्हैल नागेश्वर कस्बे की आबादी करीब 5000 है और यहां की भौगोलिक स्थिति देखी जाए तो दोनों तरफ से यह कस्बा मध्यप्रदेश की सीमाओं से लगा हुआ है. एमपी की सीमाओं से सटा होने के कारण उन्हैल कस्बे के चारों ओर कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है. शिप्रा नदी के तट पर स्थित यह कस्बा शुरू से ही कोरोना से जंग लड़ता आ रहा है. पुलिस की ओर से यहां दोनों तरफ से सीमाओं पर नाकाबंदी कर दी गई थी. 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसके बाद लॉकडाउन के बाद से ही पुलिसकर्मी गांव आने वाले लोगों को सरकार के निर्देश के अनुसार रोकते और उनकी जांच करते थे.

coronas no entry in nageshwar unhel town
नागेश्वर उन्हैल कस्बे में कोरोना का मामला नहीं

रजिस्टर मेनटेन कर रखा ब्योरा...

मई में जब ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ तो ग्राम पंचायत की ओर से एक रजिस्टर मेंटेन किया गया था. इसमें बाहर से आने वाले मजदूरों के नाम, वे किस गांव के हैं, किस जिले और स्थान से आए हैं, उस क्षेत्र में कोरोना का संक्रमण तो नहीं फैला है, गांव में किसके घर रुके हैं या रुका है, इसकी विस्तृत जानकारी नोट की जाती थी. उसके बाद उन्हैल स्कूल या घरों पर ही 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन किया जाता था. ऐसे में करीब 200 से अधिक श्रमिकों को क्वॉरेंटन किया गया था.

यह भी पढ़ें : चौथे चरण का पंचायत चुनाव 15 अक्टूबर से पहले करवाएं : कोर्ट

मंदिर में प्रवेश पर रहा प्रतिबंध...

नागेश्वर गांव में विश्वविख्यात नागेश्वर मंदिर में जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता था. वहीं, लॉकडाडन के दौरान पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा. सरकार के निर्देश के अनुसार मंदिर भी बंद ही रहा. मंदिर समिति की ओर से परिसर में प्रवेश वर्जित कर दिया गया था. रोजाना सिर्फ मंदिर के पुजारी वहां आरती-पूजन किया करते थे. किसी भी ग्रामीण को दर्शन की अनुमति नहीं थी. इस दौरान पूरे मंदिर परिसर काे समय-समय पर सैनिटाइज भी कराया जाता था. मंदिर कर्मचारी भी बिना मास्क और सैनिटाइजर से हाथ धोए प्रवेश नहीं कर सके थे.

यह भी पढ़ें : यातायात नियम तोड़ने वालों की जेब होगी ढीली, प्रदेश में 10 महीने बाद लागू हुआ नया मोटर व्हीकल एक्ट

टेलर ओम प्रकाश ने बांटे मास्क...

गांव में कोरोना का संक्रमण न फैले इसके लिए सभी ने पूरी सतर्कता बरती. गांव के ही टेलर ओमप्रकाश ने दुकान बंद होने के बाद भी मास्क बनाकर लोगों को नि:शुल्क वितरित किया.उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाकर रहना बहुत जरूरी था. गांव में काेई एक भी संक्रमित होता तो फिर संख्या तेजी से बढ़ती जिससे हालात बिगड़ जाते. इसलिए घर पर रहकर ही मास्क बनाकर लोगों को देते थे.

यह भी पढ़ें : बिजली कंपनियों में खाली पड़े टेक्निकल और फाइनेंस डायरेक्टर के पद...CM के पास अटकी फाइल

राशन बांटा और घर में ही रहने को कहा...

ग्रामीणों की मानें तो ग्राम पंचायत की ओर से समय-समय पर कस्बे में सेनिटाइजर का छिड़काव कराया गया. तीर्थ पेड़ी पदाधिकारी और ग्राम पंचायत के माध्यम से कस्बे में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को लॉकडाडन के दौरान राशन सामग्री का वितरण किया गया. लोगों को राशन देने के साथ घरों में ही रहने के लिए कहा गया. लॉकडाडन के दौरान दूसरे गांवों में जाने पर भी प्रतिबंध था.

स्वास्थ्य विभाग राजस्व विभाग, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से समय-समय पर कस्बे में घूम कर सर्वे किया गया. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से घर-घर जाकर थर्मल स्कैनिंग भी की गई. लोगों को मास्क बांटने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में भी समझाया गया. वहीं कस्बे में मंदिर, बैंक, सहकारी समिति, अटल सेवा केंद्र, अस्पताल सहित सार्वजनिक स्थानों पर भी समय-समय पर सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया. लोगों से बार-बार हाथ धोते रहने को कहा गया.

झालावाड़. उन्हैल नागेश्वर कस्बे के लोगों ने बॉर्डर पर तैनात सिपाहियों की तरह कोरोना से जंग लड़ी और उस पर विजय हासिल की. एक ओर जहां देश भर के तमाम बड़े शहरों में पुलिस और प्रशासन की बेहतर व्यवस्था होने के बाद भी तेजी से कोरोना का संक्रमण फैला वहीं सुविधाओं के अभाव में भी उन्हैल नागेश्वर कस्बे के लोगों ने समझदारी से काम लेते हुए गांव को इस महामारी से बचाए रखा. यहां अब तक एक भी कोरोना पॉजिटिव केस सामने नहीं आया है. कस्बाइयों ने अपनी सजगता से यहां कोरोना की 'नो एंट्री' कर दी थी. ईटीवी ने ग्रामीणों से जाना कि कोरोना से गांव को बचाए रखने के लिए उन्होंने क्या-क्या उपाए किए.

नागेश्वर उन्हैल कस्बे में कोरोना की 'नो एंट्री'

उन्हैल नागेश्वर कस्बे की आबादी करीब 5000 है और यहां की भौगोलिक स्थिति देखी जाए तो दोनों तरफ से यह कस्बा मध्यप्रदेश की सीमाओं से लगा हुआ है. एमपी की सीमाओं से सटा होने के कारण उन्हैल कस्बे के चारों ओर कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है. शिप्रा नदी के तट पर स्थित यह कस्बा शुरू से ही कोरोना से जंग लड़ता आ रहा है. पुलिस की ओर से यहां दोनों तरफ से सीमाओं पर नाकाबंदी कर दी गई थी. 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसके बाद लॉकडाउन के बाद से ही पुलिसकर्मी गांव आने वाले लोगों को सरकार के निर्देश के अनुसार रोकते और उनकी जांच करते थे.

coronas no entry in nageshwar unhel town
नागेश्वर उन्हैल कस्बे में कोरोना का मामला नहीं

रजिस्टर मेनटेन कर रखा ब्योरा...

मई में जब ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ तो ग्राम पंचायत की ओर से एक रजिस्टर मेंटेन किया गया था. इसमें बाहर से आने वाले मजदूरों के नाम, वे किस गांव के हैं, किस जिले और स्थान से आए हैं, उस क्षेत्र में कोरोना का संक्रमण तो नहीं फैला है, गांव में किसके घर रुके हैं या रुका है, इसकी विस्तृत जानकारी नोट की जाती थी. उसके बाद उन्हैल स्कूल या घरों पर ही 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन किया जाता था. ऐसे में करीब 200 से अधिक श्रमिकों को क्वॉरेंटन किया गया था.

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मंदिर में प्रवेश पर रहा प्रतिबंध...

नागेश्वर गांव में विश्वविख्यात नागेश्वर मंदिर में जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता था. वहीं, लॉकडाडन के दौरान पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा. सरकार के निर्देश के अनुसार मंदिर भी बंद ही रहा. मंदिर समिति की ओर से परिसर में प्रवेश वर्जित कर दिया गया था. रोजाना सिर्फ मंदिर के पुजारी वहां आरती-पूजन किया करते थे. किसी भी ग्रामीण को दर्शन की अनुमति नहीं थी. इस दौरान पूरे मंदिर परिसर काे समय-समय पर सैनिटाइज भी कराया जाता था. मंदिर कर्मचारी भी बिना मास्क और सैनिटाइजर से हाथ धोए प्रवेश नहीं कर सके थे.

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टेलर ओम प्रकाश ने बांटे मास्क...

गांव में कोरोना का संक्रमण न फैले इसके लिए सभी ने पूरी सतर्कता बरती. गांव के ही टेलर ओमप्रकाश ने दुकान बंद होने के बाद भी मास्क बनाकर लोगों को नि:शुल्क वितरित किया.उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाकर रहना बहुत जरूरी था. गांव में काेई एक भी संक्रमित होता तो फिर संख्या तेजी से बढ़ती जिससे हालात बिगड़ जाते. इसलिए घर पर रहकर ही मास्क बनाकर लोगों को देते थे.

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राशन बांटा और घर में ही रहने को कहा...

ग्रामीणों की मानें तो ग्राम पंचायत की ओर से समय-समय पर कस्बे में सेनिटाइजर का छिड़काव कराया गया. तीर्थ पेड़ी पदाधिकारी और ग्राम पंचायत के माध्यम से कस्बे में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को लॉकडाडन के दौरान राशन सामग्री का वितरण किया गया. लोगों को राशन देने के साथ घरों में ही रहने के लिए कहा गया. लॉकडाडन के दौरान दूसरे गांवों में जाने पर भी प्रतिबंध था.

स्वास्थ्य विभाग राजस्व विभाग, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से समय-समय पर कस्बे में घूम कर सर्वे किया गया. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से घर-घर जाकर थर्मल स्कैनिंग भी की गई. लोगों को मास्क बांटने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में भी समझाया गया. वहीं कस्बे में मंदिर, बैंक, सहकारी समिति, अटल सेवा केंद्र, अस्पताल सहित सार्वजनिक स्थानों पर भी समय-समय पर सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया. लोगों से बार-बार हाथ धोते रहने को कहा गया.

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