ETV Bharat / state

Womens Day Special : पूजा तेजी की तेज रफ्तार ने बनाई पहचान, सपनों को पूरा करने के लिए तोड़ी सगाई छोड़ा घर

झालावाड़ की पूजा तेजी सिर्फ नाम में ही तेजी नहीं है बल्कि इनके पैरों में भी तेजी है. पूजा राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर की अनेक प्रतियोगिताओं और मैराथन में कई मेडल जीत चुकी है. जितनी तेज रफ्तार पूजा तेजी की है उतना ही कड़ा संघर्ष पूजा तेजी ने अपने जीवन में भी किया है. पढ़ें पूजा के संघर्षों की पूरी कहानी...

झालावाड़ की पूजा तेजी, pooja teji of Jhalawar
पूजा तेजी की तेज रफ्तार ने बनाई पहचान
author img

By

Published : Mar 8, 2021, 6:33 AM IST

झालावाड़. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम आपका परिचय झालावाड़ की धावक पूजा तेजी से करवाने जा रहे हैं. जिनके सिर्फ नाम में ही नहीं बल्कि रफ्तार में भी तेजी है. पूरा झालवाड़ जिला पूजा तेजी की तेज रफ्तार का कायल है. राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर की अनेक प्रतियोगिताओं और मैराथन में कई मेडल जीत चुकी है. जितनी तेज रफ्तार पूजा तेजी की है उतना ही कड़ा संघर्ष पूजा तेजी ने अपने जीवन में भी किया है.

पूजा तेजी की तेज रफ्तार ने बनाई पहचान

पढ़ेंः Womens Day Special: इस महिला पुलिस अधिकारी ने आसाराम को पहुंचाया था सलाखों के पीछे

झालावाड़ के बस स्टैंड के हरिजन मोहल्ले की रहने वाली पूजा तेजी ने खुद के जुनून के लिए अपने दलित समाज और परिवार की बेड़ियों को तोड़ा. अपने सपनों को पूरा करने के लिए शादी के कई रिश्ते भी तोड़े. यहां तक की अपने घर को भी छोड़ा. अपने जुनून के लिए घर से भागने वाली पूजा ग्राउंड में भागते-भागते झालावाड़ ही नहीं बल्कि राजस्थान में बड़ा नाम बन चुकी है.

एथलीट पूजा तेजी ने बताया कि बचपन में वह अखबार में सिर्फ खेल की खबरें ही पढ़ा करती थी और जीतने वाले खिलाड़ियों के फोटो काटकर अपने पास रख लिया करती थी. उसी दौरान पूजा को बॉक्सिंग करने का जुनून सवार हुआ. जिसके बाद वह घर पर ही चोरी चुपके कपड़ों से बॉक्सिंग किया करती थी. उस समय पूजा को घर से बाहर निकलने की आजादी नहीं थी.

झालावाड़ की पूजा तेजी, pooja teji of Jhalawar
अपने मेडल और इनाम के साथ पूजा

ऐसे में वह छत पर जाकर प्रैक्टिस करने लगी और धीरे-धीरे सुबह 4 बजे परिवार के उठने से पहले ही खेल संकुल में जाकर दौड़ लगाने लगी. कुछ दिनों में घरवालों को मालूम पड़ने पर ये भी बंद करना पड़ा. साथ ही छुप छुप कर घर के बाहर जाने के कारण समाज और परिवार के लोगों के ताने भी सुनने पड़े. ऐसे में परिवार ने पूजा की जबरदस्ती सगाई कर दी, लेकिन पूजा तेजी ने सगाई तोड़ दी.

पढ़ें- आधी आबादी की लड़ाई में तालीम की दरकार, महिला दिवस पर यूं हुई अधिकारों पर बात

पूजा तेजी ने अपने सपने को पूरा करने के लिए परिवार के खिलाफ जाकर कई रिश्ते तोड़े और बाद में जब परिवार का दबाव ज्यादा बढ़ा तो पूजा घर से भाग गई. जिसके बाद परिजनों ने पूजा की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस थाने में लिखवा दी. जिसपर परिवार वालों के साथ-साथ पुलिस भी पूजा को ढूंढ रही थी. ऐसे में 4 दिन अपने दोस्तों के साथ रहने के बाद पूजा झालावाड़ के तत्कालीन जिला कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी के पास पहुंची और अपने सपनों के बारे में बताया. ऐसे में कलेक्टर ने पूजा को अपने आप को साबित करने के लिए कहा और घर पर ही रहते हुए जिला खेल अधिकारी के कृपाशंकर शर्मा के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त करने को कहा.

इस दौरान पूजा के परिजनों ने कहा कि वो खेलने की अनुमति तो देते हैं, लेकिन वह अपनी बेटे को मार खाते हुए नहीं देख सकते ऐसे में उसे बॉक्सिंग छोड़कर कोई और खेल खेलना होगा. ऐसे में पूजा ने एथलेटिक्स चुना. जिसके बाद पूजा ने पहली बार कोटा में एक मैराथन में भाग लिया. जिसमें महिलाओं की कैटेगरी में वह पहले नंबर पर और पुरुषों में चौथे नंबर पर आयी. यहीं से पूजा की कामयाबी का सफर शुरू हुआ जो आज तक बदस्तूर जारी है.

इसके बाद उन्होंने झालावाड़, जयपुर, राजस्थान के कई जिलों में आयोजित हुई मेराथनों में भाग लिया और मेडल लेकर लौटी. इसके अलावा पिछले 3 साल से झालावाड़ के लिए एथलेटिक्स में राजस्थान स्तर पर मेडल ला रही है. पूजा ने राज्य स्तर के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया और मथुरा, हैदराबाद और चंडीगढ़ जाकर भी उन्होंने मैडल जीता है.

झालावाड़ की पूजा तेजी, pooja teji of Jhalawar
अपने परिजनों के साथ पूजा

पूजा ने बताया कि अपने आप को साबित करने के बाद आज उनका पूरा परिवार उनके साथ है और उनके ऊपर गर्व महसूस करता है. उन्होंने बताया कि उनका अगला लक्ष्य जुलाई में होने वाली एथलेटिक्स की नेशनल चैंपियनशिप में मैडल जीतना है. उनका सपना है कि वह देश के लिए मेडल लेकर आएं और परिवार और झालावाड़ का नाम रोशन करें.

पढ़ेंः Women's Day Special: 'जब तक समाज की मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक महिलाओं के साथ अत्याचार होता रहेगा'

उन्होंने बताया कि वह रोजाना 10 घंटे प्रैक्टिस में बिताती है. इसमें सुबह 4 बजे से 10 बजे तक तथा शाम को 4 से 8 बजे तक रोज प्रैक्टिस करती हैं. पूजा के परिजनों ने बताया कि वो शुरू से ही बहुत मेहनती थी. रोज सुबह जल्दी उठकर प्रैक्टिस किया करती थी और उसी की बदौलत आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. जिसके चलते उनके परिवार का नाम रोशन हुआ है. ऐसे में आज पूरा परिवार पूजा के साथ खड़ा हैं.

वहीं 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एंबेसडर व शारीरिक शिक्षिका कृष्णा वर्मा ने बताया कि पूजा तेजी की जिंदगी बहुत संघर्षों से भरी हुई रही है. उन्होंने पूजा तेजी के जीवन को बहुत करीब से देखा है. उनमें खेलने को लेकर बहुत जुनून है और उसी की बदौलत आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. उन्होंने कहा जिन हालातों से निकल कर पूजा ने अपनी पहचान बनाई है. ऐसे में वो सभी परिजनों से अपील करती है कि अपनी संतानों को खासकर बेटियों को एक मौका जरूर दें ताकि वह अपने आप को साबित कर सके.

झालावाड़. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम आपका परिचय झालावाड़ की धावक पूजा तेजी से करवाने जा रहे हैं. जिनके सिर्फ नाम में ही नहीं बल्कि रफ्तार में भी तेजी है. पूरा झालवाड़ जिला पूजा तेजी की तेज रफ्तार का कायल है. राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर की अनेक प्रतियोगिताओं और मैराथन में कई मेडल जीत चुकी है. जितनी तेज रफ्तार पूजा तेजी की है उतना ही कड़ा संघर्ष पूजा तेजी ने अपने जीवन में भी किया है.

पूजा तेजी की तेज रफ्तार ने बनाई पहचान

पढ़ेंः Womens Day Special: इस महिला पुलिस अधिकारी ने आसाराम को पहुंचाया था सलाखों के पीछे

झालावाड़ के बस स्टैंड के हरिजन मोहल्ले की रहने वाली पूजा तेजी ने खुद के जुनून के लिए अपने दलित समाज और परिवार की बेड़ियों को तोड़ा. अपने सपनों को पूरा करने के लिए शादी के कई रिश्ते भी तोड़े. यहां तक की अपने घर को भी छोड़ा. अपने जुनून के लिए घर से भागने वाली पूजा ग्राउंड में भागते-भागते झालावाड़ ही नहीं बल्कि राजस्थान में बड़ा नाम बन चुकी है.

एथलीट पूजा तेजी ने बताया कि बचपन में वह अखबार में सिर्फ खेल की खबरें ही पढ़ा करती थी और जीतने वाले खिलाड़ियों के फोटो काटकर अपने पास रख लिया करती थी. उसी दौरान पूजा को बॉक्सिंग करने का जुनून सवार हुआ. जिसके बाद वह घर पर ही चोरी चुपके कपड़ों से बॉक्सिंग किया करती थी. उस समय पूजा को घर से बाहर निकलने की आजादी नहीं थी.

झालावाड़ की पूजा तेजी, pooja teji of Jhalawar
अपने मेडल और इनाम के साथ पूजा

ऐसे में वह छत पर जाकर प्रैक्टिस करने लगी और धीरे-धीरे सुबह 4 बजे परिवार के उठने से पहले ही खेल संकुल में जाकर दौड़ लगाने लगी. कुछ दिनों में घरवालों को मालूम पड़ने पर ये भी बंद करना पड़ा. साथ ही छुप छुप कर घर के बाहर जाने के कारण समाज और परिवार के लोगों के ताने भी सुनने पड़े. ऐसे में परिवार ने पूजा की जबरदस्ती सगाई कर दी, लेकिन पूजा तेजी ने सगाई तोड़ दी.

पढ़ें- आधी आबादी की लड़ाई में तालीम की दरकार, महिला दिवस पर यूं हुई अधिकारों पर बात

पूजा तेजी ने अपने सपने को पूरा करने के लिए परिवार के खिलाफ जाकर कई रिश्ते तोड़े और बाद में जब परिवार का दबाव ज्यादा बढ़ा तो पूजा घर से भाग गई. जिसके बाद परिजनों ने पूजा की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस थाने में लिखवा दी. जिसपर परिवार वालों के साथ-साथ पुलिस भी पूजा को ढूंढ रही थी. ऐसे में 4 दिन अपने दोस्तों के साथ रहने के बाद पूजा झालावाड़ के तत्कालीन जिला कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी के पास पहुंची और अपने सपनों के बारे में बताया. ऐसे में कलेक्टर ने पूजा को अपने आप को साबित करने के लिए कहा और घर पर ही रहते हुए जिला खेल अधिकारी के कृपाशंकर शर्मा के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त करने को कहा.

इस दौरान पूजा के परिजनों ने कहा कि वो खेलने की अनुमति तो देते हैं, लेकिन वह अपनी बेटे को मार खाते हुए नहीं देख सकते ऐसे में उसे बॉक्सिंग छोड़कर कोई और खेल खेलना होगा. ऐसे में पूजा ने एथलेटिक्स चुना. जिसके बाद पूजा ने पहली बार कोटा में एक मैराथन में भाग लिया. जिसमें महिलाओं की कैटेगरी में वह पहले नंबर पर और पुरुषों में चौथे नंबर पर आयी. यहीं से पूजा की कामयाबी का सफर शुरू हुआ जो आज तक बदस्तूर जारी है.

इसके बाद उन्होंने झालावाड़, जयपुर, राजस्थान के कई जिलों में आयोजित हुई मेराथनों में भाग लिया और मेडल लेकर लौटी. इसके अलावा पिछले 3 साल से झालावाड़ के लिए एथलेटिक्स में राजस्थान स्तर पर मेडल ला रही है. पूजा ने राज्य स्तर के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया और मथुरा, हैदराबाद और चंडीगढ़ जाकर भी उन्होंने मैडल जीता है.

झालावाड़ की पूजा तेजी, pooja teji of Jhalawar
अपने परिजनों के साथ पूजा

पूजा ने बताया कि अपने आप को साबित करने के बाद आज उनका पूरा परिवार उनके साथ है और उनके ऊपर गर्व महसूस करता है. उन्होंने बताया कि उनका अगला लक्ष्य जुलाई में होने वाली एथलेटिक्स की नेशनल चैंपियनशिप में मैडल जीतना है. उनका सपना है कि वह देश के लिए मेडल लेकर आएं और परिवार और झालावाड़ का नाम रोशन करें.

पढ़ेंः Women's Day Special: 'जब तक समाज की मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक महिलाओं के साथ अत्याचार होता रहेगा'

उन्होंने बताया कि वह रोजाना 10 घंटे प्रैक्टिस में बिताती है. इसमें सुबह 4 बजे से 10 बजे तक तथा शाम को 4 से 8 बजे तक रोज प्रैक्टिस करती हैं. पूजा के परिजनों ने बताया कि वो शुरू से ही बहुत मेहनती थी. रोज सुबह जल्दी उठकर प्रैक्टिस किया करती थी और उसी की बदौलत आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. जिसके चलते उनके परिवार का नाम रोशन हुआ है. ऐसे में आज पूरा परिवार पूजा के साथ खड़ा हैं.

वहीं 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एंबेसडर व शारीरिक शिक्षिका कृष्णा वर्मा ने बताया कि पूजा तेजी की जिंदगी बहुत संघर्षों से भरी हुई रही है. उन्होंने पूजा तेजी के जीवन को बहुत करीब से देखा है. उनमें खेलने को लेकर बहुत जुनून है और उसी की बदौलत आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. उन्होंने कहा जिन हालातों से निकल कर पूजा ने अपनी पहचान बनाई है. ऐसे में वो सभी परिजनों से अपील करती है कि अपनी संतानों को खासकर बेटियों को एक मौका जरूर दें ताकि वह अपने आप को साबित कर सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.