झालावाड़. धरतीपुत्र कहे जाने वाले किसान भारतीय राजनीति में सर्वकालिक मुद्दा रहे हैं. तमाम सरकारें किसान वर्ग के हित के लिए योजनाएं लेकर आती हैं और इनके लिए नए-नए प्रयोग भी करती है. सरकारें किसान वर्ग की पैदावार बढ़ाने के लिए उत्तम किस्म का बीज उपलब्ध करवाने की व्यवस्था भी करती है लेकिन झालावाड़ में इसकी हकीकत क्या है? ये आज हम आपको ईटीवी भारत के माध्यम से बताएंगे.
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने किसानों को बीज उपलब्ध करवाने के लिए दो प्रकार की व्यवस्थाएं कर रखी है. जिसमें से एक में तो किसानों को अनुदान पर बीज दिया जाता है. इसमें किसानों की जमाबंदी की नकल देखकर कृषि पर्यवेक्षक द्वारा अधिकृत विक्रेता से किसान को बीज उपलब्ध कराने के लिए सिफारिश की जाती है. जिससे किसानों को कम कीमत पर बीज उपलब्ध हो जाता है.
वहीं दूसरी व्यवस्था में बिना अनुदान के किसानों को बीज दिया जाता है. कृषि विभाग ने झालावाड़ में बीज के वितरण का लक्ष्य 8200 क्विंटल रखा था और इन बीजों के वितरण के लिए राजस्थान राज्य बीज निगम, नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन, तिलम संघ, हिंदुस्तान लिमिटेड व कृपको को बीजों का आवंटन किया गया था ताकि वह किसानों के बीच बीजों का वितरण करें.
इस पूरी व्यवस्था की पड़ताल जब ईटीवी भारत की टीम ने की तो कई रोचक चीजें निकल कर सामने आई. किसानों ने हमें बताया कि सरकार की तरफ से भी बीज दिए जाते हैं उनको इसकी जानकारी ही नहीं है. इसलिए वे लोग घर का या फिर प्राइवेट दुकानों पर से खरीदा हुआ बीज ही इस्तेमाल करते हैं. कुछ किसानों का कहना था कि सरकार द्वारा जो बीज दिया जाता है वो काफी देरी से दिया जाता है. जिससे समय रहते बुआई नहीं हो पाती है. साथ ही सरकार द्वारा दिए जाने वाले बीज की क्वालिटी भी अच्छी नहीं रहती है.