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हौसले को सलामः संजीव ने दिव्यांगता को दी मात...500 से अधिक मजदूरों को घर पहुंचाने में की मदद

पलायन के इस दौर में हम आपको एक ऐसे कोरोना वॉरियर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने खुद की अक्षमताओं को अपनी ताकत बनाया और इस मुश्किल की घड़ी में मजदूरों के लिए सहायता के लिए लगातार काम कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं झालावाड़ के संजीव वर्मा की जिन्होंने दिव्यांग होते हुए भी 500 से अधिक मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचने में मदद की.

झालावाड़ न्यूज, कोरोना वायरस, jhalawar news, corona virus
एक कोरोना वॉरियर ऐसा भी...
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Published : May 20, 2020, 7:39 PM IST

झालावाड़. कोरोना वायरस के चलते घोषित किए गए लॉकडाउन में लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या अपने घरों पर पहुंचने की सामने आई है. लॉकडाउन के कारण लोग जहां थे वहीं पर फंस गए हैं. इसी बीच देशभर से मजदूरों के पलायन की खबरें भी सामने आ रही है. जहां पर कई मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ लौटते हुए नजर आ रहे हैं, तो कई मजदूर किराये के वाहनों में जाते हुए नजर आ रहे हैं.

एक कोरोना वॉरियर ऐसा भी...

पलायन के इस दौर में हम आपको एक ऐसे कोरोना वॉरियर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने खुद की अक्षमताओं को अपनी ताकत बनाया और इस मुश्किल की घड़ी में मजदूरों के लिए सहायता के लिए लगातार काम कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं झालावाड़ के संजीव वर्मा की जिन्होंने दिव्यांग होते हुए भी सैंकड़ो मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचने में मदद की.

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500 से अधिक मजदूरों को घर पहुंचने में की मदद...
संजीव वर्मा ने बताया, कि उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से और सोशल मीडिया पर मजदूरों को घर जाने के लिए आ रही समस्याओं के बारे में देखा. ऐसे में उन्होंने खुद से ही लोगों की मदद करने का निर्णय लिया, जिसके बाद उन्होंने खुद के नंबर सोशल मीडिया पर वायरल किए साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने कांटेक्ट नंबर बताएं. जिससे लोग अपने घरों पर लौटने के लिए पास बनवा सकें. संजीव वर्मा लोगों से उनकी जानकारी जुटाते और उस जानकारी को राजस्थान सरकार की वेबसाइट पर ईःपास के लिए मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करते. उसके बाद पास बनने पर उसके स्क्रीनशॉट और ईः पास नंबर मजदूरों के पास भेजते, ताकि लोग सहजता से अपने गंतव्य तक पहुंच सके.

पढ़ेंः राजस्थान-यूपी बॉर्डर पर खड़ी बसों को अनुमति नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण, ये ओछी राजनीति हैः भंवर जितेंद्र सिंह

संजीव वर्मा ने बताया, कि ज्यादातर मजदूर अनपढ़ और निरक्षर है. ऐसे में उनको ईःपास बनाने की प्रक्रिया की जानकारी का अभाव है. जिसके चलते मजदूर ईःपास नहीं बनवा पा रहे थे. उन्होंने अपने इंटरनेट और सरकारी प्रक्रिया के ज्ञान का उपयोग लोगों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए किया. बता दें, कि संजीव वर्मा ने करीबन 500 से अधिक मजदूर जो राजस्थान के कई अन्य जिलों में फंसे हुए थे उनको अपने घरों तक पहुंचाने में मदद की है.

झालावाड़. कोरोना वायरस के चलते घोषित किए गए लॉकडाउन में लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या अपने घरों पर पहुंचने की सामने आई है. लॉकडाउन के कारण लोग जहां थे वहीं पर फंस गए हैं. इसी बीच देशभर से मजदूरों के पलायन की खबरें भी सामने आ रही है. जहां पर कई मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ लौटते हुए नजर आ रहे हैं, तो कई मजदूर किराये के वाहनों में जाते हुए नजर आ रहे हैं.

एक कोरोना वॉरियर ऐसा भी...

पलायन के इस दौर में हम आपको एक ऐसे कोरोना वॉरियर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने खुद की अक्षमताओं को अपनी ताकत बनाया और इस मुश्किल की घड़ी में मजदूरों के लिए सहायता के लिए लगातार काम कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं झालावाड़ के संजीव वर्मा की जिन्होंने दिव्यांग होते हुए भी सैंकड़ो मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचने में मदद की.

झालावाड़ न्यूज, कोरोना वायरस, jhalawar news, corona virus
500 से अधिक मजदूरों को घर पहुंचने में की मदद...
संजीव वर्मा ने बताया, कि उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से और सोशल मीडिया पर मजदूरों को घर जाने के लिए आ रही समस्याओं के बारे में देखा. ऐसे में उन्होंने खुद से ही लोगों की मदद करने का निर्णय लिया, जिसके बाद उन्होंने खुद के नंबर सोशल मीडिया पर वायरल किए साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने कांटेक्ट नंबर बताएं. जिससे लोग अपने घरों पर लौटने के लिए पास बनवा सकें. संजीव वर्मा लोगों से उनकी जानकारी जुटाते और उस जानकारी को राजस्थान सरकार की वेबसाइट पर ईःपास के लिए मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करते. उसके बाद पास बनने पर उसके स्क्रीनशॉट और ईः पास नंबर मजदूरों के पास भेजते, ताकि लोग सहजता से अपने गंतव्य तक पहुंच सके.

पढ़ेंः राजस्थान-यूपी बॉर्डर पर खड़ी बसों को अनुमति नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण, ये ओछी राजनीति हैः भंवर जितेंद्र सिंह

संजीव वर्मा ने बताया, कि ज्यादातर मजदूर अनपढ़ और निरक्षर है. ऐसे में उनको ईःपास बनाने की प्रक्रिया की जानकारी का अभाव है. जिसके चलते मजदूर ईःपास नहीं बनवा पा रहे थे. उन्होंने अपने इंटरनेट और सरकारी प्रक्रिया के ज्ञान का उपयोग लोगों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए किया. बता दें, कि संजीव वर्मा ने करीबन 500 से अधिक मजदूर जो राजस्थान के कई अन्य जिलों में फंसे हुए थे उनको अपने घरों तक पहुंचाने में मदद की है.

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