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World Heritage Day 2023: पर्यटन विकास समिति ने की गागरोन फोर्ट में हाथी और घुड़सवारी की मांग

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Published : Apr 18, 2023, 5:17 PM IST

झालावाड़ की पर्यटन विकास समिति ने गागरोन दुर्ग परिसर में पर्यटकों को आकर्षित करने वाली सुविधाएं जुटाने की मांग की है. इनमें हाथी सवारी और घुड़सवारी शुरू करने की मांग प्रमुख है.

demand of Tourist attractions for Gagron fort Jhalawar
World Heritage Day 2023: पर्यटन विकास समिति ने की गागरोन फोर्ट में हाथी और घुड़सवारी की मांग

झालावाड़. पर्यटन विकास समिति की ओर से गागरोन दुर्ग परिसर में रेस्टोरेंट, गार्डन, घोड़ा तथा हाथी सवारी जैसी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले संसाधनो की मांग की जा रही है. समिति का कहना है कि झालावाड़ स्थित जलदुर्ग गागरोन को विश्व धरोहर में शामिल हुए करीब 10 वर्ष बीत चुके हैं. लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते यहां पर्यटक सुविधाओं का अभाव है और इसकी पहचान को वह मुकाम नहीं मिल पा रहा है, जिसका यह हकदार है.

बता दें कि जिले की ऐतिहासिक विरासत जलदुर्ग गागरोन को यूनेस्को की ओर से 21 जून, 2013 को विश्व धरोहर में शामिल किया गया था. विश्व विरासत में शामिल होने के बाद गागरोन जलदुर्ग के माध्यम से झालावाड़ विश्व के नक्शे में अपनी अलग पहचान रखने लगा, तो वहीं क्षेत्र में पर्यटन उद्योग को भी खासा बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जाने लगी, लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते यहां पर्यटकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पढ़ेंः विश्व पर्यटन दिवस: मानसून में पर्यटकों के लिए दूर की कौड़ी बन जाता है झालावाड़ का विश्व धरोहर गागरोन किला

विश्व धरोहर दिवस पर पर्यटन विकास समिति झालावाड़ के सदस्यों ने गागरोन दुर्ग परिसर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया. पर्यटन विकास समिति अध्यक्ष ओम पाठक ने बताया कि विश्व धरोहर में शामिल जलदुर्ग झालावाड़ वासियों के लिए गौरव का प्रतीक है, लेकिन जिला प्रशासन की उपेक्षा से यहां पर्यटकों को निराशा हाथ लगी है. यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अश्व तथा हाथी की सवारी की सुविधाएं शुरू की जाएं. जलदुर्ग परिसर में बेहतरीन गार्डन रेस्टोरेंट की भी मांग की गई.

पढ़ेंः झालावाड़ के गागरोन दुर्ग को विश्व धरोहर घोषित होने की 5वीं वर्षगांठ मनाई

पाठक ने बताया कि जलदुर्ग गागरोन बिना नींव के चट्टानों पर बनाया गया एकमात्र दुर्ग है, जिसकी रक्षा तीन ओर से आहू तथा कालीसिंध नदियां करती है. इनके संगम स्थल पर इस जल दुर्ग का निर्माण किया गया था. कई ऐतिहासिक साक्ष्यों को समेटे जलदुर्ग का निर्माण मुकुंदरा की पहाड़ियों पर हुआ है. जहां अब टाइगर रिजर्व क्षेत्र भी बन गया है. ऐसे में देशी तथा विदेशी सैलानियों के आने की भी खासी उम्मीद जगी है. लेकिन गागरोन दुर्ग तक पहुंचने के लिए हाई लेवल पुलिया का निर्माण होना आवश्यक है, क्योंकि बारिश के दिनों में नदियां उफान पर होती हैं और गागरोन जलदुर्ग तक पहुंचने के सभी मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं. दुर्ग परिसर में जगह-जगह जंगली घास उगी हुई है, जिसे साफ करवा कर बगीचे विकसित किए जाने चाहिए.

झालावाड़. पर्यटन विकास समिति की ओर से गागरोन दुर्ग परिसर में रेस्टोरेंट, गार्डन, घोड़ा तथा हाथी सवारी जैसी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले संसाधनो की मांग की जा रही है. समिति का कहना है कि झालावाड़ स्थित जलदुर्ग गागरोन को विश्व धरोहर में शामिल हुए करीब 10 वर्ष बीत चुके हैं. लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते यहां पर्यटक सुविधाओं का अभाव है और इसकी पहचान को वह मुकाम नहीं मिल पा रहा है, जिसका यह हकदार है.

बता दें कि जिले की ऐतिहासिक विरासत जलदुर्ग गागरोन को यूनेस्को की ओर से 21 जून, 2013 को विश्व धरोहर में शामिल किया गया था. विश्व विरासत में शामिल होने के बाद गागरोन जलदुर्ग के माध्यम से झालावाड़ विश्व के नक्शे में अपनी अलग पहचान रखने लगा, तो वहीं क्षेत्र में पर्यटन उद्योग को भी खासा बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जाने लगी, लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते यहां पर्यटकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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विश्व धरोहर दिवस पर पर्यटन विकास समिति झालावाड़ के सदस्यों ने गागरोन दुर्ग परिसर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया. पर्यटन विकास समिति अध्यक्ष ओम पाठक ने बताया कि विश्व धरोहर में शामिल जलदुर्ग झालावाड़ वासियों के लिए गौरव का प्रतीक है, लेकिन जिला प्रशासन की उपेक्षा से यहां पर्यटकों को निराशा हाथ लगी है. यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अश्व तथा हाथी की सवारी की सुविधाएं शुरू की जाएं. जलदुर्ग परिसर में बेहतरीन गार्डन रेस्टोरेंट की भी मांग की गई.

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पाठक ने बताया कि जलदुर्ग गागरोन बिना नींव के चट्टानों पर बनाया गया एकमात्र दुर्ग है, जिसकी रक्षा तीन ओर से आहू तथा कालीसिंध नदियां करती है. इनके संगम स्थल पर इस जल दुर्ग का निर्माण किया गया था. कई ऐतिहासिक साक्ष्यों को समेटे जलदुर्ग का निर्माण मुकुंदरा की पहाड़ियों पर हुआ है. जहां अब टाइगर रिजर्व क्षेत्र भी बन गया है. ऐसे में देशी तथा विदेशी सैलानियों के आने की भी खासी उम्मीद जगी है. लेकिन गागरोन दुर्ग तक पहुंचने के लिए हाई लेवल पुलिया का निर्माण होना आवश्यक है, क्योंकि बारिश के दिनों में नदियां उफान पर होती हैं और गागरोन जलदुर्ग तक पहुंचने के सभी मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं. दुर्ग परिसर में जगह-जगह जंगली घास उगी हुई है, जिसे साफ करवा कर बगीचे विकसित किए जाने चाहिए.

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