झालावाड़. वैश्विक महामारी कोरोना में लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक हालात भी चिंताजनक हो गए हैं. लॉकडाउन के कारण लोगों की जेब पर भारी मार पड़ी है. खासकर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के सामने लॉकडाउन के चलते बड़ा आर्थिक संकट पैदा हो गया है. लोगों की जो सेविंग्स थी वो लॉकडाउन के इन दो महीने में लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी है.
ऐसा ही कुछ झालावाड़ के डिलीवरी बॉयज के साथ भी घट रहा है. डिलीवरी ब्वॉय जो झालावाड़ शहर में घूम-घूम कर आर्डर के हिसाब से सामानों की डिलीवरी करते हैं उनके आर्थिक हालात बेहद खराब हो गए हैं. ऐसे में अब लॉकडाउन में 4.0 के नियमों में मिली छूट से डिलीवरी बॉयज को थोड़ी उम्मीद जगी है.
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डिलीवरी बॉयज का कहना है, कि बीते 2 महीनों से उन्हें बिल्कुल भी काम नहीं मिल पाया है. जिसके चलते उनकी आमदनी नहीं हो पाई. ऐसे में उनका बचत का पैसा खत्म होने लगा है, लेकिन अब जैसे ही चौथे लॉकडाउन की शुरुआत हुई है वो लोग काम पर लौट रहे हैं जिससे वापस आमदनी शुरू हुई है.
बता दें, कि झालावाड़ शहर में अलग-अलग कंपनियों में करीबन 200 डिलीवरी ब्वॉय काम करते हैं. जो शहर में फल-फ्रूट, किराने का सामान, रेस्टोरेंट्स के आइटम की डिलीवरी करते हैं, लेकिन लॉकडाउन में इन सब पर पूरी तरह से पाबंदी रही जिसके चलते डिलीवरी ब्वॉय की आमदनी नहीं हो पाई. कुछ कंपनियों ने जरूर उनको साप्ताहिक वेतन के रूप में 750 रुपये दिए, लेकिन परिवार को चलाने के हिसाब से ये नाकाफी था.
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ऐसे में अब कंपनियों के द्वारा डिलीवरी सर्विस वापस शुरू की गई है, जिससे डिलीवरी ब्वॉय काम पर लौट रहे है. लेकिन पूर्व में काम कर रहे डिलीवरी ब्वॉय के मुकाबले महज 10 परसेंट कर्मचारी ही काम पर लौटे हैं. डिलीवरी ब्वॉय ने बताया, कि वो डिलीवरी करते समय कोरोना के संक्रमण से बचाव के सारे उपाय करते हैं. वो डिलीवरी के समय मुंह पर मास्क और हाथों में ग्लव्स पहनते हैं साथ ही हाथों को बार-बार सेनिटाइज करते रहते हैं.