झालावाड़. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भले ही इन दिनों राजनीति में सक्रिय ना हों, लेकिन उनका डंका अभी भी कायम नजर आ रहा है. इसकी एक झांकी पंचायती राज चुनावों में भी देखने को मिली है. पिछली बार बीजेपी ने पूरे प्रदेश में 21 जिला प्रमुख बनाए थे तो वहीं अबकी बार यह संख्या 12 तक ही पहुंच पाई है, लेकिन 25 सालों से झालावाड़ के जिला प्रमुख के पद पर बीजेपी का कब्जा इस बार भी कायम रहा है.
यहां पर कांग्रेस तमाम कोशिशों के बावजूद भी वसुंधरा राजे का किला भेदने में नाकाम रही है. इस बार भी जिला परिषद की कुल 27 सीटों में 19 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया है. वहीं राज्य में सरकार होने के बावजूद कांग्रेस महज 9 सीटें जीत पायी है.
आपको बता दें कि 1995 में बीजेपी के श्रीकृष्ण पाटीदार झालावाड़ के जिला प्रमुख बने थे. उसके बाद से लगातार जिला प्रमुख के पद पर भाजपा का ही कब्जा है. पाटीदार के बाद 2000 में सुजान सिंह, 2005 में नीतू वर्मा, 2010 में मनोरमा जैन, 2015 में टीना भील जिला प्रमुख रही. ऐसे में अबकी बार हुए चुनाव में भी बीजेपी की ही प्रेम बाई दांगी ने जीत हासिल करके जिला प्रमुख बनी हैं.
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जिला प्रमुख के चुनाव के अलावा वसुंधरा राजे का प्रभाव पंचायत समितियों के चुनाव में भी देखने को मिला है. यही वजह है कि राजे के निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पंचायत समिति झालरापाटन और पिड़ावा दोनों ही जगह पर बीजेपी के ही प्रधान और उप प्रधान निर्वाचित हुए हैं.
वसुंधरा राजे के विकास पर जनता करती है वोट...
पंचायत राज के चुनाव परिणाम को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री रहे श्री कृष्ण पाटीदार का कहना है कि झालावाड़ में वसुंधरा राजे के द्वारा किए गए विकास कार्यों की बदौलत ही जनता उनके ऊपर विश्वास करती है. यही वजह है कि यहां हमेशा जनता बीजेपी के पक्ष में ही मतदान करती है और बीते 25 वर्षों से जिला प्रमुख के पद पर बीजेपी का कब्जा है.
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कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक नहीं...
वहीं, कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष रघुराज सिंह हाड़ा कहते हैं कि कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक तो नहीं है, लेकिन परिणामों को और बेहतर किया जा सकता था. रघुराज सिंह कहते हैं कि जातिगत समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में युवाओं के माध्यम से चुनाव लड़कर अच्छा परिणाम लाया जा सकता था.