झालावाड़. जिले में प्राइवेट अस्पतालों की मरीजों के परिजनों के साथ पैसों की लूटमार की खबरें आए दिन आती रहती है लेकिन सरकार के द्वारा अधिग्रहण के बाद भी निजी अस्पतालों की लूटमार बदस्तूर जारी है. ऐसा ही शर्मनाक मामला झालावाड़ शहर में स्थित एलएन अस्पताल का सामने आया है. जिसमें मरीजों ने अस्पताल प्रशासन पर रुपए मांगने का आरोप लगाया है.
एलएन अस्पताल ने प्रशासन के अधिग्रहण कर लेने के बावजूद महिला के प्रसव करवाने के लिए 8 हजार रुपये ले लिए और 7 हजार रुपये की और मांग करने लगे. इस दौरान अस्पताल प्रशासन की पैसों की भूख इतनी ज्यादा थी कि नवजात शिशु को उचित इलाज नहीं मिल पाया. जिसके चलते अगले ही दिन नवजात शिशु ने दम तोड़ दिया. वहीं एक अन्य मामले में सरकारी अस्पताल से रेफर होकर आए मरीज से भी तकरीबन 5 हजार रुपये लिए जा चुके हैं. मरीजों का कहना है कि जब भी छुट्टी के लिए पूछा जाता है तो एक दो दिन कहकर टाल दिया जाता है.
पहले मामले में गोपालपुरा निवासी कमलेश अपनी पत्नी को जनाना अस्पताल लेकर गया. कमलेश का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते जिला प्रशासन ने एलएन अस्पताल को अधिग्रहित किया हुआ है. ऐसे में महिला की पर्ची बनाकर उसे एलएन अस्पताल में भेज दिया गया. जहां पहुंचते ही अस्पताल प्रशासन ने प्रसूता के परिजनों से पैसों की मांग करने शुरू कर दी. परिजनों ने 8 हजार रुपये जमा भी करवा दिए लेकिन अस्पताल प्रशासन 7 हजार रुपए की और मांग करता रहा. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने नवजात पर उचित देखभाल नहीं की. जिसके चलते उसकी तबियत खराब होती चली गयी. शाम को अचानक से दूसरे अस्पताल में दिखाने की बात करने लगे. ऐसे में परिजन नवजात को जनाना अस्पताल में लेकर गए, जहां पहुंचते ही उसकी मौत हो गई.
यह भी पढ़ें. झालावाड़: डॉक्टर के लिए एम्बुलेंस से मंगवाई जा रही थी शराब, ग्रामीणों ने पकड़ा तो हुआ भंडाफोड़
वहीं दूसरे मामले में बकानी के रामनारायण को छाती पर गांठ थी. ऐसे में उसे बकानी से झालावाड़ अस्पताल में रेफर किया गया, जहां पर एक्सरे करवाकर कर उसे एलएन अस्पताल भेज दिया गया लेकिन अस्पताल प्रशासन ने मरीज से भर्ती करने के नाम पर 1 हजार रुपये व बाद में फाइल बनाने के नाम पर 1 हजार रुपए ले लिए. उसके बाद पिछले 4 दिनों से दवाइयों के नाम पर करीबन 5 हजार रुपए लिए जा चुके हैं.
यह भी पढ़ें. स्पेशल रिपोर्ट: गहलोत के गृहनगर पैर पसार रहा कोरोना, पॉजिटिव मरीजों का ऑकड़ा पहुंचा 500 के पार
वहीं जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने कहा कि मामले को लेकर उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया गया है. उनके द्वारा जांच की जा रही है. किसी भी हालत में निजी अस्पताल के द्वारा किए जा रहे इस प्रकार के कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कड़ी कार्यवाई की जाएगी. आपको बता दें कि जिला प्रशासन ने एसआरजी व जनाना अस्पताल में डॉक्टरों के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद पूरे परिसर को जीरो मोबिलिटी क्षेत्र घोषित कर दिया था.
अधिग्रहित हॉस्पिटल के नियम-
- हॉस्पिटल समस्त सुविधाओं-वार्ड, ऑपरेशन थिएटर, कॉटेज वार्ड व समस्त उपकरणों सहित अधिग्रहित रहेंगे
- अस्पताल का अधिग्रहण उनके स्टाफ जिसमें स्वीपर, वार्ड बॉय, लैब बॉय, पैरामेडिकल स्टाफ, चिकित्सक, एम्बुलेंस व उसके चालक सहित किया गया है
- अस्पताल प्रशासन लॉकडाउन के पूर्व की भांति हॉस्पिटल का संचालन करेगा
- 24×7 ओपीडी, आईपीडी, इमरजेंसी, प्रसव सुविधा संचालित रहेगी
- हॉस्पिटल में भर्ती मरीज से किसी भी प्रकार का शुल्क व राशि वसूल नहीं की जाएगी, संपूर्ण सुविधा पूर्णतया नि:शुल्क रहेगी