जालोर. जिले में कोरोना ने पहली बार 6 मई को दस्तक दी थी. उसके ठीक 5 दिन बाद 11 मई को सांचोर उपखण्ड के भड़वल गांव में मुम्बई से आए एक युवक की तबीयत बिगड़ने पर सांचोर के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया. युवक को कोरोना जैसे लक्षण दिखने पर राजकीय अस्पताल में भेज दिया. फिर उस मरीज को जालोर भेजा और फिर जोधपुर रेफर कर दिया गया. जोधपुर पहुंचने से पहले रास्ते में युवक की मौत हो गई. जोधपुर में जांच की तो युवक कोरोना पॉजिटिव पाया गया. जिससे जिले में हड़कंप मच गया. विशेषकर सांचोर में पहले कोरोना पॉजिटिव की पहचान और उसकी मौत हो जाने के बाद लोगों में भय का माहौल बन गया.
भड़वल में लोग पूरी तरह दहशत में थे. लोगों में खौफ इतना था की खुद को घरों में बंद कर लिया था. मृतक के घर के बाहर बंधे पशुओं को चारा डालने और पानी पिलाने को कोई तैयार नहीं था. लेकिन, मौत को काफी वक्त गुजर गया तो प्रशासन ने कर्फ्यू हटा लिया. वहीं, अब लोगों का जनजीवन भी सामान्य होने लगा है. गांव का बाजार भी पूरी तरह खुल गया है, लेकिन कोविड-19 के बचाव को लेकर जिस प्रकार लापरवाही बरती जा रही है उससे कहीं न कहीं संक्रमण का खतरा बन सकता है.
एक परिवार के 7 लोग आए थे पॉजिटिव
भड़वल गांव में कोरोना से पहली मौत के बाद एक बार तो चिकित्सा विभाग के कार्मिक तक सहम गए. बाद में मृतक के परिवार के लोगों के सैम्पल लिए गए तो 2 पुत्रियों, 1 पुत्र सहित 7 लोग कोरोना पॉजिटिव आये थे. जिसमें एक बहुत छोटी बच्ची थी. अब सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद कोविड सेंटर से घर भेज दिया गया है.
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लापरवाही पड़ सकती है भारी
जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए लगाए कर्फ्यू को तो हटा दिया. जिसके बाद अब लोगों की बे-रोकटोक आवाजाही शुरू हो गई है. तब गांव का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम गांव में पहुंची तो बैरंग और सुनसान हो चुके गांव की दुकानों पर लोगों का मजमा नजर आ रहा था. लेकिन, सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. ज्यादातर लोगों ने मास्क तक लगाया हुआ नहीं था. इस प्रकार बरती जा रही लापरवाही अब भारी पड़ सकती है.