चितलवाना (जालोर). प्रदेश में दो दिन पूर्व राज्य सरकार ने आरएएस अधिकारियों के तबादले किये हैं. जिसमें जिले के सांचोर और जसवंतपुरा उपखंड मुख्यालय को भले एसडीएम मिल गया हो. लेकिन चितलवाना एक बार फिर एसडीएम के इंतजार में रह गया. बता दें कि यहां पर सरकार ने उपखंड मुख्यालय बनाकर जनता के लिए सरकारी कार्यालय भले ही बना दिया है. लेकिन इन कार्यालयों के मुखिया का कोई ठिकाना नहीं है. क्योंकि इन कार्यालयों के मुखिया या तो सांचोर में बैठते है या फिर यह पद खाली है.
इस कारण से आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार चितलवाना उपखंड मुख्यालय अप्रैल 2013 में बना था. तब से लेकर आज तक स्थायी उपखंड अधिकारी तक की नियुक्ति नहीं हुई है. वहीं यहां के निवासी बाबूलाल का कहना है कि वे लंबे समय से उपखंड कार्यालय और तहसील कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन उपखंड अधिकारी और तहसीलदार दोनों ही द्वारा समय न होने का हवाला देकर वापस भेज दिया जाता है. जबकि एक साल से पीड़ित अपनी जमीन की पैमाइश करवाने को लेकर तहसील कार्यालय का चक्कर लगा रहा है. वहीं बाबूलाल के सामने परिवार के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
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पिछले तकरीबन साढ़े छह साल से चितलवाना उपखंड अधिकारी का पद खाली है. इनका कार्यभार सांचोर उपखंड अधिकारी के पास अतिरिक्त में रहता है. जिसके कारण एक अधिकारी के पास दो उपखंड मुख्यालय का कार्यभार होता है. जिसका परिणाम है कि चितलवाना में आज तक राजस्व मामलों की 1600 से ज्यादा फ़ाइलें पेंडिंग पड़ी है. इस बार भी लंबे समय से उम्मीद जगी थी की वन और पर्यावरण मंत्री एसडीएम की नियुक्ति करवाएंगे, लेकिन इस लिस्ट में भी चितलवाना को एसडीएम नहीं मिल सका.
मात्र एक एलडीसी के भरोसे उपखंड मुख्यालय
सरकार ने साल 2013 में चितलवाना को उपखंड मुख्यालय बनाकर कई अधिकारियों के पद स्वीकृत कर दिए गए. लेकिन आज भी ज्यादातर पद रिक्त पड़े हैं. एसडीएम के अलावा नायब तहसीलदार, स्टेनोग्राफर, सहायक प्रशासनिक अधिकारी, रीडर, सूचना सहायक और दो चतुर्थ श्रेणी के पद खाली है. पूरा उपखंड मुख्यालय एक एलडीसी के भरोसे चल रहा है.
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7 साल में 3 साल ही मिला तहसीलदार
वहीं चितलवाना तहसील कार्यालय भी अधिकतर समय तक कार्यवाहक तहसीलदारों के भरोसे ही रहा है. 10 सितंबर 2012 को चितलवाना को तहसील बनाई गई थी. तब से लेकर आज तक कुल 7 साल की समयावधि में 3 वर्ष 5 माह तक ही स्थायी तहसीलदार अपने पद पर रहे हैं. वहीं 3 साल 6 माह तक तहसील मुख्यालय कार्यवाहक तहसीलदार के भरोसे रहा है.
पंचायत समिति भी बदहाल
वहीं अगर पंचायत समिति की बात की जाए तो विकास अधिकारी का पद भी अधिकतर समय तक कार्यवाहक विकास अधिकारी के भरोसे रहा है. पंचायत समिति बनने के 9 साल की अवधि में 3 साल तक विकास अधिकारी का पद कार्यवाहक अधिकारियों के भरोसे रहा है. फिलहाल यहां पर स्थायी विकास अधिकारी पदस्थापित है.
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बदहाली में शिक्षा विभाग, चिकित्सा व्यवस्था भी ना के बराबर
वहीं ब्लॉक के शिक्षा विभाग में भी यही हाल है, जिसमें ब्लॉक स्तर पर शिक्षा विभाग के सबसे बड़े अधिकारी सीबीईओ का पद भी खाली है. जिसमें अतिरिक्त सीबीईओ पदभार संभाल रहे हैं. साथ ही चिकित्सा विभाग में भी यहां के सरकारी अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी का पद खाली है. यहां अस्पताल के नाम पर केवल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जो मेल नर्स के भरोसे चल रहा है.