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स्पेशल: कभी ट्रक पर चढ़ा तो कभी पैदल नापी सड़क, 1800 किमी चलकर पहुंचा अपने घर

जालोर के चितलवाना कस्बे के प्रवीण, बेंगलुरु से राजस्थान 1800 किमी की पैदल यात्रा करके पहुंचे. इस दौरान रास्ते में किसी जगह उन्हें पुलिस की मार पड़ी तो कहीं उनकी जान बाल-बाल बची, लेकिन, आखिरकार हर मुश्किल को पार करते हुए वे अपनी मंजिल तक पहुंच ही गए. आइये जानते हैं उनकी कहानी...

1800 किमी चलकर आए घर, राजस्थान का प्रवीण,  Bengaluru to Rajasthan  1800 km trek from Bengaluru  Rajasthan, Praveen did treking
1800 किमी चलकर आए घर
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Published : Apr 4, 2020, 11:56 PM IST

Updated : Apr 5, 2020, 12:36 PM IST

जालोर. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन के बाद सभी को उसी जगह रुकने की अपील की गई, जहां वो है. इसके चलते शहरों में काम धंधे ठप हो गए.

1800 किमी चलकर आए घर

ऐसे हालात में ज्यादातर युवा कर्मभूमि से वापस जन्म भूमि की ओर रवाना हो गए, इन हजारों युवाओं में एक युवक चितलवाना कस्बे के गिरधर धोरे का प्रवीण भी था, जो भी पैदल निकल गया था, लेकिन आवागमन के साधन नहीं होने के कारण कभी पैदल तो कभी किसी ट्रक में चढ़कर 6 दिन में 1800 किमी की यात्रा घर तक पहुंचा है.

प्रवीण की कहानी

प्रवीण ने बताया कि बेंगलुरु में जिस जगह काम करने के बाद रुकते थे, वहां रहने में परेशानियां होने के कारण उसके तीन अन्य साथियों के साथ पैदल राजस्थान के लिए निकल गया. इस दौरान कई जगह उसे भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

26 मार्च को दिन में बेंगलुरु के शिवाजी नगर बस स्टेशन के पास से कुछ दूरी के लिए एक टैक्सी किराए पर करके निकले थे, लेकिन सख्ती ज्यादा होने के कारण टैक्सी को छोड़कर पैदल ही रवाना हो गए.

ढ़ें. जालोर: भीनमाल में भामाशाहों ने इकट्ठा किए 16.50 लाख रुपए, तैयार किया राशन के लिए जिले का सबसे बड़ा भंडार

26 मार्च की रात पैदल चलने के बाद 70 किमी दूर तुमकुर तक पहुंच गए. उसके बाद 27 मार्च की रात को एलपीजी के एक ट्रक में चढ़कर तुमकुर से 200 किमी आगे चित्रदुर्ग तक आ गए. उसके बाद 28 मार्च को एक ट्रक में क्लीनर बनकर रवाना हुआ, लेकिन, उसे महाराष्ट्र के बॉर्डर पर ट्रक को रकवा दिया.

पुलिस ने की मारपीट...

महाराष्ट्र के बॉर्डर पर ट्रक रुकने के बाद प्रवीण और ड्राईवर को छोड़कर अन्य सभी लोगों को नीचे उतार दिया गया, लेकिन ट्रक ड्राईवर और प्रवीण को पुलिस ने बैठा लिया. इस दौरान पुलिस ने प्रवीण के साथ जमकर मारपीट की.

हारा नहीं तो पहुंचा गुजरात...

इन परेशानियों के बाद वो कैसे-जैसे दूसरे ट्रक में सवार होकर 350 किमी दूर पुणे तक पहुंच गया. पुणे से कुछ किमी पैदल चलने के बाद फिर एक ट्रक में बैठकर गुजरात के अहमदाबाद तक आया.

पढ़ें- खबर का असर: खाने के लिए तरस रहे मजदूर परिवारों के घर तक CRPF जवानों ने पहुंचाया राशन

वहां पर कुछ समय तक रुकने के बाद वापस एक दूध के टैंकर में बैठकर गुजरात के पालनपुर तक पहुंचा. पालनपुर से सब्जी के ट्रोले में बैठकर डीसा तक का सफर तय किया.

पुलिस ने दिया साथ, लेकिन परेशानी ने नहीं छोड़ा पीछा...

उसके बाद धानेरा तक 45 किमी तक पैदल ही चला. धानेरा के आगे से पुलिस के जवानों ने मानवता दिखाते हुए एक जीप में बैठाया, लेकिन, बदकिस्मती से वह जीप आगे आकर पलट गई. जिसमें गाड़ी के ऊपर बैठने के कारण प्रवीण उछल कर दूर गिर गया.

आखिरकार दोस्त की बाइक से पहुंचा गांव

इतने सारी परेशानियों और हादसों को झेलते हुए प्रवीण एक वाहन में बैठकर गुजरात के नेनावा बॉर्डर तक आ गया. बाद में पुलिस की सख्ती देखकर कच्चे रास्तों से होते हुए सांचोर तक पैदल आया.

पढ़ें- जालोर में सरकारी सहायता को तरसते जरूरतमंद, लोगों की मदद को आगे आए भामाशाह

उसके अपने गांव से दोस्त को बाइक लेकर सामने बुलाया और उसी बाइक से घर तक पहुंचा. घर पहुंचने के बाद प्रशासन द्वारा नियुक्त ग्राम प्रभारियों को जानकारी मिली. उसके बाद प्रवीण को होम आइसोलेशन में रखा गया है.

प्रवीण ने 1800 किमी की यात्रा में कई परेशानियां झेली. पुलिस के दो रूप देखे, यहां तक की हादसे का शिकार भी हो गए. लेकिन, आखिरकार वे अपने घर पहुंचे और होम आइसोलेशन की पालना भी की.

जालोर. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन के बाद सभी को उसी जगह रुकने की अपील की गई, जहां वो है. इसके चलते शहरों में काम धंधे ठप हो गए.

1800 किमी चलकर आए घर

ऐसे हालात में ज्यादातर युवा कर्मभूमि से वापस जन्म भूमि की ओर रवाना हो गए, इन हजारों युवाओं में एक युवक चितलवाना कस्बे के गिरधर धोरे का प्रवीण भी था, जो भी पैदल निकल गया था, लेकिन आवागमन के साधन नहीं होने के कारण कभी पैदल तो कभी किसी ट्रक में चढ़कर 6 दिन में 1800 किमी की यात्रा घर तक पहुंचा है.

प्रवीण की कहानी

प्रवीण ने बताया कि बेंगलुरु में जिस जगह काम करने के बाद रुकते थे, वहां रहने में परेशानियां होने के कारण उसके तीन अन्य साथियों के साथ पैदल राजस्थान के लिए निकल गया. इस दौरान कई जगह उसे भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

26 मार्च को दिन में बेंगलुरु के शिवाजी नगर बस स्टेशन के पास से कुछ दूरी के लिए एक टैक्सी किराए पर करके निकले थे, लेकिन सख्ती ज्यादा होने के कारण टैक्सी को छोड़कर पैदल ही रवाना हो गए.

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26 मार्च की रात पैदल चलने के बाद 70 किमी दूर तुमकुर तक पहुंच गए. उसके बाद 27 मार्च की रात को एलपीजी के एक ट्रक में चढ़कर तुमकुर से 200 किमी आगे चित्रदुर्ग तक आ गए. उसके बाद 28 मार्च को एक ट्रक में क्लीनर बनकर रवाना हुआ, लेकिन, उसे महाराष्ट्र के बॉर्डर पर ट्रक को रकवा दिया.

पुलिस ने की मारपीट...

महाराष्ट्र के बॉर्डर पर ट्रक रुकने के बाद प्रवीण और ड्राईवर को छोड़कर अन्य सभी लोगों को नीचे उतार दिया गया, लेकिन ट्रक ड्राईवर और प्रवीण को पुलिस ने बैठा लिया. इस दौरान पुलिस ने प्रवीण के साथ जमकर मारपीट की.

हारा नहीं तो पहुंचा गुजरात...

इन परेशानियों के बाद वो कैसे-जैसे दूसरे ट्रक में सवार होकर 350 किमी दूर पुणे तक पहुंच गया. पुणे से कुछ किमी पैदल चलने के बाद फिर एक ट्रक में बैठकर गुजरात के अहमदाबाद तक आया.

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वहां पर कुछ समय तक रुकने के बाद वापस एक दूध के टैंकर में बैठकर गुजरात के पालनपुर तक पहुंचा. पालनपुर से सब्जी के ट्रोले में बैठकर डीसा तक का सफर तय किया.

पुलिस ने दिया साथ, लेकिन परेशानी ने नहीं छोड़ा पीछा...

उसके बाद धानेरा तक 45 किमी तक पैदल ही चला. धानेरा के आगे से पुलिस के जवानों ने मानवता दिखाते हुए एक जीप में बैठाया, लेकिन, बदकिस्मती से वह जीप आगे आकर पलट गई. जिसमें गाड़ी के ऊपर बैठने के कारण प्रवीण उछल कर दूर गिर गया.

आखिरकार दोस्त की बाइक से पहुंचा गांव

इतने सारी परेशानियों और हादसों को झेलते हुए प्रवीण एक वाहन में बैठकर गुजरात के नेनावा बॉर्डर तक आ गया. बाद में पुलिस की सख्ती देखकर कच्चे रास्तों से होते हुए सांचोर तक पैदल आया.

पढ़ें- जालोर में सरकारी सहायता को तरसते जरूरतमंद, लोगों की मदद को आगे आए भामाशाह

उसके अपने गांव से दोस्त को बाइक लेकर सामने बुलाया और उसी बाइक से घर तक पहुंचा. घर पहुंचने के बाद प्रशासन द्वारा नियुक्त ग्राम प्रभारियों को जानकारी मिली. उसके बाद प्रवीण को होम आइसोलेशन में रखा गया है.

प्रवीण ने 1800 किमी की यात्रा में कई परेशानियां झेली. पुलिस के दो रूप देखे, यहां तक की हादसे का शिकार भी हो गए. लेकिन, आखिरकार वे अपने घर पहुंचे और होम आइसोलेशन की पालना भी की.

Last Updated : Apr 5, 2020, 12:36 PM IST
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