सांचोर (जालोर). आजादी के 73 साल गुजरने के बावजूद अभी तक गांव में जनता के लिए सड़क और पुल के सपने अधूरे हैं. जिसके कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं जैसे-तैसे ग्रामीण जुगाड़ के सहारे काम निकालते हैं लेकिन सांकरिया गांव में लूणी नदी पर पुल नहीं बने होने के कारण सरकारी कर्मचारियों को भी ग्रामीणों की जुगाड़ का सहारा लेना पड़ा.
चितलवाना उपखंड के नेहड़ क्षेत्र के सांकरिया गांव जाने के बीच में लूणी नदी का बहाव क्षेत्र आता है. वहीं सांकरिया पहुंचने के लिए कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है. इसलिए लोग जुगाड़ के सहारे (तरापा) नदी पार करते हैं. सरवाना पुलिस को सांकरिया गांव में बाल-विवाह की सूचना मिली. जिसपर पुलिस बाल विवाह रुकवाने के लिए गांव जाने के लिए निकली तो बीच में लूणी का बहाव क्षेत्र मिला. जिसे पार करने का कोई साधन नहीं था. दूसरी ओर गांव पहुंचने का कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था, जिससे पुलिस गांव पहुंच सके.
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तब ग्रामीणों ने तरापा के सहारे पुलिसकर्मियों को एक-एक करके नदी पार करवाई. अब पुलिसकर्मियों के नदी पार करने का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल ही रहा है. इस वीडियो में ग्रामीण एक-एक कर पुलिस को नदी पार करवाते दिख रहे हैं.
शिकायत भी निकली झूठी
सरवाना पुलिस को कोलियों की ढाणी साकरिया में नाबालिग लड़की की शादी की शिकायत मिली थी. हेड कांस्टेबल अचलाराम समेत टीम पहुंची. रास्ता देख पुलिसकर्मी हैरत में पड़ गए. ग्रामीणों ने रस्सी से बंधे ‘तरापा’ से एक-एक कर नदी पार करवाई. पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां बाल विवाह होने की सूचना झूठी निकली.
ऐसे नदी पार करते हैं ग्रामीण
दरअसल, लूणी नदी में पहले से ही पानी जमा है, जबकि नर्मदा नहर से भी लगातार ओवरफ्लो पानी नेहड़ क्षेत्र में एकत्रित हो जाता है. यहां की जमीन दलदल होने की वजह से पानी जल्दी सूखता नहीं है. नदी पार करने लोगों ने देसी जुगाड़ बना रखा है. खाली प्लास्टिक के दो ड्रम पर लकड़ियों की गठरी बांध दी जाती है. ड्रम पूरी तरह खाली होने से पानी में डूबता नहीं है और लकड़ी इसका संतुलन बनाए रखती है. नदी के दोनों छोर पर रस्सी बांधी जाती है. जिस साइड में जाना होता है, उसी तरफ रस्सी को खिंचने पर नदी पार की जाती है.
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गांवों में सड़क, पानी की समस्या आज भी बनी हुई है. आजादी के इतने साल बाद भी देश के लोग जुगाड़ की जिंदगी जी रहे हैं. अभी भी विकास की रफ्तार इस गांव की तरफ नहीं पहुंची है. यहां तक कि सरकारी कर्मचारी भी जुगाड़ के सहारे ही चल रहे हैं.