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नर्मदा नहर रिश्वत कांड: लाखों की रिश्वत लेने वाले को ACB ने किया गिरफ्तार

नर्मदा नहर के निर्माण कार्य में रिश्वत लेने वाले अधिकारी को एसीबी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में तीन आरोपियों के फरार होने की खबर है.

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Published : Sep 27, 2019, 1:51 PM IST

नर्मदा नहर, Narmada Canal

जालौर. जिले के सांचोर और चितलवाना की जीवनदायिनी कही जाने वाली नर्मदा नहर के निर्माण कार्य और रिपेयर में लाखों रुपये के रिश्वत का खेल सामने आया है. इस रिश्वत के खेल में ठेकेदार ने नर्मदा विभाग के अधिकारियों को 15 लाख रुपए की रिश्वत दे चुका था.

नर्मदा नहर के निर्माण में अधिकारियों ने ली रिश्वत

इस खेल का खुलासा तब हुआ जब इस संबंध में ठेकेदार से अंतिम राशि मांगी गई. जिसके बाद ठेकेदार इस मामले को लेकर जयपुर एसीबी के पास पहुंच गया. जिसके बाद जयपुर एसीबी की टीम ने जालोर एसीबी के सहयोग से 23 सितम्बर को कार्रवाई करते हुए नर्मदा नहर परियोजना के खंड 2 में कार्यरत सहायता अभियंता जगदीश प्रसाद वर्मा को एक लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. इस कार्रवाई की भनक उसके तीन अन्य साथी को पहले ही लग चुकी थी. जिससे एसीबी के आने के पहले ही वे फरार हो गए थे. कार्रवाई के पांच दिन बीत चुके हैं पर तीनों कनिष्ठ अभियंताओं का कोई सुराग नहीं लग पाया है.

पढ़ें. खान आवंटन घूसकांड : IAS सिंघवी समेत आठों आरोपी नहीं होंगे भगौड़ा घोषित, डीजीपी को स्पेशल सेल गठन करने के आदेश

क्या है मामला

साल था 2017 और राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी. इसी साल तेज बारिश के कारण बाढ़ आ गई थी. इस बाढ़ से नहर का 80 प्रतिशत हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके बाद वसंधरा राजे की सरकार ने अर्थिक सहायता देते हुए 400 करोड़ रुपए दिए. जिसके बाद नहर के ढा़ंचे को फिर से खड़ा किया गया.
कहानी की मेन शुरुआत यहां से होती है. जब राज्य सरकार ने 400 करोड़ दिए तो इसी रुपयों पर संबंधित अधिकारियों की नजर थी. जब नर्मदा नदी के क्षतिग्रस्त हुए भाग का निर्माण हो रहा था तब घटिया निर्माण की कई सूचनाएं अधिकारियों तक पहुंची थी. पर उस समय इस विषय पर ध्यान नहीं दिया गया.

वर्तमान में क्या घटित हुआ है

नहर का निर्माण होने के बाद अब फाइनस बिल बनने का कार्य चल रहा है. जिनमें चार अधिकारियों ने कार्य का ठेका लिए हुए ठेकेदार से 24.80 लाख के रिश्वत की मांग की थी. इस पर ठेकेदार ने 15 लाख की राशि इन अधिकारियों को सौंप दी थी. अधिकारियों ने शेष बची आखिरी राशि को जब ठेकेदार से मांगी तो ठेकेदार ने इसकी शिकायत एसीबी में कर दी. बस यही वो आखिरी राशि है जिसने कोहराम मचा रखा है. अब एसीबी ने रिश्वत लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है.

कनिष्ठ अभियंता है फरार

नर्मदा नहर के निर्माण में गुजरात की कंपनी की ओर से निर्माण कार्य करवाया गया था. उसका फाइनल बिल बनाने और जमा एसडी का पैसा उठाने के लिए ठेकेदार ने विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क किया तो उन्होंने अलग अलग कार्य का फाइनल बिल बनाने के लिए कमीशन की डिमांड की. जिसमें एसीबी के हत्थे चढ़े सहायक अभियंता जेपी वर्मा ने 5.80 लाख मांगे थे, जिसमें से 2 लाख रुपये वर्मा ने लिए थे. एक ओर कनिष्ठ अभियंता रामनिवास मंडा ने 15 लाख की राशि मांगी, जिसमें से मंडा 13 लाख रुपये ले चुका है. इसके अलावा कनिष्ठ अभियंता बीरबल ने 3 लाख और नंदकिशोर ने 1 लाख की राशि की मांग की थी. इन सभी के खिलाफ एसीबी में परिवाद दायर किया गया था. उसके बाद कार्रवाई की गई, लेकिन कार्रवाई की भनक के कारण वर्मा को छोड़ कर बाकी के सभी अधिकारी फरार हो गए.

जालौर. जिले के सांचोर और चितलवाना की जीवनदायिनी कही जाने वाली नर्मदा नहर के निर्माण कार्य और रिपेयर में लाखों रुपये के रिश्वत का खेल सामने आया है. इस रिश्वत के खेल में ठेकेदार ने नर्मदा विभाग के अधिकारियों को 15 लाख रुपए की रिश्वत दे चुका था.

नर्मदा नहर के निर्माण में अधिकारियों ने ली रिश्वत

इस खेल का खुलासा तब हुआ जब इस संबंध में ठेकेदार से अंतिम राशि मांगी गई. जिसके बाद ठेकेदार इस मामले को लेकर जयपुर एसीबी के पास पहुंच गया. जिसके बाद जयपुर एसीबी की टीम ने जालोर एसीबी के सहयोग से 23 सितम्बर को कार्रवाई करते हुए नर्मदा नहर परियोजना के खंड 2 में कार्यरत सहायता अभियंता जगदीश प्रसाद वर्मा को एक लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. इस कार्रवाई की भनक उसके तीन अन्य साथी को पहले ही लग चुकी थी. जिससे एसीबी के आने के पहले ही वे फरार हो गए थे. कार्रवाई के पांच दिन बीत चुके हैं पर तीनों कनिष्ठ अभियंताओं का कोई सुराग नहीं लग पाया है.

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क्या है मामला

साल था 2017 और राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी. इसी साल तेज बारिश के कारण बाढ़ आ गई थी. इस बाढ़ से नहर का 80 प्रतिशत हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके बाद वसंधरा राजे की सरकार ने अर्थिक सहायता देते हुए 400 करोड़ रुपए दिए. जिसके बाद नहर के ढा़ंचे को फिर से खड़ा किया गया.
कहानी की मेन शुरुआत यहां से होती है. जब राज्य सरकार ने 400 करोड़ दिए तो इसी रुपयों पर संबंधित अधिकारियों की नजर थी. जब नर्मदा नदी के क्षतिग्रस्त हुए भाग का निर्माण हो रहा था तब घटिया निर्माण की कई सूचनाएं अधिकारियों तक पहुंची थी. पर उस समय इस विषय पर ध्यान नहीं दिया गया.

वर्तमान में क्या घटित हुआ है

नहर का निर्माण होने के बाद अब फाइनस बिल बनने का कार्य चल रहा है. जिनमें चार अधिकारियों ने कार्य का ठेका लिए हुए ठेकेदार से 24.80 लाख के रिश्वत की मांग की थी. इस पर ठेकेदार ने 15 लाख की राशि इन अधिकारियों को सौंप दी थी. अधिकारियों ने शेष बची आखिरी राशि को जब ठेकेदार से मांगी तो ठेकेदार ने इसकी शिकायत एसीबी में कर दी. बस यही वो आखिरी राशि है जिसने कोहराम मचा रखा है. अब एसीबी ने रिश्वत लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है.

कनिष्ठ अभियंता है फरार

नर्मदा नहर के निर्माण में गुजरात की कंपनी की ओर से निर्माण कार्य करवाया गया था. उसका फाइनल बिल बनाने और जमा एसडी का पैसा उठाने के लिए ठेकेदार ने विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क किया तो उन्होंने अलग अलग कार्य का फाइनल बिल बनाने के लिए कमीशन की डिमांड की. जिसमें एसीबी के हत्थे चढ़े सहायक अभियंता जेपी वर्मा ने 5.80 लाख मांगे थे, जिसमें से 2 लाख रुपये वर्मा ने लिए थे. एक ओर कनिष्ठ अभियंता रामनिवास मंडा ने 15 लाख की राशि मांगी, जिसमें से मंडा 13 लाख रुपये ले चुका है. इसके अलावा कनिष्ठ अभियंता बीरबल ने 3 लाख और नंदकिशोर ने 1 लाख की राशि की मांग की थी. इन सभी के खिलाफ एसीबी में परिवाद दायर किया गया था. उसके बाद कार्रवाई की गई, लेकिन कार्रवाई की भनक के कारण वर्मा को छोड़ कर बाकी के सभी अधिकारी फरार हो गए.

Intro:जिले के सांचोर स्थित नर्मदा नहर परियोजना के चार अधिकारियों द्वारा फाइनल बिल क्लीयर करने के एवज में 24.80 लाख की रिश्वत मांगने के बाद जयपुर एसीबी की टीम ने कार्यवाही करते 1 लाख की रिश्वत लेते सहायक अभियंता को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया, जबकि साथी 3 कनिष्ठ अभियंता फरार हो गए, जिनका आज तक एसीबी पता नहीं लगा पाई है।


Body:फाइनल बिल बनाने के एवज में नर्मदा विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदार से मांगे 24.80 लाख की रिश्वत, 1 लाख की रिश्वत लेते सहायक अभियंता गिरफ्तार, लेकिन 3 कनिष्ठ अभियंता फरार, एसीबी को अभी तक नहीं मिला कोई सुराग
जालोर
जिले के सांचोर व चितलवाना की जीवनदायिनी कही जाने वाली नर्मदा नहर के निर्माण व रिपेयर में किस तरह अधिकारियों व ठेकेदारों ने फर्जीवाड़ा किया था। इसकी परते उखड़ने लगी है। अब उसी निर्माण कार्य का फाइनल बिल बनाने के एवज में लाखों रुपये की रिश्वत का खेल खेला जा रहा है। जिसमें निर्माण कार्य करने वाला ठेकेदार भी रिश्वत की ज्यादातर राशि नर्मदा विभाग के अधिकारियों को दे चुका था, लेकिन आखिरी राशि देते समय ठेकेदार जयपुर एसीबी के पास पहुंच गया। जिसके बाद जयपुर एसीबी की टीम ने जालोर एसीबी के सहयोग से 23 सितम्बर को कार्यवाही करते हुए नर्मदा नहर परियोजना के खंड 2 में कार्यरत सहायता अभियंता जगदीश प्रसाद वर्मा को 1 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया, लेकिन वर्मा के 3 अन्य साथी जो कनिष्ठ अभियंता है। वो एसीबी कार्यवाही की भनक लगते ही फरार हो गए थे। उस कार्यवाही को आज 5 दिन बीतने के बावजूद 3 कनिष्ठ अभियंताओं का कोई सुराग नहीं है। जानकारी के अनुसार 2017 में आई बाढ़ में नहर का 80 प्रतिशत हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने 400 करोड़ देकर नहर का ढांचा वापस खड़ा किया था, लेकिन उक्त 400 करोड़ खर्च करके किये गए निर्माण कार्य में नर्मदा विभाग के अधिकारियों व ठेकेदारों ने जमकर चांदी कुटी थी। उस समय घटिया निर्माण कार्य की शिकायत भी हुई थी, लेकिन सरकार के उच्च अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। उस निर्माण कार्य के बाद अब फाइनल बिल बनाने का कार्य चल रहा है। जिसमें इन चारों अधिकारियों ने ठेकेदार से 24.80 लाख की रिश्वत की मांग की थी। जिसमें से ठेकेदार ने 15 लाख की राशि इन अधिकारियों को दे दी थी, आखिरी राशि के समय ठेकेदार ने अधिकारियों की शिकायत एसीबी में कर दी। जिसके बाद इस कार्यवाही को अंजाम दिया गया।
3 कनिष्ठ अभियंता है फरार
नर्मदा नहर के निर्माण में गुजरात की कंपनी द्वारा निर्माण कार्य करवाया गया था। उसका फाइनल बिल बनाने व जमा एसडी का पैसा उठाने के लिए ठेकेदार ने विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क किया तो उन्होंने अलग अलग कार्य का फाइनल बिल बनाने के लिए कमीशन की डिमांड की। जिसमें एसीबी के हत्थे चढ़े सहायक अभियंता जेपी वर्मा ने 5.80 लाख मांगे थे, जिसमें से 2 लाख रुपये वर्मा ने लिए थे। एक ओर कनिष्ठ अभियंता रामनिवास मंडा ने 15 लाख की राशि मांगी, जिसमें से मंडा 13 लाख रुपये ले चुका है। इसके अलावा कनिष्ठ अभियंता बीरबल ने 3 लाख व नंदकिशोर ने 1 लाख की राशि की मांग की थी। इन सभी के खिलाफ एसीबी में परिवाद दायर किया गया था। उसके बाद कार्यवाही की गई, लेकिन कार्यवाही की भनक के कारण वर्मा को छोड़ कर बाकी के सभी अधिकारी फरार हो गए। इसके बाद अभी तक इनका एसीबी सुराग नहीं लगा पाई है।


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