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सांसद देवजी पटेल ने संसद में माही बजाज परियोजना को शुरू करने की रखी मांग - जालोर

लोकसभा के मानसून सत्र (Monsoon Session of Lok Sabha) में जालोर-सिरोही सांसद देवजी एम पटेल ने माही बजाज परियोजना (Mahi Bajaj Project) का मुद्दा उठाया. सांसद ने कहा कि जालोर-सिरोही जिले में गिरते भू-जल स्तर के स्थाई समाधान और क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए माही बांध की सालों पुरानी प्रस्तावित योजना को मूर्त रूप देना बहुत जरूरी है.

Mahi Bajaj project, देवजी पटेल, Devji Patel
माही बजाज परियोजना को शुरू करने की रखी मांग
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Published : Jul 22, 2021, 7:30 PM IST

रानीवाड़ा (जालोर). जालोर-सिरोही सांसद देवजी एम पटेल ने संसद में बताया कि संसदीय क्षेत्र डार्क जोन (Dark Zone) में है. भू-जल स्तर (Groundwater level) में लगातार गिरावट आ रही है. माही नदी का पानी जालोर और सिरोही जिले को सुलभ कराने की महत्वाकांक्षी योजना 25 साल से कागजों में दफन है. ऐसे में आमजन के साथ ही भूमिपुत्रों की उम्मीदें भी टूटने लगी है.

जल संकट से परेशान लोगों के लिए साल 1966 में राजस्थान-गुजरात सरकार में हुए समझौते के अनरूप माही परियोजना चर्चा में आई थी. इसके बाद गुजरात सरकार ने राज्य को पानी की आवश्कता का हवाला देते हुए पानी देने से मना कर दिया. साल 1988 में आखिरी बार इस पर मंथन किया गया. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सर्वे की बात कही थी, लेकिन सरकार बदलने के साथ मामला अटक गया.

पढ़ें: RAS इंटरव्यू विवाद को लेकर बोले डोटासरा, 'भाजपा जांच करा ले, अगर आरोप सिद्ध होता है तो मैं व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने को तैयार'

इस संबंध में पांच सदस्यीय टीम 2017 में गठित की गई थी. उसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में है. परियोजना के तहत बांसवाड़ा से सुरंग बनाकर जालोर, सिरोही और बाड़मेर के कई गांवों को माही नदी से पानी दिया जाना था. परियोजना को माही क्रॉसिंग पर अनास पिकवियर और चैनल के जरिए डूंगरपुर जिले के टिमरूआ गांव के पास माही नदी से शुरू कर जालोर के बागोडा उपखंड अंतर्गत विशाला गांव तक प्रस्तावित किया गया था.

योजना से समांतर 5.94 लाख और 7.11 लाख एकड़ भूमि को लिफ्ट से सिचिंत किया जाना प्रस्तावित था. माही बजाज परियोजना की खोसला कमेटी और राजस्थान-गुजरात समझौते के अनुसार पानी की मात्रा 40 टीएमसी है. अनुबंध के मुताबिक गुजरात राज्य से राजस्थान में उपयोग के लिए सहमति लेने और जल उपयोग के माही बेसिन मास्टर प्लान का काम राज्य सरकार स्तर पर नेशनल वाटर डवलपमेंट एजेंसी नई दिल्ली को दिया गया है.

रानीवाड़ा (जालोर). जालोर-सिरोही सांसद देवजी एम पटेल ने संसद में बताया कि संसदीय क्षेत्र डार्क जोन (Dark Zone) में है. भू-जल स्तर (Groundwater level) में लगातार गिरावट आ रही है. माही नदी का पानी जालोर और सिरोही जिले को सुलभ कराने की महत्वाकांक्षी योजना 25 साल से कागजों में दफन है. ऐसे में आमजन के साथ ही भूमिपुत्रों की उम्मीदें भी टूटने लगी है.

जल संकट से परेशान लोगों के लिए साल 1966 में राजस्थान-गुजरात सरकार में हुए समझौते के अनरूप माही परियोजना चर्चा में आई थी. इसके बाद गुजरात सरकार ने राज्य को पानी की आवश्कता का हवाला देते हुए पानी देने से मना कर दिया. साल 1988 में आखिरी बार इस पर मंथन किया गया. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सर्वे की बात कही थी, लेकिन सरकार बदलने के साथ मामला अटक गया.

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इस संबंध में पांच सदस्यीय टीम 2017 में गठित की गई थी. उसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में है. परियोजना के तहत बांसवाड़ा से सुरंग बनाकर जालोर, सिरोही और बाड़मेर के कई गांवों को माही नदी से पानी दिया जाना था. परियोजना को माही क्रॉसिंग पर अनास पिकवियर और चैनल के जरिए डूंगरपुर जिले के टिमरूआ गांव के पास माही नदी से शुरू कर जालोर के बागोडा उपखंड अंतर्गत विशाला गांव तक प्रस्तावित किया गया था.

योजना से समांतर 5.94 लाख और 7.11 लाख एकड़ भूमि को लिफ्ट से सिचिंत किया जाना प्रस्तावित था. माही बजाज परियोजना की खोसला कमेटी और राजस्थान-गुजरात समझौते के अनुसार पानी की मात्रा 40 टीएमसी है. अनुबंध के मुताबिक गुजरात राज्य से राजस्थान में उपयोग के लिए सहमति लेने और जल उपयोग के माही बेसिन मास्टर प्लान का काम राज्य सरकार स्तर पर नेशनल वाटर डवलपमेंट एजेंसी नई दिल्ली को दिया गया है.

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