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लॉकडाउनः देश के अन्य राज्यों में फंसे हैं जालोर के 35 हजार से अधिक प्रवासी - जालोर प्रवासी खबर

लंबे इंतजार के बाद भी जालोर और सिरोही के लोगों की आवाज कोई सुनने को तैयार नहीं है. ऐसे में प्रवासियों की समस्या को समस्या को लेकर प्रवासी राजस्थानी फ्रेंड्स फाउण्डेशन के अध्यक्ष श्रवणसिंह राठौड़ दासपां ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर देश के विभिन्न राज्यों में फंसे जालोर-सिरोही के लाखों प्रवासियों को अपने गांव भेजने की मांग की.

जालोर प्रवासी खबर, Jalore migration news
35 हजार से अधिक प्रवासी फंसे है देश के अन्य राज्यों में
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Published : Apr 18, 2020, 12:23 PM IST

भीनमाल (जालोर). देश में फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर देश में लॉकडाउन पार्ट लगाया है. इस दौरान गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटका, तेलांगना, गोवा, पांंडिचेरी, दमन द्वीप, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में जालोर-सिरोही के प्रवासी भी फंसे है. जालोर और सिरोही जिले के लाखों लोग शामिल हैं. लंबे इंतजार के बाद भी जालोर और सिरोही के लोगों की आवाज कोई सुनने को तैयार नहीं है.

35 हजार से अधिक प्रवासी फंसे है देश के अन्य राज्यों में

ऐसे में प्रवासियों की समस्या को लेकर प्रवासी राजस्थानी फ्रेंड्स फाउंडेशन के अध्यक्ष श्रवणसिंह राठौड़ दासपां ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर देश के विभिन्न राज्यों में फंसे जालोर-सिरोही के लाखों प्रवासियों को अपने गांव वापस भेजने की मांग की है. उन्होंने पत्र में लिखा कि जालोर-सिरोही जिले के लाखों युवा देश के गुजरात, महाराष्ट्रा, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटका, तेलांगना, गोवा, पांडिचेरी, दमन द्वीप, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में व्यवसाय और निजी नौकरी करते है.

पढ़ेंः जालोरः रोजी रोटी के बाद पानी पर भी लॉकडाउन

राठौड़ ने पत्र में लिखा है कि अचानक लॉकडाउन लगने की वजह से लाखों प्रवासी फंस गए है. बडी संख्या में लोग लॉकडाउन के प्रथम चरण के दौरान कार्यस्थल से रवाना हो गए थे, लेकिन बीच रास्तों में दूसरे राज्यों में लॉकडाउन की सख्ती की वजह से उन्हे जबरन रोक दिया गया. वहीं प्रवासियों का कहना है कि हमारी क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद भी हमें घर नहीं भेज रहे है.

35 हजार लोगों को अपने गांव आने का इंतजार

राठौड़ ने पत्र में लिखा है कि जालोर जिले के ऐसे प्रवासियों की संख्या 35 हजार से अधिक होगी जो देश के अन्य राज्यों में फंसे है. उनके 14 दिन की निर्धारित क्वारेंटाइन अवधि भी पूरी हो चुकी है. इस दौरान वे पूरी तरीके से संक्रमण मुक्त है. इसके बावजूद उन्हें घर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. राठौड़ ने पत्र में कहा कि प्रवासियों के लिए वहां खाने का संकट भी बना हुआ है. ऐसे में छोटे बच्चे भी परेशान हो रहे है.

पढ़ेंः बाड़मेरः स्वास्थ्य विभाग के लिए 300 PPE किट किए भेंट, कलेक्टर ने की सराहना

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पूर्व नासमझी की वजह से मुंबई के बांद्रा में हजारों लोगों की भीड़ जमा हुई थी. फिर दूसरी जगहों पर भी हो सकती है. ऐसे में आप तुरंत प्रभाव से विभिन्न राज्यों के बीच आपसी समन्वय करके प्रवासी राजस्थानियों को सकुशल घर पहुंचाने की व्यवस्था करवाने का कष्ट करें. राठौड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि पिछले दिनों अखबार की खबरों से पता चला था कि उत्तराखंड में तीर्थ यात्रा में गए हुए गुजरात के लोगों के लिए देश के गृहमंत्री ने 25 लग्जरी बसें भिजवाकर सभी को सकुशल गुजरात लाया गया. ऐसी ही व्यवस्था प्रवासी राजस्थानियों के लिए भी करवाने की मांग की.

भीनमाल (जालोर). देश में फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर देश में लॉकडाउन पार्ट लगाया है. इस दौरान गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटका, तेलांगना, गोवा, पांंडिचेरी, दमन द्वीप, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में जालोर-सिरोही के प्रवासी भी फंसे है. जालोर और सिरोही जिले के लाखों लोग शामिल हैं. लंबे इंतजार के बाद भी जालोर और सिरोही के लोगों की आवाज कोई सुनने को तैयार नहीं है.

35 हजार से अधिक प्रवासी फंसे है देश के अन्य राज्यों में

ऐसे में प्रवासियों की समस्या को लेकर प्रवासी राजस्थानी फ्रेंड्स फाउंडेशन के अध्यक्ष श्रवणसिंह राठौड़ दासपां ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर देश के विभिन्न राज्यों में फंसे जालोर-सिरोही के लाखों प्रवासियों को अपने गांव वापस भेजने की मांग की है. उन्होंने पत्र में लिखा कि जालोर-सिरोही जिले के लाखों युवा देश के गुजरात, महाराष्ट्रा, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटका, तेलांगना, गोवा, पांडिचेरी, दमन द्वीप, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में व्यवसाय और निजी नौकरी करते है.

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राठौड़ ने पत्र में लिखा है कि अचानक लॉकडाउन लगने की वजह से लाखों प्रवासी फंस गए है. बडी संख्या में लोग लॉकडाउन के प्रथम चरण के दौरान कार्यस्थल से रवाना हो गए थे, लेकिन बीच रास्तों में दूसरे राज्यों में लॉकडाउन की सख्ती की वजह से उन्हे जबरन रोक दिया गया. वहीं प्रवासियों का कहना है कि हमारी क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद भी हमें घर नहीं भेज रहे है.

35 हजार लोगों को अपने गांव आने का इंतजार

राठौड़ ने पत्र में लिखा है कि जालोर जिले के ऐसे प्रवासियों की संख्या 35 हजार से अधिक होगी जो देश के अन्य राज्यों में फंसे है. उनके 14 दिन की निर्धारित क्वारेंटाइन अवधि भी पूरी हो चुकी है. इस दौरान वे पूरी तरीके से संक्रमण मुक्त है. इसके बावजूद उन्हें घर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. राठौड़ ने पत्र में कहा कि प्रवासियों के लिए वहां खाने का संकट भी बना हुआ है. ऐसे में छोटे बच्चे भी परेशान हो रहे है.

पढ़ेंः बाड़मेरः स्वास्थ्य विभाग के लिए 300 PPE किट किए भेंट, कलेक्टर ने की सराहना

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पूर्व नासमझी की वजह से मुंबई के बांद्रा में हजारों लोगों की भीड़ जमा हुई थी. फिर दूसरी जगहों पर भी हो सकती है. ऐसे में आप तुरंत प्रभाव से विभिन्न राज्यों के बीच आपसी समन्वय करके प्रवासी राजस्थानियों को सकुशल घर पहुंचाने की व्यवस्था करवाने का कष्ट करें. राठौड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि पिछले दिनों अखबार की खबरों से पता चला था कि उत्तराखंड में तीर्थ यात्रा में गए हुए गुजरात के लोगों के लिए देश के गृहमंत्री ने 25 लग्जरी बसें भिजवाकर सभी को सकुशल गुजरात लाया गया. ऐसी ही व्यवस्था प्रवासी राजस्थानियों के लिए भी करवाने की मांग की.

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