जालोर (राजस्थान). अंतराष्ट्रीय सीमा पार से आए टिड्डी दल ने जालोर जिले में जमकर कहर बरपाया है. दिसंबर और जनवरी में टिड्डियों ने करीब 7 अरब रुपए की फसल को पूरी तरह चौपट कर दिया. अब किसानों को सरकार की तरफ से राहत के लिए राशि दी जा रही है, लेकिन वह भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.
जिले के ज्यादातर किसानों की फसलें टिड्डी अटैक से बर्बाद हो चुकी हैं. पहली बार 13 दिसंबर को टिड्डियों के दल ने खेतों पर हमला किया था. फिर तो जैसे सिलसिला चल पड़ा. कई बार टिड्डियों का दल पहुंचा और रबी की पूरी फसल चट कर गया. किसान आज खून के आंसू रोने को मजबूर हैं. मुआवजा तो मिला है, लेकिन वो भी बहुत कम है. किसानों का कहना है, कि पूरी रबी की फसल नष्ट हो गई है. किसान पूरी तरह से निराश हैं.
टिड्डियों ने बर्बाद कर दी करीब 7 अरब की रबी की फसल
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक टिड्डी ने जिले में करीब 7 अरब रुपए की रबी की फसल को चौपट कर दिया. जिसमें सबसे ज्यादा जीरे की फसल को नुकसान पहुंचा है.
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जिले में जीरे की बुवाई 93 हजार हेक्टेयर में हुई थी. जिसमें से 31 हजार हेक्टेयर में जीरे की फसल नष्ट हो गई है. जिसकी अनुमानित लागत 2 अरब रुपए है. इसके अलावा 1 अरब का इसबगोल, 1 अरब का गेंहू, 1.25 अरब की सरसों और करीब 90 करोड़ से ज्यादा रुपये की अरंडी की फसल को टिड्डी ने चट कर दिया. जिससे किसानों की माली हालत पूरी तरह से गड़बड़ा गई है.
10 पंचायत समितियों में नुकसान, 2 में सबसे ज्यादा नुकसान
टिड्डियों ने जिले के सांचौर, चितलवाना, सरनाऊ, रानीवाड़ा, भीनमाल, बागोड़ा, सायला, जालोर, आहोर और जसवंतपुरा पंचायत समिति के गांवों में टिड्डियों ने रबी की फसल पर 4 बार अटैक किया और पूरी फसल नष्ट कर दी. इस बार टिड्डियों ने जीरे, इसबगोल, तारामीरा, अरंडी, गेंहू, सरसों सहित अन्य फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है.
बाजार में भाव रहेंगे तेज
वहीं टिड्डियों ने रबी की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया. स्थानीय व्यापारियों का कहना है, कि इस बार जीरे सहित अन्य फसलों का उत्पादन प्रभावित हुआ है. जिसके कारण अंतराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में इन फसलों के भाव काफी तेज रहने की संभावना है.
'ऊंट के मुंह में जीरे के समान है मुआवजा'
टिड्डियों से फसल को हुए नुकसान के बाद किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने मुआवजा देना शुरू किया है, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. वर्तमान में सरकार प्रति हेक्टेयर 13 हजार 500 रुपए मुआवजा दे रही है. एक किसान को मात्र दो हेक्टेयर का 27 हजार ही मुआवजा दिया जा रहा है.
किसानों का कहना है, कि सरकार की ओर से जो मुआवजा दिया जा रहा है, वो खरीफ की फसल के हिसाब से दिया जा रहा है. जबकि नुकसान रबी की फसल में हुआ है. रबी की फसल काफी महंगी होती है. जिसके कारण मुआवजा भी उसी हिसाब से दिया जाना चाहिए. जिसके कारण किसान ज्यादा मुआवजा मांग रहे हैं.