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स्पेशल रिपोर्ट: जालोर के किसानों की सरकार को खुली चुनौती, पानी नहीं मिला तो रोक देंगे नर्मदा का पानी

जालोर में 5 गांवों के किसानों का धरना लगातार जारी है, नर्मदा नहर से पानी देने की मांग को लेकर मेघावा गांव में किसान पिछले 64 दिनों से धरने पर बैठे हैं. जिसके बाद किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनको नर्मदा का पानी नहीं मिला, तो वो आने वाले दिनों में नहर में रेत डालकर पानी रोकेंगे, आखिर क्या है पूरा मामला जानिए जालोर से स्पेशल रिपोर्ट में..

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जालोर में 64 दिनों से किसानों का धरना जारी
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Published : Feb 7, 2020, 7:46 PM IST

सांचोर (जालोर). चितलवाना उपखण्ड के मेघावा गांव में गत 64 दिन से अपने क्षेत्र की जमीन कमांड करवाने की मांग को लेकर पांच गांवों के किसानों का धरना चल रहा है, लेकिन सरकार व नर्मदा विभाग ने किसानों से वार्ता कर कोई ठोस अश्वासन नहीं दिया. किसानों का आरोप है कि सरकार व नर्मदा विभाग किसानों की इन समस्या को हल्के में ले रही है. दो माह से भी ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अभी तक सरकार ने किसानों की समस्याओं के समाधान का प्रयास तक नहीं किया.

पढ़ें- गहलोत ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को लिखा पत्र, कहा- पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना घोषित हो राष्ट्रीय परियोजना

असिंचित क्षेत्र में आने वाले किसानों की सिंचित क्षेत्र में जोड़ने की मांग
दरअसल, चितलवाना उपखण्ड के पांच गांव (मेघावा, मणोहर, वीरावा, कुंडकी व अगड़ावा) नर्मदा मुख्य नहर के अनकमाण्ड क्षेत्र में है. जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच में से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया और खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया. उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया, क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा और उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी. उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी, लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया, क्योंकि इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है. जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे.

64 दिन से धरने पर किसान, ना सरकार ना अधिकारियों ने ली सुध
किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करवाने के लिए गत 64 दिन से धरने पर है. किसान दिन-रात धरने पर बैठे है, लेकिन अभी तक ना तो नर्मदा के अधिकारियों ने इन किसानों की सुध ली है और ना ही सरकार ने इन किसानों के हालात की जानकारी ली है. हालांकि 50 दिन पहले सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने धरनास्थल पर पहुंचकर किसानों को आवश्यक दस्तावेज लेकर जयपुर बुलाया था. लेकिन नर्मदा विभाग से अभी तक इन किसानों को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये. किसान हर रोज नर्मदा विभाग चक्कर लगा रहे है कि लेकिन फिर भी इन्हें अभी तक आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हुए है. जिसकी वजह से अभी तक किसान जयपुर नहीं जा पाए. नर्मदा विभाग आखिर इन किसानों को दस्तावेज उपलब्ध करवाने में क्यों हिचकिचा रहा है इसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: 732 करोड़ की लागत से आया नहरी पानी, लेकिन घरों में पहुंचने से पहले यूं ही बह रहा

सानों की चेतावनी, नहर में रेत डालकर रोक देंगे पानी
वहीं धरने पर बैठे किसानों ने अब सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार किसानों के इस मामले को हल्के लेंगे और किसानों की जमीन कमाण्ड क्षेत्र में नहीं जोड़ी तो वो सभी मिलकर नहर में रेत डालकर पानी को रोक देंगे और आगे पानी नहीं जाने देंगे. पिछले 64 दिनों से किसान धरने ओर बैठे है, लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में किसानों ने नहर में रेत डालकर पानी रोकने की चेतावनी दी है. ऐसे अब देखना यह होगा कि सरकार किसानों की सुध लेती या फिर किसान उग्र आंदोलन पर उतरेंगे.

सांचोर (जालोर). चितलवाना उपखण्ड के मेघावा गांव में गत 64 दिन से अपने क्षेत्र की जमीन कमांड करवाने की मांग को लेकर पांच गांवों के किसानों का धरना चल रहा है, लेकिन सरकार व नर्मदा विभाग ने किसानों से वार्ता कर कोई ठोस अश्वासन नहीं दिया. किसानों का आरोप है कि सरकार व नर्मदा विभाग किसानों की इन समस्या को हल्के में ले रही है. दो माह से भी ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अभी तक सरकार ने किसानों की समस्याओं के समाधान का प्रयास तक नहीं किया.

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असिंचित क्षेत्र में आने वाले किसानों की सिंचित क्षेत्र में जोड़ने की मांग
दरअसल, चितलवाना उपखण्ड के पांच गांव (मेघावा, मणोहर, वीरावा, कुंडकी व अगड़ावा) नर्मदा मुख्य नहर के अनकमाण्ड क्षेत्र में है. जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच में से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया और खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया. उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया, क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा और उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी. उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी, लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया, क्योंकि इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है. जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे.

64 दिन से धरने पर किसान, ना सरकार ना अधिकारियों ने ली सुध
किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करवाने के लिए गत 64 दिन से धरने पर है. किसान दिन-रात धरने पर बैठे है, लेकिन अभी तक ना तो नर्मदा के अधिकारियों ने इन किसानों की सुध ली है और ना ही सरकार ने इन किसानों के हालात की जानकारी ली है. हालांकि 50 दिन पहले सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने धरनास्थल पर पहुंचकर किसानों को आवश्यक दस्तावेज लेकर जयपुर बुलाया था. लेकिन नर्मदा विभाग से अभी तक इन किसानों को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये. किसान हर रोज नर्मदा विभाग चक्कर लगा रहे है कि लेकिन फिर भी इन्हें अभी तक आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हुए है. जिसकी वजह से अभी तक किसान जयपुर नहीं जा पाए. नर्मदा विभाग आखिर इन किसानों को दस्तावेज उपलब्ध करवाने में क्यों हिचकिचा रहा है इसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली.

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सानों की चेतावनी, नहर में रेत डालकर रोक देंगे पानी
वहीं धरने पर बैठे किसानों ने अब सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार किसानों के इस मामले को हल्के लेंगे और किसानों की जमीन कमाण्ड क्षेत्र में नहीं जोड़ी तो वो सभी मिलकर नहर में रेत डालकर पानी को रोक देंगे और आगे पानी नहीं जाने देंगे. पिछले 64 दिनों से किसान धरने ओर बैठे है, लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में किसानों ने नहर में रेत डालकर पानी रोकने की चेतावनी दी है. ऐसे अब देखना यह होगा कि सरकार किसानों की सुध लेती या फिर किसान उग्र आंदोलन पर उतरेंगे.

Intro:
जिले के मेघावा गांव में पानी देने की मांग को लेकर चल रहा धरना 64 दिनों से जारी है, लेकिन सरकार की ओर से कोई सुध नहीं ली गई। जिसके कारण परेशान किसानों ने नहर में रेत डालकर आगे के गांवों में जा रहे पानी को रोकने की चेतावनी दी है।

Body:पानी देने की मांग को लेकर मेघावा में 64 दिनों से चल रहे धरने में किसानों ने दी सरकार को दी, हम नहर में रेत डालकर रोकेंगे पानी
सांचोर (जालोर)
चितलवाना उपखण्ड के मेघावा गांव में गत 64 दिन से अपने क्षेत्र की जमीन कमाण्ड करवाने की मांग को लेकर पांच गांवो के किसानों धरना चल रहा है लेकिन सरकार व नर्मदा विभाग ने किसानों से वार्ता कर कोई ठोस अश्वासन नही दिया। किसानों का आरोप है कि सरकार व नर्मदा विभाग किसानों की इन समस्या को हल्के में ले रही है दो माह से भी ज्यादा समय हो गया है लेकिन अभी तक सरकार ने किसानों की समस्याओं के समाधान का प्रयास तक नहीं किया। दरअसल चितलवाना उपखण्ड के पांच गांव(मेघावा,मणोहर,वीरावा, कुंडकी व अगड़ावा) नर्मदा मुख्य नहर के अनकमाण्ड क्षेत्र में है जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच में से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया और खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया।उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा और उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी, लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया।क्योंकि इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे। किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करवाने के लिए गत 66 दिन से धरने पर है किसान दिन-रात धरने पर बैठे है लेकिन अभी तक न तो नर्मदा के अधिकारियों ने इन किसानों की सुध ली है और न ही सरकार ने इन किसानों के हालात की जानकारी ली है। हालांकि 50 दिन पहले सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने धरनास्थल पर पहुंचकर किसानों को आवश्यक दस्तावेज लेकर जयपुर बुलाया था लेकिन नर्मदा विभाग से अभी तक इन किसानों को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नही करवाये है। किसान हर रोज नर्मदा विभाग फिर भी इन्हें अभी तक आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नही हुए है। जिसकी वजह से अभी तक किसान जयपुर नहीं जा पाए है। अब नर्मदा विभाग आखिर इन किसानों को दस्तावेज उपलब्ध करवाने में क्यों हिचकिचा रहा है। अब किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार किसानों के मामले को हल्के में लिया और किसानों की जमीन कमाण्ड क्षेत्र में नहीं जोड़ी तो हम सभी किसान इस नहर में रेत डालकर पानी को रोक देंगे आगे पानी नहीं जाने देंगे। पिछले 64 दिनों से किसान धरने ओर बैठे है, लेकिन सत्कार की ओर से कोई सुध नहीं ली जा रही है। ऐसे में किसानों ने नहर में रेत डालकर पानी रोकने की चेतावनी दी है। ऐसे अब देखना यह होगा कि सरकार किसानों की सुध लेती या फिर किसान उग्र आंदोलन पर उतरेंगे।

सांचोर से भजन लाल गोदारा के साथ जालोर से विक्रम गर्ग की रिपोर्ट....

विजुअल डिटेल-
(1)-64 दिन से धरने पर बैठे किसान।
(2)-क्षेत्र से गुजर रही नर्मदा मुख्य नहर
(3)-नर्मदा मुख्य नहर का लगा बोर्ड
(4)-नर्मदा नहर पर प्रदर्शन करते किसान
(5)-किसानों के साथ धरने पर बैठी महिलाएं।

बाईट-
(1)-विरदाराम- किसान(चंश्मे पहने हुए)
(2)-जगमाल-किसान(गले मे सफेद दुपट्टा)
(3)-विजयराज-किसान(सफेद शर्ट में)
(4)-जगदीश-किसान(सफेद शर्ट में मटमैला जैकेट)
(5)-कानाराम-किसान(सफेद साफे में)


Conclusion:नोट: इस खबर के अंत में सांचोर से भजन लाल गोदारा के साथ विक्रम गर्ग जालोर बोले। भजन लाल ने भी खबर में हेल्प की है। उनको भी क्रेडिट मिलना चाहिए।
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