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जालोर: 'मोहल्ले की बेटियां' कार्यक्रम के जरिए सिखाया जा रहा महिलाओं का सम्मान करना

लॉकडाउन में सरकारी स्कूल बंद होने के कारण इस साल 'कन्या पूजन' कार्यक्रम नहीं हो पाया. ऐसे में जालोर जिले के कई क्षेत्र में कन्या पूजन के तर्ज पर 'मोहल्ले की बेटियां' कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. जिसमें मोहल्ले में 9 साल के कम उम्र की बालिकाओं की युवक मिलकर सामूहिक रूप से पूजन और अभिनंदन कर रहें हैं. साथ ही बालिकाओं को उपहार भी दिए जा रहे हैं.

Jalore news, कन्या पूजन कार्यक्रम, मोहल्ले की बेटियां कार्यक्रम
कन्या पूजन कार्यक्रम
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Published : Nov 2, 2020, 12:05 AM IST

भीनमाल (जालोर). देश-प्रदेश में महिलाओं के साथ लगातार बढ़ते दुष्कर्म और छेड़छाड़ की घटनाओं में कमी लाने के लिए प्रदेश के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने एक अनोखा प्रयास किया था. पिछले 5 वर्षों से राजस्थान के कई क्षेत्रों में किसी 1 दिन सरकारी विद्यालयों के छात्र पहली से पांचवी कक्षा तक की कन्याओं का पूजन अभिनंदन सम्मान करते हैं. विशेष रूप से यह आयोजन नवरात्रि के दिनों में होता था.

कन्या पूजन कार्यक्रम

लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हैं. ऐसे में जालोर के भीनमाल और उसके आस-पास के क्षेत्रों में 'कन्या पूजन' के तर्ज पर 'मोहल्ले की बेटियां' कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. जिसके तहत युवक मिलकर मोहल्ले में रहने वाली 9 वर्ष तक की कन्याओं का सामूहिक रूप से पूजन और अभिनंदन कर रहें हैं.

इसके पीछे आयोजकों का मानना है कि महिलाओं और बालिका का सम्मान करना सिखाने का यह एक मनोवैज्ञानिक तरीका है. इससे स्त्री सम्मान और सुरक्षा उनकी सुरक्षा का भाव मन में आता है. अपने मोहल्ले में रहने वाली 9 वर्ष तक की समस्त कन्याओं का पूजन करने से लड़कों में उनके प्रति सम्मान का भाव बढ़ेगा. मोहल्ला-बस्ती स्तर पर अथवा गली के स्तर पर यह आयोजन सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए किया जा रहा है. विभिन्न माध्यमों से बालकों के मन में आने वाले विकृत विचार इस प्रकार के आयोजन से दूर होते हैं.

ये पढ़ें: Special: अब भरतपुर में भी फूड डेस्टिनेशन, नगर निगम 75 लाख रुपए की लागत से तैयार करेगा चौपाटी

कन्या पूजन आयोजन की दृष्टि से नवरात्रि का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इन 9 दिनों में से किसी भी दिन यह आयोजन किया जा सकता है। इसके अलावा महिला दिवस बालिका दिवस या अन्य किसी भी अवसर पर भी यह आयोजन हो सकता है. उपस्थित सभी लोगों द्वारा उन कन्याओं का चरण स्पर्श किया जाता है. अनेक स्थानों पर कन्याओं के पैर भी धोए जाते हैं. कार्यक्रम के दौरान कन्याओं को शिक्षा की दृष्टि से उनके लिए उपयोगी वस्तु जैसे पेन, पेंसिल, कलर बॉक्स, कॉपियों का सेट, सामान्य ज्ञान की पुस्तक, ड्राइंग का सेट, लंच बॉक्स, स्कूल बैग या पानी की बोतल भेंट स्वरुप देते हैं.

जालोर से हुई थी कन्या पूजन की शुरुआत

निर्भया कांड के बाद बने वातावरण में जालोर के गोदन में विद्यालय में कार्यरत शिक्षक संदीप जोशी के मन में विद्यालय जीवन से ही बालकों को नारी सम्मान का प्रशिक्षण देने का विचार आया. उसके लिए उन्होंने अपने साथी शिक्षकों से मिलकर विद्यालय में कन्या पूजन के कार्यक्रम आयोजित किए. इन कार्यक्रमों में शिक्षा विभाग एवं जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने भी सहभागिता निभाई. इसे बाल मन को संस्कार देने का अच्छा प्रयास बताया था.

भीनमाल (जालोर). देश-प्रदेश में महिलाओं के साथ लगातार बढ़ते दुष्कर्म और छेड़छाड़ की घटनाओं में कमी लाने के लिए प्रदेश के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने एक अनोखा प्रयास किया था. पिछले 5 वर्षों से राजस्थान के कई क्षेत्रों में किसी 1 दिन सरकारी विद्यालयों के छात्र पहली से पांचवी कक्षा तक की कन्याओं का पूजन अभिनंदन सम्मान करते हैं. विशेष रूप से यह आयोजन नवरात्रि के दिनों में होता था.

कन्या पूजन कार्यक्रम

लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हैं. ऐसे में जालोर के भीनमाल और उसके आस-पास के क्षेत्रों में 'कन्या पूजन' के तर्ज पर 'मोहल्ले की बेटियां' कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. जिसके तहत युवक मिलकर मोहल्ले में रहने वाली 9 वर्ष तक की कन्याओं का सामूहिक रूप से पूजन और अभिनंदन कर रहें हैं.

इसके पीछे आयोजकों का मानना है कि महिलाओं और बालिका का सम्मान करना सिखाने का यह एक मनोवैज्ञानिक तरीका है. इससे स्त्री सम्मान और सुरक्षा उनकी सुरक्षा का भाव मन में आता है. अपने मोहल्ले में रहने वाली 9 वर्ष तक की समस्त कन्याओं का पूजन करने से लड़कों में उनके प्रति सम्मान का भाव बढ़ेगा. मोहल्ला-बस्ती स्तर पर अथवा गली के स्तर पर यह आयोजन सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए किया जा रहा है. विभिन्न माध्यमों से बालकों के मन में आने वाले विकृत विचार इस प्रकार के आयोजन से दूर होते हैं.

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कन्या पूजन आयोजन की दृष्टि से नवरात्रि का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इन 9 दिनों में से किसी भी दिन यह आयोजन किया जा सकता है। इसके अलावा महिला दिवस बालिका दिवस या अन्य किसी भी अवसर पर भी यह आयोजन हो सकता है. उपस्थित सभी लोगों द्वारा उन कन्याओं का चरण स्पर्श किया जाता है. अनेक स्थानों पर कन्याओं के पैर भी धोए जाते हैं. कार्यक्रम के दौरान कन्याओं को शिक्षा की दृष्टि से उनके लिए उपयोगी वस्तु जैसे पेन, पेंसिल, कलर बॉक्स, कॉपियों का सेट, सामान्य ज्ञान की पुस्तक, ड्राइंग का सेट, लंच बॉक्स, स्कूल बैग या पानी की बोतल भेंट स्वरुप देते हैं.

जालोर से हुई थी कन्या पूजन की शुरुआत

निर्भया कांड के बाद बने वातावरण में जालोर के गोदन में विद्यालय में कार्यरत शिक्षक संदीप जोशी के मन में विद्यालय जीवन से ही बालकों को नारी सम्मान का प्रशिक्षण देने का विचार आया. उसके लिए उन्होंने अपने साथी शिक्षकों से मिलकर विद्यालय में कन्या पूजन के कार्यक्रम आयोजित किए. इन कार्यक्रमों में शिक्षा विभाग एवं जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने भी सहभागिता निभाई. इसे बाल मन को संस्कार देने का अच्छा प्रयास बताया था.

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