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कांग्रेस के पूर्व विधायक भी नहीं दिलवा पाए अपने बेटे को पार्षद का टिकट

कांग्रेस के पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल लंबे समय जालोर की राजनीति से जुड़े हुए है. लेकिन अब धीरे-धीरे पार्टी में उनकी राजनीतिक पकड़ कम होती जा रही है. परिस्थिति ऐसी है कि मेघवाल निकाय चुनाव में अपने बेटे को पार्षद की टिकट नही दिलवा पाए.

local body elections in jalore ,जालोर में निकाय चुनाव
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Published : Nov 14, 2019, 8:13 AM IST

जालोर. विधानसभा में कांग्रेस की एससी की सीट आरक्षित है. ऐसे में मेघवाल समाज के कद्दावर नेता रामलाल मेघवाल का इस सीट पर सालों से कब्जा रहा है. वहीं अब धीरे धीरे वक्त के साथ यह वर्चस्व कमजोर होता जा रहा है. कांग्रेस में कभी इनका ओहदा था. लेकिन अब हालात ऐसे है कि ये अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेटे को पार्षद का टिकट भी नहीं दिलवा पाए.

पूर्व विधायक नहीं दिलवा पाए अपने बेटे को टिकट

पिछले विधानसभा चुनावों में पूर्व विधायक मेघवाल के नाम की टिकट फाइनल हो चुकी थी. आलाकमान ने ऊपर से हरी झंडी दिखा दी थी और जालोर में तैयारियां भी शुरू हो गई थी. लेकिन कांग्रेस की औपचारिक लिस्ट जारी हुई तो सब चौक गए. जालोर से रामलाल का टिकट काट कर पूर्व जिला प्रमुख रही मंजू मेघवाल को प्रत्याशी बनाया गया था.

ये पढ़ेंः राजस्थान कांग्रेस ने निकाय चुनाव के लिए जारी किया घोषणा पत्र, 25 मुद्दों पर दिया जोर

वहीं विधानसभा चुनाव के बाद जहां अब जालोर में नगर परिषद के चुनाव है और सभापति की सीट भी एससी वर्ग की आरक्षित है. वहीं जिस वार्ड से मेघवाल आते है वहां पर पार्षद की सीट भी एससी की आरक्षित है. साथ ही निकाय प्रमुख के लिए भी एससी सीट आरक्षित है. ऐसे में मौके का फायदा उठाते हुए पूर्व विधायक मेघवाल ने वार्ड से अपने पुत्र को चुनाव लड़वाने का प्रस्ताव पार्टी के सामने रख दिया. लेकिन पार्टी ने रमेश का टिकट काट कर राजेन्द्र सोलंकी को दे दिया.

इस वार्ड से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए 25 उम्मीदवार सामने आए थे. जिनमें से 16 ने तो टिकट के लिए आवेदन ही जमा करवा दिया था. रमेश मेघवाल ने भी टिकट मिलने की पूरी संभावना के साथ नामांकन भी दाखिल कर दिया था. लेकिन बाद में टिकट मेघवाल की जगह दूसरे को दे दिया. जिसके बाद मेघवाल को अपना नामांकन वापस लेना पड़ा है.

जालोर. विधानसभा में कांग्रेस की एससी की सीट आरक्षित है. ऐसे में मेघवाल समाज के कद्दावर नेता रामलाल मेघवाल का इस सीट पर सालों से कब्जा रहा है. वहीं अब धीरे धीरे वक्त के साथ यह वर्चस्व कमजोर होता जा रहा है. कांग्रेस में कभी इनका ओहदा था. लेकिन अब हालात ऐसे है कि ये अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेटे को पार्षद का टिकट भी नहीं दिलवा पाए.

पूर्व विधायक नहीं दिलवा पाए अपने बेटे को टिकट

पिछले विधानसभा चुनावों में पूर्व विधायक मेघवाल के नाम की टिकट फाइनल हो चुकी थी. आलाकमान ने ऊपर से हरी झंडी दिखा दी थी और जालोर में तैयारियां भी शुरू हो गई थी. लेकिन कांग्रेस की औपचारिक लिस्ट जारी हुई तो सब चौक गए. जालोर से रामलाल का टिकट काट कर पूर्व जिला प्रमुख रही मंजू मेघवाल को प्रत्याशी बनाया गया था.

ये पढ़ेंः राजस्थान कांग्रेस ने निकाय चुनाव के लिए जारी किया घोषणा पत्र, 25 मुद्दों पर दिया जोर

वहीं विधानसभा चुनाव के बाद जहां अब जालोर में नगर परिषद के चुनाव है और सभापति की सीट भी एससी वर्ग की आरक्षित है. वहीं जिस वार्ड से मेघवाल आते है वहां पर पार्षद की सीट भी एससी की आरक्षित है. साथ ही निकाय प्रमुख के लिए भी एससी सीट आरक्षित है. ऐसे में मौके का फायदा उठाते हुए पूर्व विधायक मेघवाल ने वार्ड से अपने पुत्र को चुनाव लड़वाने का प्रस्ताव पार्टी के सामने रख दिया. लेकिन पार्टी ने रमेश का टिकट काट कर राजेन्द्र सोलंकी को दे दिया.

इस वार्ड से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए 25 उम्मीदवार सामने आए थे. जिनमें से 16 ने तो टिकट के लिए आवेदन ही जमा करवा दिया था. रमेश मेघवाल ने भी टिकट मिलने की पूरी संभावना के साथ नामांकन भी दाखिल कर दिया था. लेकिन बाद में टिकट मेघवाल की जगह दूसरे को दे दिया. जिसके बाद मेघवाल को अपना नामांकन वापस लेना पड़ा है.

Intro:पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल लंबे समय जालोर की राजनीति से जुड़े हुए है। पहली बार 1990 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उसके बाद 1993, 1998, 2003 में चुनाव लड़ा, लेकिन पराजित हुए। उसके बाद 2008 में जालोर से जीते और विधायक बने। 2013 में अमृता मेघवाल के सामने हार गए। 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने टिकट दिया था।



Body:कांग्रेस में कभी जिस नेता की तूती बोलती थी अब वो नेता अपनी राजनीति विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेटे को नहीं दिलवा पाया पार्षद का टिकट
जालोर
जालोर विधानसभा में कांग्रेस की एससी की सीट आरक्षित है। ऐसे में मेघवाल समाज के कद्दावर नेता रामलाल मेघवाल का इस सीट पर वर्षों से कब्जा रहा है, लेकिन धीरे धीरे वक़्त के साथ यह वर्चस्व कमजोर होता गया। पिछले विधानसभा चुनावों में पूर्व विधायक मेघवाल के नाम की टिकट फाइनल हो चुकी थी। आलाकमान ने ऊपर से हरी झंडी दिखा दी और जालोर में तैयारियां शुरू कर दी थी, लेकिन कांग्रेस की औपचारिक लिस्ट जारी हुई तो सब चौक गए। जालोर से रामलाल का टिकट काट कर पूर्व जिला प्रमुख रही मंजू मेघवाल को प्रत्याशी बनाया गया था। उस चुनावों के ठीक डेढ़ साल बाद जालोर में नगर परिषद के चुनाव है और सभापति की सीट भी एससी वर्ग की आरक्षित है। वही संजोग से जिस वार्ड से मेघवाल आते है वहा पर पार्षद की सीट भी एससी की आरक्षित है। ऐसे में मौके का फायदा उठाते हुए जालोर के पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल ने भी अपने पुत्र को सभापति बनाने के लिए चुनावी मैदान में ताल ठोक दी, वार्ड संख्या 31 भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के कारण सोने पर सुहागा वाली स्थिति पैदा हो गई। जिसके बाद अपने बेटे रमेश मेघवाल को 31 नम्बर से चुनाव लड़वाने का प्रस्ताव पार्टी के सामने रख दिया, लेकिन पार्टी ने रमेश का टिकट काट कर राजेन्द्र सोलंकी को दे दिया।
वार्ड संख्या 31 से 25 लोगों में मांगा कांग्रेस से टिकट
इस वार्ड से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए 25 उम्मीदवार सामने आए थे। 16 ने तो टिकट के लिए आवेदन ही जमा करवा दिया था। जिसमें रमेश मेघवाल ने तो टिकट मिलने की पूरी संभावना के साथ नामांकन भी दाखिल कर दिया था, लेकिन बाद में टिकट मेघवाल की जगह दूसरे को दे दिया। जिसके बाद मेघवाल को अपना नामांकन वापस लेना पड़ा है।


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