जालोर. टिड्डियां किसानों की फसल के लिए यमराज बनकर आती हैं. किसान दिनरात मेहनत कर और खून पसीने की कमाई से अपने परिवार का पेट पालने के लिए फसल उगाता है जिसे टिड्डियां मिनटों में चट कर जाती हैं. जिसके बाद किसान के पास आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं बचता. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को उनकी खराब हुई फसल के लिए मुआवजा देने का प्रावधान भी है, लेकिन क्या सच में किसानों को मुआवजा मिलता है ?
बात करें जालोर की तो जिले में 2 लाख 43 हजार किसानों ने रबी की फसल का बीमा करवाया था. जिसके बाद टिड्डी दल का अटैक हुआ और किसानों की फसल चौपट हो गई, लेकिन अभी तक क्लेम के नाम पर किसानों को फूटी कौड़ी भी नहीं मिली. रबी की सीजन में किसानों ने लाखों रुपये का कर्ज लेकर फसलों की बुवाई की थी.
उस समय वन और पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई, तत्कालीन कलेक्टर महेंद्र कुमार सोनी के साथ प्रशासनिक अमला गांव-गांव घूमा और सभाओं का आयोजन करके प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने की अपील की. किसानों ने मंत्री और कलेक्टर की अपील पर भरोसा किया और जिले के 2 लाख 43 हजार किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा करवाया. इस दौरान पाकिस्तान से आई टिड्डियों ने किसानों के खेतों में खड़ी रबी की फसल पर धावा बोल दिया.
टिड्डी दल ने रबी की पूरी फसल को किसानों की आंखों के सामने चौपट कर दिया. उसके बाद किसानों को उम्मीद थी कि मंत्री और कलेक्टर ने फसल का बीमा करवाने की अपील की थी. ऐसे में उसका क्लेम किसानों को जरूर मिलेगा जिससे नुकसान की भरपाई हो जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
किसानों की फसल चौपट हुए 6 महीने का वक्त हो गया, लेकिन क्लेम के नाम पर किसानों को फूटी कौड़ी नसीब नहीं हुई है. किसानों ने बताया कि कर्ज लेकर फसल बोई और फसल का बीमा भी करवाया था जिसे टिड्डियों ने बर्बाद कर दिया. जिसके बाद क्लेम की राशि को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं. बावजूद इसके क्लेम की राशि अभी तक किसानों के खातों में जमा नहीं हुई है. 2 लाख 43 हजार किसानों ने प्रीमियम भरा था, जिसमें से केवल 14 हजार किसानों के ही क्लेम के 19 करोड़ रुपए आए. बाकी 2 लाख 29 हजार किसान आज भी फसल बीमा योजना के क्लेम को तरस रहे हैं.
गैर ऋणी बीमा करवाने में जिला सबसे अव्वल...
रबी की फसल के सीजन में मंत्री सुखराम विश्नोई और तत्कालीन कलेक्टर महेंद्र कुमार सोनी ने गांव-गांव घूम कर किसानों को बीमा करवाने के लिए प्रेरित किया था. जिसके कारण गैर ऋणी किसानों ने भी जिले में भारी संख्या में बीमा करवाया था. प्रदेश में 36 हजार के करीबन गैर ऋणी किसानों ने बीमा करवाया था. जिसमें से अकेले जालोर के 34 हजार किसान थे. जिन्होंने बिना लोन लिए अपनी इच्छा से ई-मित्र पर जाकर फसलों का बीमा करवाया था, लेकिन अब क्लेम नहीं मिलने के बाद किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है.
यह है नियम...
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 2 प्रतिशत प्रीमियम किसानों को भरना पड़ता है, जबकि पीछे 98 प्रतिशत प्रीमियम राशि केंद्र और राज्य सरकार आधी-आधी जमा करती है. जिसके बाद फसल का 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान होने पर किसानों को बीमा क्लेम मिलता है. इसमें 25 प्रतिशत तो किसानों को राहत देने के लिए तुरंत मिलता है और बचा 75 प्रतिशत क्रॉप कटिंग के समय मिलता है.
जिले में बिमित 2 लाख 43 हजार किसानों में से मात्र 14 हजार किसानों को 25 प्रतिशत की राशि मिली है. जबकि 2 लाख 29 हजार किसानों की 100 फीसदी फसल टिड्डी दल ने बर्बाद कर दिया, लेकिन क्लेम के नाम पर बीमा कंपनी ने फूटी कौड़ी नहीं दी है. 33 पटवार सर्कल के 250 गांवों में 100 फीसदी फसलों को नुकसान हुआ, लेकिन क्लेम नहीं मिला.
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जिले में टिड्डी दल ने पहली बार दिसंबर में हमला किया था. उसके बाद लगातार फरवरी तक टिड्डियों के झुंड आए और किसानों की फसल को बर्बाद किया. उस समय सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आए और किसानों को राहत देने की घोषणा करते हुए स्पेशल गिरदावरी करवाने की घोषणा की तब सर्वे किया गया था. उस सर्वे के अनुसार जिले के 33 पटवार सर्कल के 250 से ज्यादा गांवों में टिड्डी दल ने रबी की फसल चौपट किया था. ऐसे में इन गांवों के किसान आज भी क्लेम को लेकर सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं.