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SPECIAL: कोरोना काल में होटल-ढाबा व्यवसाय ठप, 70 प्रतिशत तक गिरावट

सड़क मार्गों के किनारे होटल, ढाबे और फल बेचने का व्यवसाय चलाकर परिवार का पालन पोषण करने वाले लोगों के सामने अब संकट खड़ा हो गया है. कोरोना के भय से ग्राहक नहीं आ रहे, जिसके चलते इनके धंधे में 70 से 80 प्रतिशत तक मंदी आ गई है. इन व्यवसायियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. देखें पूरी रिपोर्ट...

Corona Effect on Hotel Business, Hotel-Dhaba Business
कोरोना काल में होटल-ढाबा व्यवसाय ठप
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Published : Jul 26, 2020, 10:49 PM IST

जालोर. कोरोना के चलते लगाया गया लॉकडाउन मुख्य सड़क मार्गों के किनारे होटल, ढाबों और फल का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए घातक साबित हुआ है. लॉकडाउन की अवधि में जिस प्रकार काम-धंधे चौपट हुए हैं, उसका असर अब नजर आने लग गया है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोग भी घरों से बाहर निकलना कम पसंद कर रहे हैं. जिसके कारण नेशनल हाइवे के किनारे होटल, ढाबा और फल बेचने का काम करने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं.

इन लोगों के सामने अपने परिवार के पालन पोषण का संकट खड़ा हो रहा है. इनके धंधे पर 70 से 80 प्रतिशत फर्क पड़ने के कारण ढाबों व होटलों में काम करने वाले युवाओं का बड़ी संख्या में रोजगार भी जा रहा है.

होटल व ढाबा व्यवसाय पूरा ठप

जिले के मुख्य सड़क मार्ग या नेशनल हाईवे के किनारे बड़ी संख्या में ढाबे या होटल संचालित होते हैं. जिसमें काफी संख्या में स्थानीय या बाहर के युवा जुड़े हुए हैं. जिनका रोजगार इन्हीं ढाबों पर निर्भर है. कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन के कारण ज्यादातर होटल और ढाबे बंद हो गए. जो ढाबे खुले हैं, वो भी अब बंद होने की स्थिति में हैं.

पढ़ें- Special : कोरोना काल में थमे पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पहिए...कमाई 'लॉक' और खर्चा 'अनलॉक'

ढाबा चलाने वाले लोगों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन 15 से 20 हजार की ग्राहकी होती थी, अब वो 2 से 3 हजार तक ही होती है. जब होटलों पर ग्राहक नहीं आने की स्थिति में स्टाफ को भी कम करना पड़ रहा है. जनपथ होटल के सुरेश ने बताया कि पहले दिनभर गाड़ियों की लाइन लगी हुई रहती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. पूरे दिन में 10 से 15 खाने लगते हैं. जिसके कारण सीधा नुकसान उठाना पड़ रहा है. होटल मालिकों को किराया और स्टाफ की सैलरी तक देना मुश्किल हो रहा है.

सैंकड़ों ढाबों पर लग गया ताला

जिले के विभिन्न सड़क मार्गों पर देखें तो कोरोना से पहले जितने होटल और ढाबे चल रहे थे. उसमें आधे से ज्यादा पर ताले लग गए हैं. लॉकडाउन के समय प्रशासन ने ढाबों को बंद करवाया था. उसके बाद अब कोरोना के डर या ग्राहकों की संख्या कम होने के कारण ढाबा मालिकों ने वापस ढाबे शुरू ही नहीं किए हैं. जिसके कारण इन ढाबों में काम करने वाले लोग बेरोजगार हो गए हैं.

सुरक्षा के लिहाज से वाहन चालक खुद बनाते हैं खाना

हाईवे के किनारे ढाबा चलाने वाले लोगों ने बताया कि अब लोगों की आवाजाही सीमित हो गई है. ज्यादातर ट्रक चालक कोरोना के चलते सुरक्षा के लिहाज से होटलों या ढाबों पर खाना-खाने के बजाय अपना खाना खुद ही बनाकर खाते हैं. वहीं कुछ वाहन मालिक फिजूल खर्ची को कम करने के लिए इस प्रकार करते हैं. जिसके कारण ढाबों पर व्यवसाय ठप हो गया है.

पर्यटकों की आवाजाही घटी, बड़े होटलों के सामने भी खड़ा हुआ संकट

जिले में ट्यूरिज्म के तौर पर भी कई जगहों पर लोगों की काफी आवाजाही होती थी, लेकिन अब राजस्थान में मंदिर बंद होने के कारण पर्यटकों ने भी राजस्थान से दूरी बना ली है. जिसके कारण नेशनल हाईवे के किनारे बड़े होटलों के सामने संकट खड़ा हो गया है. होटल मालिक अपना स्टाफ कम कर रहे हैं. ऐसे में ज़्यादातर युवा बेरोजगार हो रहे हैं.

पढ़ें- Special : कोरोना ने छीना रोजगार...कोई हुनर के दम पर है खड़ा तो कोई 'संजीवनी' की तलाश में

भाग्योदय होटल के संचालक नजर अली ने बताया कि नेशनल हाईवे 68 पर पहले रामदेवरा या जैसलमेर जाने वाले यात्री गुजरात से हजारों की तादाद में आते थे, लेकिन अब यह आना बिल्कुल बंद हो गया है. जिसके चलते रेस्टोरेंट्स और होटल बंद करने की स्थिति में हैं. लाखों का नुकसान हो रहा है. ऐसे में आधा स्टाफ भी कम करना पड़ा है.

हाईवे के किनारे लगी फल की दुकानों पर भी संकट

केंद्र सरकार की ओर से अनलॉक पार्ट 2 में बहुत कुछ खोलने की छूट दी गई है, लेकिन जिस प्रकार डीजल के भावों में बढ़ोतरी हुई थी. उसके बाद अब वाहन चालकों या वाहन मालिकों ने आवागमन सीमित कर दिया है. जिसके चलते सड़क के किनारे फल का व्यवसाय करने वाले लोगों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है. पहले जालोर से जोधपुर जाने वाले सड़क मार्ग के किनारे, जालोर से सांचौर या फिर बीकानेर से कांडला जाने वाले नेशनल हाइवे 68 पर जगह-जगह फल के ठेले लगे नजर आते थे, जो वाहन चालकों को फल बेच कर अपना परिवार का पालन पोषण करते थे. लेकिन अब यह भी कम हो गए हैं.

जालोर. कोरोना के चलते लगाया गया लॉकडाउन मुख्य सड़क मार्गों के किनारे होटल, ढाबों और फल का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए घातक साबित हुआ है. लॉकडाउन की अवधि में जिस प्रकार काम-धंधे चौपट हुए हैं, उसका असर अब नजर आने लग गया है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोग भी घरों से बाहर निकलना कम पसंद कर रहे हैं. जिसके कारण नेशनल हाइवे के किनारे होटल, ढाबा और फल बेचने का काम करने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं.

इन लोगों के सामने अपने परिवार के पालन पोषण का संकट खड़ा हो रहा है. इनके धंधे पर 70 से 80 प्रतिशत फर्क पड़ने के कारण ढाबों व होटलों में काम करने वाले युवाओं का बड़ी संख्या में रोजगार भी जा रहा है.

होटल व ढाबा व्यवसाय पूरा ठप

जिले के मुख्य सड़क मार्ग या नेशनल हाईवे के किनारे बड़ी संख्या में ढाबे या होटल संचालित होते हैं. जिसमें काफी संख्या में स्थानीय या बाहर के युवा जुड़े हुए हैं. जिनका रोजगार इन्हीं ढाबों पर निर्भर है. कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन के कारण ज्यादातर होटल और ढाबे बंद हो गए. जो ढाबे खुले हैं, वो भी अब बंद होने की स्थिति में हैं.

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ढाबा चलाने वाले लोगों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन 15 से 20 हजार की ग्राहकी होती थी, अब वो 2 से 3 हजार तक ही होती है. जब होटलों पर ग्राहक नहीं आने की स्थिति में स्टाफ को भी कम करना पड़ रहा है. जनपथ होटल के सुरेश ने बताया कि पहले दिनभर गाड़ियों की लाइन लगी हुई रहती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. पूरे दिन में 10 से 15 खाने लगते हैं. जिसके कारण सीधा नुकसान उठाना पड़ रहा है. होटल मालिकों को किराया और स्टाफ की सैलरी तक देना मुश्किल हो रहा है.

सैंकड़ों ढाबों पर लग गया ताला

जिले के विभिन्न सड़क मार्गों पर देखें तो कोरोना से पहले जितने होटल और ढाबे चल रहे थे. उसमें आधे से ज्यादा पर ताले लग गए हैं. लॉकडाउन के समय प्रशासन ने ढाबों को बंद करवाया था. उसके बाद अब कोरोना के डर या ग्राहकों की संख्या कम होने के कारण ढाबा मालिकों ने वापस ढाबे शुरू ही नहीं किए हैं. जिसके कारण इन ढाबों में काम करने वाले लोग बेरोजगार हो गए हैं.

सुरक्षा के लिहाज से वाहन चालक खुद बनाते हैं खाना

हाईवे के किनारे ढाबा चलाने वाले लोगों ने बताया कि अब लोगों की आवाजाही सीमित हो गई है. ज्यादातर ट्रक चालक कोरोना के चलते सुरक्षा के लिहाज से होटलों या ढाबों पर खाना-खाने के बजाय अपना खाना खुद ही बनाकर खाते हैं. वहीं कुछ वाहन मालिक फिजूल खर्ची को कम करने के लिए इस प्रकार करते हैं. जिसके कारण ढाबों पर व्यवसाय ठप हो गया है.

पर्यटकों की आवाजाही घटी, बड़े होटलों के सामने भी खड़ा हुआ संकट

जिले में ट्यूरिज्म के तौर पर भी कई जगहों पर लोगों की काफी आवाजाही होती थी, लेकिन अब राजस्थान में मंदिर बंद होने के कारण पर्यटकों ने भी राजस्थान से दूरी बना ली है. जिसके कारण नेशनल हाईवे के किनारे बड़े होटलों के सामने संकट खड़ा हो गया है. होटल मालिक अपना स्टाफ कम कर रहे हैं. ऐसे में ज़्यादातर युवा बेरोजगार हो रहे हैं.

पढ़ें- Special : कोरोना ने छीना रोजगार...कोई हुनर के दम पर है खड़ा तो कोई 'संजीवनी' की तलाश में

भाग्योदय होटल के संचालक नजर अली ने बताया कि नेशनल हाईवे 68 पर पहले रामदेवरा या जैसलमेर जाने वाले यात्री गुजरात से हजारों की तादाद में आते थे, लेकिन अब यह आना बिल्कुल बंद हो गया है. जिसके चलते रेस्टोरेंट्स और होटल बंद करने की स्थिति में हैं. लाखों का नुकसान हो रहा है. ऐसे में आधा स्टाफ भी कम करना पड़ा है.

हाईवे के किनारे लगी फल की दुकानों पर भी संकट

केंद्र सरकार की ओर से अनलॉक पार्ट 2 में बहुत कुछ खोलने की छूट दी गई है, लेकिन जिस प्रकार डीजल के भावों में बढ़ोतरी हुई थी. उसके बाद अब वाहन चालकों या वाहन मालिकों ने आवागमन सीमित कर दिया है. जिसके चलते सड़क के किनारे फल का व्यवसाय करने वाले लोगों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है. पहले जालोर से जोधपुर जाने वाले सड़क मार्ग के किनारे, जालोर से सांचौर या फिर बीकानेर से कांडला जाने वाले नेशनल हाइवे 68 पर जगह-जगह फल के ठेले लगे नजर आते थे, जो वाहन चालकों को फल बेच कर अपना परिवार का पालन पोषण करते थे. लेकिन अब यह भी कम हो गए हैं.

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