बीकानेर. मार्गशीर्ष अमावस्या को लेकर दो दिन तिथि विभेद को लेकर मतांतर की स्थिति बनी हुई है. वास्तुविद राजेश व्यास बताते हैं कि उदया तिथि के अनुसार अमावस्या एक दिसंबर रविवार को है. पंचांग भेद के कारण दो दिन अमावस्या मनाई जा रही है. इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करने के साथ ही शनि देव के लिए भी विशेष धर्म-कर्म किए जाते हैं तो कुंडली के शनि दोषों का असर कम हो सकता है. अमावस्या की तारीख को लेकर विभिन्न ज्योतिषियों का अलग-अलग मत है.
तारीख को लेकर मत : ज्योतिषियों का कहना है कि 30 तारीख को पूरे दिन अमावस्या मिल रही है, इसलिए इस दिन 12 बजे पितरों का श्राद्धकर्म किया जा सकता है. इसके अलावा एक दिसंबर को अमावस्या सिर्फ 11 बजे तक है, इसलिए इस दिन सुबह स्नान और दान किया जा सकता है. जो 30 नवंबर को नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस दिन अमावस्या 9.30 बजे से शुरू हो रही है. इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करने से पितृदोषों का असर कम हो सकता है. वास्तुविद राजेश व्यास ने बताया कि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि का आरंभ 30 नवंबर 2024 दिन शनिवार को दिन में 9:52 के बाद से होगा जो अगले दिन 1 दिसंबर 2024 दिन रविवार को दिन में 11:17 तक व्याप्त रहेगा. इस प्रकार श्राद्ध आदि के लिए अमावस्या शनिवार को मनाया जाएगा एवं स्नान दान के लिए अमावस्या 1 दिसंबर दिन रविवार को मनाया जाएगा.
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अमावस्या के उपाय : अमावस्या के दिन लोटे में दूध भरकर इसमें काले तिल और चावल डालकर सूर्य भगवान को अर्पित करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा इस दिन सूर्य भगवान की पूजा के लिए लोटे में जल भरें और जल में चावल, कुमकुम, फूल डालें. इसके बाद सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप करते हुए सूर्य को जल अर्पित करें.